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बिहार में 1.43 करोड़ छात्र-छात्राओं के पास नहीं है डिजिटल डिवाइस, तो बच्चे कैसे कर रहे पढ़ाई? - बच्चों के पास डिजिटल डिवाइस की कमी

कोरोना महामारी का असर देश के भविष्य कहे जाने वाले बच्चों पर भी काफी देखने को मिल रहा है. स्कूल बंद होने से छात्र-छात्राओं के ऑनलाइन क्लासेज (Online Classes) चल रहे हैं. लेकिन डिजिटल डिवाइस की कमी के कारण बच्चों को काफी मुश्किलें हो रही हैं.

ऑनलाइन क्लासेज
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Published : Aug 6, 2021, 9:56 AM IST

Updated : Aug 6, 2021, 1:43 PM IST

पटना: कोरोना संक्रमण (Corona Virus in Bihar) के दौरान स्कूलों को बंद कर ऑनलाइन क्लासेज (Online Classes) चलाई जा रही हैं. ऐसे में बच्चे घर से ही ऑनलाइन क्लास कर सभी विषयों पर फोकस कर रहे हैं. लेकिन समस्या यह है कि बिहार में 1.43 करोड़ छात्रों के पास डिजिटल डिवाइस (Digital Device) ही नहीं है. इस बात की जानकारी लोकसभा में केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने दी थी. इस मामले में जब बच्चे और उनके अभिभावकों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि डिजिटल डिवाइस की कमी होने के कारण बच्चों को पढ़ाई करने में कठिनाईयां हो रही है और बच्चों का पढ़ाई में मन भी नहीं लग रहा है.

इसे भी पढ़ें: लॉकडाउन में स्कूल बंद, ऑनलाइन क्लास के जरिए कंप्लीट हो रहा सिलेबस

हालांकि, बिहार में छात्रों के पास डिजिटल डिवाइस न होने की बात को लेकर बिहार और केंद्र सरकार के बीच असमंजस की स्थिति पैदा हो गई. बिहार सरकार का यह मानना है कि केंद्र के माध्यम से बिहार सरकार से कोई आंकड़ा नहीं मांगा गया था. यह आंकड़ा कहां से आया, इसकी कोई जानकारी नहीं है. लेकिन अभिभावकों से बात करने के बाद साफ समझ में आया कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने जो बात कही थी, वो कहीं न कहीं एक कड़वा सच है.

देखें रिपोर्ट.

ये भी पढ़ें: लॉकडाउन में बच्चों की पढ़ाई और खेल की गतिविधि भी रुकी, ऑनलाइन क्लास से अभिभावक भी असंतुष्ट

वहीं, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन (Private School Association) के अध्यक्ष शमायल अहमद ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री की कथनी को सही बताया है. उनका यह माना कि बिहार में डिजिटल डिवाइस की काफी कमी है. जिस कारण बच्चों को ऑनलाइन क्लासेज करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं, गरीब परिवार और ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल डिवाइस की काफी कमी है. जिस कारण बच्चों का ऑनलाइन क्लास कर पाना नामुमकिन है.

शमायल अहमद ने कहा कि प्राइवेट स्कूल वाले ऑनलाइन क्लासेज कराने को लेकर पूरी तरह से सक्षम है. लेकिन बच्चे डिवाइस नहीं होने के कारण ज्वाइन नहीं कर पाते हैं. प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने साफ तौर पर कहा कि जब यह सर्वे किया गया और परिजनों से फोन करके बात की गई, तो परिजनों ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण लोगों के खाने-पीने में समस्या हो रही है. ऐसे में बच्चों को एंड्रॉयड मोबाइल खरीद कर कहां से देंगे?

'पूरे देश और बिहार में विद्यालय बंद होने के बाद ऑनलाइन पढ़ाने का सिस्टम शुरू हुआ. जो अभिभावक बच्चों को डिवाइस दिलाने में सक्षम थे, उन्होंने तो डिवाइस दिला दिया. लेकिन जो अभिभावक आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हैं उनके बच्चों को ऑनलाइन क्सासेज कर पाना मुश्किल हो रहा है. ऑनलाइन क्लास से सबसे बड़ी समस्या यह है कि बच्चों की रिडिंग क्षमता खत्म हो रही है.' - शमायल अहमद, अध्यक्ष, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन

शिक्षक गौरी शंकर पांडेय ने कहा कि बिहार राज्य गरीब राज्यों में से एक है. इसलिए सरकार को गरीब परिवार के बच्चों पर भी ध्यान देना चाहिए. उन्होंने सरकार से अपील की है कि जो बच्चे पढ़ने योग्य हैं, उनको सरकार की तरफ से मोबाइल मुहैया कराया जाना चाहिए. जिससे बच्चे अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें.


'ऑनलाइन क्लास सिर्फ मजबूरी है. ऑफलाइन क्लास में बच्चे ठीक ढंग से समझ नहीं पाते हैं. सरकार के माध्यम से स्कूल खोलने के निर्णय को लेकर मैं स्वागत करता हूं. बच्चों को ऑनलाइन क्लास करने में काफी दिक्कत होती है. जो अमीर लोग हैं उनके बच्चे तो किसी तरह ऑनलाइन क्लास कर लेते हैं. लेकिन जिनके बच्चे सरकारी स्कूल या ग्रामीण क्षेत्र में हैं उन्हें बहुत सारी समस्याएं आती हैं. अधिकांश बच्चे ऐसे हैं जिनके पास मोबाइल या लैपटॉप नहीं है. जिस कारण वे पढ़ाई से पिछड़ गए हैं.' - गौरी शंकर पांडे, शिक्षक

'ऑनलाइन क्लास में बच्चे प्रश्नों को ठीक ढंग से नहीं समझ पाते हैं. बच्चों को बहुत मुश्किलें होती हैं. मुझे नहीं लगता कि ऑनलाइन क्लास बेहतर है. ऑनलाइन क्लास से बच्चों के अंदर से स्कूल का डर भी खत्म हो गया है. बच्चे पिछले कार्यों को रिवाइज भी नहीं कर पाते हैं.' - फजया खान, अभिभावक

पटना: कोरोना संक्रमण (Corona Virus in Bihar) के दौरान स्कूलों को बंद कर ऑनलाइन क्लासेज (Online Classes) चलाई जा रही हैं. ऐसे में बच्चे घर से ही ऑनलाइन क्लास कर सभी विषयों पर फोकस कर रहे हैं. लेकिन समस्या यह है कि बिहार में 1.43 करोड़ छात्रों के पास डिजिटल डिवाइस (Digital Device) ही नहीं है. इस बात की जानकारी लोकसभा में केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने दी थी. इस मामले में जब बच्चे और उनके अभिभावकों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि डिजिटल डिवाइस की कमी होने के कारण बच्चों को पढ़ाई करने में कठिनाईयां हो रही है और बच्चों का पढ़ाई में मन भी नहीं लग रहा है.

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हालांकि, बिहार में छात्रों के पास डिजिटल डिवाइस न होने की बात को लेकर बिहार और केंद्र सरकार के बीच असमंजस की स्थिति पैदा हो गई. बिहार सरकार का यह मानना है कि केंद्र के माध्यम से बिहार सरकार से कोई आंकड़ा नहीं मांगा गया था. यह आंकड़ा कहां से आया, इसकी कोई जानकारी नहीं है. लेकिन अभिभावकों से बात करने के बाद साफ समझ में आया कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने जो बात कही थी, वो कहीं न कहीं एक कड़वा सच है.

देखें रिपोर्ट.

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वहीं, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन (Private School Association) के अध्यक्ष शमायल अहमद ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री की कथनी को सही बताया है. उनका यह माना कि बिहार में डिजिटल डिवाइस की काफी कमी है. जिस कारण बच्चों को ऑनलाइन क्लासेज करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं, गरीब परिवार और ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल डिवाइस की काफी कमी है. जिस कारण बच्चों का ऑनलाइन क्लास कर पाना नामुमकिन है.

शमायल अहमद ने कहा कि प्राइवेट स्कूल वाले ऑनलाइन क्लासेज कराने को लेकर पूरी तरह से सक्षम है. लेकिन बच्चे डिवाइस नहीं होने के कारण ज्वाइन नहीं कर पाते हैं. प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने साफ तौर पर कहा कि जब यह सर्वे किया गया और परिजनों से फोन करके बात की गई, तो परिजनों ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण लोगों के खाने-पीने में समस्या हो रही है. ऐसे में बच्चों को एंड्रॉयड मोबाइल खरीद कर कहां से देंगे?

'पूरे देश और बिहार में विद्यालय बंद होने के बाद ऑनलाइन पढ़ाने का सिस्टम शुरू हुआ. जो अभिभावक बच्चों को डिवाइस दिलाने में सक्षम थे, उन्होंने तो डिवाइस दिला दिया. लेकिन जो अभिभावक आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हैं उनके बच्चों को ऑनलाइन क्सासेज कर पाना मुश्किल हो रहा है. ऑनलाइन क्लास से सबसे बड़ी समस्या यह है कि बच्चों की रिडिंग क्षमता खत्म हो रही है.' - शमायल अहमद, अध्यक्ष, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन

शिक्षक गौरी शंकर पांडेय ने कहा कि बिहार राज्य गरीब राज्यों में से एक है. इसलिए सरकार को गरीब परिवार के बच्चों पर भी ध्यान देना चाहिए. उन्होंने सरकार से अपील की है कि जो बच्चे पढ़ने योग्य हैं, उनको सरकार की तरफ से मोबाइल मुहैया कराया जाना चाहिए. जिससे बच्चे अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें.


'ऑनलाइन क्लास सिर्फ मजबूरी है. ऑफलाइन क्लास में बच्चे ठीक ढंग से समझ नहीं पाते हैं. सरकार के माध्यम से स्कूल खोलने के निर्णय को लेकर मैं स्वागत करता हूं. बच्चों को ऑनलाइन क्लास करने में काफी दिक्कत होती है. जो अमीर लोग हैं उनके बच्चे तो किसी तरह ऑनलाइन क्लास कर लेते हैं. लेकिन जिनके बच्चे सरकारी स्कूल या ग्रामीण क्षेत्र में हैं उन्हें बहुत सारी समस्याएं आती हैं. अधिकांश बच्चे ऐसे हैं जिनके पास मोबाइल या लैपटॉप नहीं है. जिस कारण वे पढ़ाई से पिछड़ गए हैं.' - गौरी शंकर पांडे, शिक्षक

'ऑनलाइन क्लास में बच्चे प्रश्नों को ठीक ढंग से नहीं समझ पाते हैं. बच्चों को बहुत मुश्किलें होती हैं. मुझे नहीं लगता कि ऑनलाइन क्लास बेहतर है. ऑनलाइन क्लास से बच्चों के अंदर से स्कूल का डर भी खत्म हो गया है. बच्चे पिछले कार्यों को रिवाइज भी नहीं कर पाते हैं.' - फजया खान, अभिभावक

Last Updated : Aug 6, 2021, 1:43 PM IST
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