पटना: देशभर में बेरोजगारी अपने चरम सीमा पर है. कोरोना के कारण पिछले काफी समय से जो बेरोजगार युवा शांत बैठे थे, अब वे शांत नहीं बैठना चाहते. बेरोजगार युवा वर्ग एक बार फिर से सरकार से रोजगार की मांग करने लगा है. इसके लिए पिछले 3 दिनों से लगातार सोशल मीडिया पर देश भर में ट्विटर #modi_rojgar_do, #modi_job_do ट्रेंड हो रहा है. पिछले 3 दिनों से प्रतिदिन लाखों की तादाद में युवा इस हैसटैग पर ट्वीट कर रहे हैं और इसमें बिहार के बेरोजगार युवाओं की संख्या काफी ज्यादा है.
बिहार इस हैशटैग की मुहिम में काफी सक्रिय है. यहां के बेरोजगार प्रतिदिन सोशल मीडिया पर सरकार से नौकरी की मांग कर रहे हैं. बड़ी बात यह है कि इन युवाओं का साथ प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले शिक्षक भी दे रहे हैं.
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विलंब से हो रही हैं परीक्षाएं
बता दें कि बिहार में प्रतियोगी परीक्षाएं समय पर नहीं हो रही हैं और कोरोना के कारण लगभग पिछले 9 महीने में कोई भी प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित नहीं की गई. अब धीरे-धीरे बेशक प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन शुरू हुआ है. मगर यह परीक्षाएं जो हो रही हैं वह पुरानी परीक्षाएं हैं. जिनका नोटिफिकेशन सालों पहले निकल चुका था. बिहार में जितने भी आयोग हैं, उनकी अधिकांश परीक्षाएं विलंब से चल रही हैं. खासकर बीपीएससी और बीएसएससी की. कैलेंडर के अनुसार आयोग के परीक्षाओं का परिणाम अभी भी जारी नहीं हो रहा है. इसकी बानगी यहां देखने को मिलती है कि साल 2018 में 64 वीं बीपीएससी का अब तक फाइनल रिजल्ट नहीं आया है. हालांकि इसकी इंटरव्यू हो चुकी है.
साल 2019 में 2446 पदों पर बीपीएससी की 65वीं वैकेंसी निकाली थी और इसकी मुख्य परीक्षा हो गई है. मगर अब तक परिणाम नहीं आया है. वहीं साल 2020 में एक बार फिर से 66 वीं बीपीएससी के 2213 पदों पर वैकेंसी निकली जिसकी प्रारंभिक परीक्षा हो गई है और रिजल्ट आना बाकी है.
परीक्षा होने में लग जाते हैं सालों
बिहार सरकार ने साल 2014 में इंटर स्तरीय एसएससी की परीक्षा का विज्ञापन निकाला था और कुछ दिनों पूर्व इसकी परीक्षा आयोजित की गई है और परिणाम आना अभी तक बाकी है. बिहार में रोजगार को लेकर सभी सरकारी विभागों में स्थिति कुछ ऐसी ही है. वैकेंसी के आलोक में नोटिफिकेशन निकलने के बाद परीक्षा होने में सालों का समय लग जाता है. इस कारण बिहार के युवाओं का भविष्य भी काफी बर्बाद हो रहा है. परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों का मनोबल टूट रहा है. क्योंकि जब वह परीक्षा देते हैं, तो उनका रिजल्ट आने में 1 साल से डेढ़ साल का समय लग जा रहा है.
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सदन में भी उठा मामला
बिहार में रोजगार की बात करें तो वर्तमान में जब सदन का सत्र चल रहा था तो शिक्षा मंत्री ने यह बताया कि बिहार में शिक्षकों के 275255 सीटें रिक्त हैं. केंद्रीय नौकरी की बात करें तो यूपीएससी को छोड़कर बाकी सभी परीक्षाएं अपने समय से काफी ज्यादा विलंब चल रही है. केंद्र सरकार ने एनटीपीसी के लिए साल 2019 में वैकेंसी निकाली थी, जिसका एग्जाम अभी के समय प्रदेश में चल रहा है और इसमें भी कई धांधली के मामले सामने आ रहे हैं.
लाखों की तादाद में खाली हैं सरकारी नौकरियां
बिहार में लाखों की तादाद में सरकारी नौकरियां खाली पड़ी हुई हैं. मगर सरकार सिर्फ चुनाव के वक्त ही रोजगार की बात करती है. नियमित अंतराल पर वैकेंसीज नहीं निकालती. सरकार के इसी सुस्त रवैया का नतीजा है कि प्रदेश में शिक्षकों की और पुलिस बलों की भारी कमी है. लोकसभा चुनाव के वक्त हो या फिर प्रदेश में हालिया संपन्न हुए विधानसभा चुनाव की. सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव में रोजगार को एक प्रमुख मुद्दा बनाया और चुनाव में युवाओं ने रोजगार के मुद्दे पर सरकार का गठन किया. कोरोना के कारण लगभग 1 साल युवा अपने घरों में बंद रहे. रोजगार के लिए कोई बड़ा आंदोलन नहीं किया.
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स्थिति सुधरने तक कराते रहेंगे ट्रेंड
पटना के कोचिंग संस्थान में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों का कहना है कि सरकार जब तक उन लोगों को रोजगार मुहैया नहीं कराती. तब तक हैसटैग #modi_rojgar_do सोशल मीडिया पर ट्रेंड कराते रहेंगे. प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाली छात्रा सोनी कुमारी ने कहा कि चाहे केंद्र की सरकार हो या राज्य की सरकार किसी का भी युवाओं को रोजगार देने के प्रति ध्यान नहीं है. प्रदेश में बेरोजगारी काफी ज्यादा बढ़ गई है और वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है. मगर कोई भी प्रतियोगी परीक्षाएं सही से प्रदेश में नहीं हो रही है. इसी कारण रोजगार की मांग को लेकर सोशल मीडिया पर हैशटैग ट्रेंड कराना पड़ रहा है.
रोजगार के नहीं हैं अच्छे अवसर
प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र प्रकाश कुमार ने बताया कि उनके लिए जात धर्म और मजहब सिर्फ और सिर्फ रोजगार है. उनके जैसे युवाओं के लिए और किसी चीज से कोई खास मतलब नहीं है. युवाओं को अगर रोजगार मिलेगा तो युवा सशक्त होंगे और युवा सशक्त होंगे तो देश मजबूत होगा इसलिए युवाओं को रोजगार की उपलब्धता कराने के लिए सरकार को गंभीरता से विचार करना होगा. प्रदेश में रोजगार की अच्छी अपोर्चुनिटी नहीं है. वैकेंसी अगर कुछ निकलते भी हैं तो काफी कम सीटों पर वैकेंसी निकलती है और इसका असर यह होता है कि कट ऑफ बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. नियमित अंतराल पर प्रतियोगी परीक्षाएं नहीं होने से कई छात्रों का प्रतियोगी परीक्षा का उम्र निकल जाता है.
उन्होंने कहा कि सरकार युवाओं को रोजगार देने की दिशा में सही पहल करते हुए नजर नहीं आ रही है और इसी का नतीजा है कि युवा सब कुछ छोड़ कर रोजगार की मांग करते हुए हैशटैग ट्रेंड करा रहे हैं.
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कम सीटों पर निकलती है वैकेंसी
प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र विश्वजीत कुमार ने बताया कि सरकार युवाओं के प्रति पूरी तरह संवेदनहीन है और सरकार का पूरा ध्यान युवाओं को रोजगार देने के बजाय विरासत स्थलों के हालात मॉडिफाई करने पर है. उन्होंने कहा कि करोड़ों की लागत से सरदार पटेल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बन गया. मगर केंद्र की तरफ से नई वैकेंसी नहीं निकली. सरकार को सिर्फ चुनाव लड़ने से मतलब है. वैकेंसी जब निकलती है तो काफी कम सीट पर निकलती है. जबकि प्रदेश में पहले से काफी संख्या में पद रिक्त है.
टूट रहा है छात्रों का मनोबल
छात्रा संजना वर्मा ने बताया कि जब तक सरकार की तरफ से उन्हें रोजगार नहीं मिल जाता वह #modi_rojgar_do सोशल मीडिया पर ट्रेंड कराते रहेंगी. संजना ने कहा कि प्रदेश में ना तो समय पर परीक्षाएं होती हैं और ना ही समय पर उनके रिजल्ट आते हैं. सरकार के इस रवैया से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों का मनोबल टूटता है. संजना ने कहा कि प्रदेश में अगर कोई परीक्षा अच्छे से संपन्न हो भी जाती है, तो उसमें धांधली के मामले खूब सामने आते हैं.
सरकार परीक्षा में पारदर्शिता लाने के लिए बिल्कुल भी प्रतिबद्ध नजर नहीं आती है. उन्होंने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं में ट्रांसपेरेंसी लानी चाहिए ताकि छात्र यह देख सकें कि उनकी क्या कमी रह गई है और कैसे बेहतर और किया जा सकता है.
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सत्ता से बेदखल करने का भी छात्रों में दमखम
पटना में सिविल सर्विसेज और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले शिक्षक गुरु रहमान ने बताया कि सरकार का युवाओं को रोजगार देने के प्रति बिल्कुल भी ध्यान नहीं है और सरकार का पूरा ध्यान बिहार बंगाल आसाम तमिलनाडु जैसे राज्यों में चुनाव लड़ने और लड़ाने पर है. बिहार चुनाव के समय किसी ने 10 लाख रोजगार का वादा किया तो किसी ने 19 लाख रोजगार का वादा किया. मगर चुनाव खत्म होने के बाद प्रदेश में ना तो 1000 ना ही 1900 युवाओं को सरकार की तरफ से रोजगार मिला है. उन्होंने कहा कि सरकार को यह बात समझना चाहिए कि रोजगार के मुद्दे पर युवा किसी को सत्ता में ला सकते हैं तो इसी मुद्दे पर सरकार को सत्ता से बेदखल भी कर सकते हैं.