पटना: 4 जनवरी से प्रदेश के स्कूल खुल गए हैं. मगर स्कूलों में सिर्फ नौवीं से बारहवीं तक के छात्रों के ही क्लासेस चल रहे हैं और ऑफलाइन मोड में उन्हीं की पढ़ाई हो रही है. कक्षा 1 से लेकर 8 तक के छात्र अभी भी ऑनलाइन पढ़ाई ही कर रहे हैं.
प्राइवेट स्कूल जहां ऑनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं, वही सरकारी स्कूलों के छात्र सिर्फ दूरदर्शन के माध्यम से ही पढ़ाई कर पा रहे हैं. ऐसे में छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों सभी का यही कहना है कि ऑनलाइन नहीं बल्कि ऑफलाइन पढ़ाई ही ज्यादा अच्छी है.
दूरदर्शन पर सरकारी स्कूल के बच्चे निर्भर
बताते चलें कि प्रदेश में डीडी बिहार चैनल पर अलग-अलग समय में कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों के विभिन्न विषयों की अलग-अलग दिन पर क्लासेज चल रही हैं. सरकार की तरफ से यह सुविधा प्रदेश के सभी छात्रों के लिए है. और सरकारी स्कूल के छात्रों के लिए अलग से कोई ऑनलाइन क्लास नहीं चल रहे. ऐसे में अगर छात्रों को कुछ पूछना हो तो यह मुमकिन नहीं हो पा रहा.
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गरीब परिवार ऑनलाइन कक्षा से वंचित
अभी भी प्रदेश में काफी संख्या में गरीब परिवार है. जहां के बच्चे ऑनलाइन स्टडी का लाभ नहीं ले पा रहे हैं क्योंकि ऐसे परिवारों के पास ना तो टीवी है ना ही स्मार्टफोन है. हालांकि प्राइवेट स्कूलों में ऑनलाइन क्लासेस चल रहे हैं.
'बच्चों के डाउट सही से क्लियर नहीं हो पा रहे हैं. और ऑनलाइन स्कूलिंग, क्लासरूम स्कूलिंग का बिल्कुल भी कोई विकल्प नहीं है. ऑनलाइन क्लास के दौरान इंटरनेट की स्पीड बाधा बन रही है. '- निशी सिन्हा, अभिभावक
'ऑनलाइन क्लास में अच्छे से डाउट क्लियर नहीं हो पाता है. इसके साथ ही सिलेबस भी काफी पीछे चलता है. जूम ऐप से क्लास चलते हैं और इस दौरान टीचर सभी का वीडियो और ऑडियो म्यूट करा देती हैं. नेटवर्क की काफी समस्या होती है.'- उत्सव राज, तीसरी कक्षा का छात्र
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'स्कूल के क्लास को बहुत मिस कर रहे हैं. ऑनलाइन क्लासेज में जो डाउट रहते हैं उसे ट्यूशन टीचर से पूछ कर क्लियर करते हैं. ऑनलाइन क्लास में अगर कोई विशेष डाउट रहता है तो टीचर से व्हाट्सएप पर मैसेज करके पूछते हैं. ऑनलाइन क्लासेज में सभी डाउट अच्छे से क्लियर नहीं हो पाते और जब एग्जाम होते हैं तो पेपर जमा करने में काफी दिक्कत आती है. क्योंकि नेटवर्क प्रॉब्लम बहुत होता है और सर्वर पर कॉपी अपलोड करने में काफी समय लग जाता है. कई बार ऐसा होता है कि समय पर कॉपी जमा ना हो पाने के कारण एग्जाम में मिसिंग शो कर देता है.'- मोहित राज, पांचवी कक्षा का छात्र
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'स्कूलिंग और ऑनलाइन क्लासेज में बहुत अंतर'
छात्रों और अभिभावकों का मानना है कि स्कूलिंग और ऑनलाइन क्लासेज में बहुत अंतर है. स्कूलिंग के दौरान बच्चों के सभी क्वेरी क्लियर हो जाते थे. मगर ऑनलाइन क्लासेज में बच्चों को बहुत डाउट रह रहे हैं.
'ऑनलाइन क्लासेज में कई बार सर्वर पर लोड अधिक रहने के कारण क्लास रूम से बच्चे नहीं जुड़ पाते हैं. बच्चों के डाउट क्लियर हो इसको लेकर टीचर की तरफ से कोई इनिशिएटिव नहीं लिया जाता. क्लास रूम से अगर एक बार बच्चे लीव कर जाते हैं तो दोबारा लिंक पर ज्वाइन करने में काफी दिक्कत होती है. और अधिकांश समय ज्वाइन नहीं हो पाता है.'- निशी सिन्हा, अभिभावक
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टीचर की राय
पटना की दून पब्लिक स्कूल में पढ़ाने वाली शिक्षिका नैना शर्मा ने बताया कि ऑनलाइन क्लास में वह प्रयास करती हैं कि सभी बच्चों का डाउट क्लियर हो और क्लास खत्म होने के बाद वह एक बार सभी से पूछती है कि किसी को कोई क्वेरी है तो हाथ उठाएं. वह बच्चों के डाउट को क्लियर भी करती हैं मगर ऑनलाइन क्लास के दौरान पेरेंट्स का सपोर्ट बच्चों को बेहतर तरीके से नहीं मिल पाता.
सभी बच्चे ऑनलाइन क्लास का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं क्योंकि जो निम्न मध्यमवर्गीय और गरीब परिवार से हैं उनके परिवार में एक से अधिक स्मार्टफोन नहीं है. और बच्चे दो से तीन है ऐसे में स्मार्टफोन की अनुपलब्धता एक बड़ी बाधा बन रही है. इसके अलावा कई इलाके में इंटरनेट की स्पीड काफी कम रहती है. ऑनलाइन पढ़ाई बेहतर हो इसको लेकर सभी इलाके में इंटरनेट की स्पीड को लेकर सरकार को काम करने की जरूरत है.