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बिहार के एक ऐसे विधायक जिनका परिवार है 'बीपीएल', खपरैलनुमा घर, संघर्षों भरी है जिंदगी

बिहार में एक ऐसे विधायक हैं जो बीपीएल परिवार से आते हैं. आज भी खपरैलनुमा घर में ही रहते हैं. पत्नी अस्पताल में ममता का काम करती है. बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. विधायक बनने के बाद भी इनकी जिंदगी बेहद साधारण है. पढ़ें पूरी खबर..

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 28, 2023, 10:01 PM IST

देखें रिपोर्ट

पटना : बिहार की राजधानी पटना से सटे फुलवारी में एक विधायक ऐसे हैं, जो अब भी बीपीएल परिवार से आते है. इनका घर आधा झोपड़ी और आधा खपरैल का है. उनकी पत्नी ने दूसरे के घरों में काम कर पांच बच्चों का भरण पोषण किया. आज भी अपने संघर्ष की कहानी सुनाते-सुनाते वह रो पड़ती है. यह विधायक कोई और नहीं फुलवारी विधानसभा क्षेत्र के विधायक गोपाल रविदास हैं.

42 साल पहले शुरू किया था सियासी सफर : छात्र नेता से अपना सियासी सफर शुरू करने के 42 वर्ष बाद भाकपा माले से विधायक बने हैं. उन्होंने अपने बच्चों को सरकारी विद्यालय में पढ़ाया. यह गोपाल रविदास जिनकी एक लंबी संघर्ष की कहानी है. एक छात्र नेता के रूप में 1982 में सियासी सफर की शुरुआत की थी. उसके बाद लाल झंडे के सहारे अपने राजनीतिक जीवन में संघर्ष किया. उनकी पत्नी कहती हैं कि कभी-कभी 6-7 महीना पर घर आते थे.

"किसी तरह से पांच बच्चों को दूसरों के घर में चौका बर्तन कर हमने पढ़ाया लिखाया है. आज सभी बच्चे सरकारी विद्यालय में अपनी पढ़ाई कर रहे हैं."- कमलावती देवी, विधायक की पत्नी

भाकपा माले से मिला था टिकट : वहीं गोपाल रविदास ने बताया कि लाल झंडा यानी भाकपा माले से राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी. हमेशा गरीबों वंचितों की आवाज बनकर गांव-गांव से बुनियादी समस्याओं के लिए नौकरशाहों और सिस्टम के साथ लड़ते थे. इसको लेकर भाकपा माले ने फुलवारी विधानसभा से टिकट दिया. फिर इन्हें जनमत मिला और आज यह विधायक हैं. धीरे-धीरे उनकी स्थिति में सुधार आने लगा है. फिर भी आज उनकी जिंदगी सादगी भरी है.

"पूरा परिवार हमलोग बीपीएस से जुड़े हैं. मेरे सभी बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं. मैं 1982 से छात्र राजनीति से सियासी जीवन की शुरुआत की. 40 साल के संघर्ष के बाद मुझे टिकट मिला."- गोपाल रविदास, विधायक

अभी भी जीते हैं साधारण जीवन : लोग कहते हैं कि जब भी पावर आता है. पैसा आता है, तो शान शौकत बढ़ जाती है. विधायक बनने के बाद भी आज के दिन अगर कोई गोपाल रविदास के घर जाए, तो पूरा परिवार प्रेम से जमीन पर बैठकर ही दाल रोटी खाता नजर आएगा. फुलवारी विधानसभा के सीट से विधायक बने गोपाल रविदास के आज भी जीवन वैसा ही है जो आज से 42 साल पहले था. सादगी भरा जीवन जीने वाला आदमी गरीबों, वंचितों की लड़ाई लड़ते हैं. आज भी उनकी पत्नी अस्पताल में ममता का काम करती हैं.

विधायक के पास कुल दो लाख की चल-अचल संपत्ति : नामांकन में दिये गए हलफनामें के अनुसार विधायक गोपाल रविदास के पास कुल 2 लाख 14 हजार 400 की चल अचल संपत्ति है. वहीं उनके ऊपर 36 हजार रुपये के एक लोन है. इसके अलावा संपत्ति के नाम पर कुछ भी नहीं है. 2 लाख 14 हजार में भी एक बाइक, 630 स्क्वायर फीट जमीन में बना खपरैल का मकान, बैंक खाते में चार हजार 400 रुपया और कैश 16 हजार रुपया दिखाया गया है.

ये भी पढ़ें : Anand Mohan की रिहाई पर बोले माले विधायक गोपाल रविदास- 'सरकार की तुष्टीकरण नहीं चलेगी'

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पटना : बिहार की राजधानी पटना से सटे फुलवारी में एक विधायक ऐसे हैं, जो अब भी बीपीएल परिवार से आते है. इनका घर आधा झोपड़ी और आधा खपरैल का है. उनकी पत्नी ने दूसरे के घरों में काम कर पांच बच्चों का भरण पोषण किया. आज भी अपने संघर्ष की कहानी सुनाते-सुनाते वह रो पड़ती है. यह विधायक कोई और नहीं फुलवारी विधानसभा क्षेत्र के विधायक गोपाल रविदास हैं.

42 साल पहले शुरू किया था सियासी सफर : छात्र नेता से अपना सियासी सफर शुरू करने के 42 वर्ष बाद भाकपा माले से विधायक बने हैं. उन्होंने अपने बच्चों को सरकारी विद्यालय में पढ़ाया. यह गोपाल रविदास जिनकी एक लंबी संघर्ष की कहानी है. एक छात्र नेता के रूप में 1982 में सियासी सफर की शुरुआत की थी. उसके बाद लाल झंडे के सहारे अपने राजनीतिक जीवन में संघर्ष किया. उनकी पत्नी कहती हैं कि कभी-कभी 6-7 महीना पर घर आते थे.

"किसी तरह से पांच बच्चों को दूसरों के घर में चौका बर्तन कर हमने पढ़ाया लिखाया है. आज सभी बच्चे सरकारी विद्यालय में अपनी पढ़ाई कर रहे हैं."- कमलावती देवी, विधायक की पत्नी

भाकपा माले से मिला था टिकट : वहीं गोपाल रविदास ने बताया कि लाल झंडा यानी भाकपा माले से राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी. हमेशा गरीबों वंचितों की आवाज बनकर गांव-गांव से बुनियादी समस्याओं के लिए नौकरशाहों और सिस्टम के साथ लड़ते थे. इसको लेकर भाकपा माले ने फुलवारी विधानसभा से टिकट दिया. फिर इन्हें जनमत मिला और आज यह विधायक हैं. धीरे-धीरे उनकी स्थिति में सुधार आने लगा है. फिर भी आज उनकी जिंदगी सादगी भरी है.

"पूरा परिवार हमलोग बीपीएस से जुड़े हैं. मेरे सभी बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं. मैं 1982 से छात्र राजनीति से सियासी जीवन की शुरुआत की. 40 साल के संघर्ष के बाद मुझे टिकट मिला."- गोपाल रविदास, विधायक

अभी भी जीते हैं साधारण जीवन : लोग कहते हैं कि जब भी पावर आता है. पैसा आता है, तो शान शौकत बढ़ जाती है. विधायक बनने के बाद भी आज के दिन अगर कोई गोपाल रविदास के घर जाए, तो पूरा परिवार प्रेम से जमीन पर बैठकर ही दाल रोटी खाता नजर आएगा. फुलवारी विधानसभा के सीट से विधायक बने गोपाल रविदास के आज भी जीवन वैसा ही है जो आज से 42 साल पहले था. सादगी भरा जीवन जीने वाला आदमी गरीबों, वंचितों की लड़ाई लड़ते हैं. आज भी उनकी पत्नी अस्पताल में ममता का काम करती हैं.

विधायक के पास कुल दो लाख की चल-अचल संपत्ति : नामांकन में दिये गए हलफनामें के अनुसार विधायक गोपाल रविदास के पास कुल 2 लाख 14 हजार 400 की चल अचल संपत्ति है. वहीं उनके ऊपर 36 हजार रुपये के एक लोन है. इसके अलावा संपत्ति के नाम पर कुछ भी नहीं है. 2 लाख 14 हजार में भी एक बाइक, 630 स्क्वायर फीट जमीन में बना खपरैल का मकान, बैंक खाते में चार हजार 400 रुपया और कैश 16 हजार रुपया दिखाया गया है.

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