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पटना: STET शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर किया प्रदर्शन, जिला मुख्यालयों पर की पदयात्रा

राजाधानी में अपनी विभिन्न मांगों के समर्थन में टीईटी और एसटीइटी शिक्षकों की ओर से प्रदेशभर में जिला मुख्यालयों पर पदयात्रा निकाली गई. जिसमें उन्होंने सरकार से मागें पूरी करने की अपील की.

teachers demonstrated
शिक्षकों ने किया प्रदर्शन
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Published : Sep 19, 2020, 4:59 PM IST

पटना: राजधानी में टीईटी और एसटीइटी शिक्षकों को सहायक शिक्षक राज्यकर्मी का दर्जा देने के सेवाशर्त के लिए सूबे के शिक्षकों ने प्रदेशभर में जिला मुख्यालयों पर पदयात्रा निकाली गई. सेवाशर्त में शिक्षकों के मांगों को सरकार की ओर से नजरअंदाज करने के खिलाफ शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक ढ़ंग से अपना प्रतिवाद दर्ज किया. तमाम जिले मुख्यालयों के पास कंधे पर तिरंगा उठाये शिक्षकों ने जुलूस की शक्ल में सड़क पर चलते हुए अपनी मांगों से संबंधित तख्तियां हाथों में लेकर प्रदर्शन किया.

नियोजित शिक्षकों का प्रदर्शन
टीईटी और एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट के प्रदेश अध्यक्ष मार्कंडेय पाठक और प्रदेश प्रवक्ता अश्विनी पाण्डेय ने बताया कि स्थानीय निकायों के जरिये कमतर वेतन, शिक्षकों के नियोजन प्रक्रिया को समाप्त करने को लेकर शिक्षक आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन बिहार सरकार ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक सुझावों को दरकिनार करते हुए शिक्षकों को बंधुआ बनाये रखने की साजिश के तहत शिक्षकों को उनके वाजिब सेवाशर्त से वंचित किया है. केंद्र सरकार की ओर से लाये गये इपीएफ संशोधन कानून के आलोक में मूल वेतन पर इपीएफ कटौती के बजाय मिनिमम वेज पर इपीएफ की कटौती करते हुए शिक्षकों के इपीएफ भी काट दिए गए हैं. अनुकंपा के नाम पर आश्रितों के लिए मस्टररॉल टाइप अनुसेवी और विद्यालय सहायक जैसे मानदेयी पद गढ़े गये हैं. जिनसे एक परिवार का मिनिमम गुजारा संभव नही. नियोजित शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों के लिए सरकार की ओर से लाया गया बहुप्रतीक्षित सेवाशर्त बंधुआकरण का दस्तावेज है.

मांगों को किया गया दरकिनार
सेवाशर्त में ऐच्छिक स्थानान्तरण, फुलफ्रेज इपीएएफ, अर्जितावकाश, ग्रेच्युटी, बीमा, मेडिकल समेत टीइटी एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षकों की महत्वपूर्ण मांगों को दरकिनार कर दिया गया है. जहां ऐच्छिक स्थानान्तरण का लाभ शिक्षिकाओं और विकलांगों के लिए केवल एकबार रखा गया है. वहीं, म्युचअल स्थानान्तरण के नाम पर शिक्षकों को भ्रमित करने की कोशिश की गई है. अर्जितावकाश भी राज्यकर्मियों को 300 दिनों का मिलता है. वहीं, नियोजित शिक्षकों को महज 120 दिनों का दिया गया है. हकमारी के खिलाफ सूबे के टीइटी एसटीइटी शिक्षकों में सरकार के प्रति तीखा आक्रोश है. शिक्षक चुप नहीं बैठने वाले हैं. शिक्षकों का आक्रोश सरकार की विदाई का संकेत है. बदला लो बदल डालो के नारे के साथ शिक्षक आने वाले दिनों में सरकार को उसी की भाषा में जवाब देंगे.

टीईटी शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़
संगठन के प्रदेश सचिव अमित कुमार और नसरीन खातून ने कहा कि सेवाशर्त में ग्रेच्युटी बीमा और मेडिकल सुविधाओं का तो जिक्र तक नहीं है. प्रोन्नति और पदोन्नति जैसे मसले पर शिक्षा का अधिकार और एनसीटीई के प्रावधानों की खुली धज्जियां उड़ाकर टीईटी शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़ किया गया है. डीए में कटौती करते हुए 1 अप्रैल 2021 से 15 प्रतिशत वेतनवृद्धि का लालीपाप दिखाया जा रहा है. जबकि सुप्रीमकोर्ट ने पिछले साल ही टीईटी शिक्षकों के लिए बेटर पे स्कैल का सुझाव दिया है. यह सेवाशर्त सर्वोच्च न्यायालय के वेतन संबंधी न्यायिक सुझावों का भी निषेध कर रही है. पदयात्रा के जरिये यह स्पष्ट है कि शिक्षक अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए वर्तमान सरकार को बदलने के लिए एकजूट रहेंगे.

पटना: राजधानी में टीईटी और एसटीइटी शिक्षकों को सहायक शिक्षक राज्यकर्मी का दर्जा देने के सेवाशर्त के लिए सूबे के शिक्षकों ने प्रदेशभर में जिला मुख्यालयों पर पदयात्रा निकाली गई. सेवाशर्त में शिक्षकों के मांगों को सरकार की ओर से नजरअंदाज करने के खिलाफ शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक ढ़ंग से अपना प्रतिवाद दर्ज किया. तमाम जिले मुख्यालयों के पास कंधे पर तिरंगा उठाये शिक्षकों ने जुलूस की शक्ल में सड़क पर चलते हुए अपनी मांगों से संबंधित तख्तियां हाथों में लेकर प्रदर्शन किया.

नियोजित शिक्षकों का प्रदर्शन
टीईटी और एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट के प्रदेश अध्यक्ष मार्कंडेय पाठक और प्रदेश प्रवक्ता अश्विनी पाण्डेय ने बताया कि स्थानीय निकायों के जरिये कमतर वेतन, शिक्षकों के नियोजन प्रक्रिया को समाप्त करने को लेकर शिक्षक आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन बिहार सरकार ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक सुझावों को दरकिनार करते हुए शिक्षकों को बंधुआ बनाये रखने की साजिश के तहत शिक्षकों को उनके वाजिब सेवाशर्त से वंचित किया है. केंद्र सरकार की ओर से लाये गये इपीएफ संशोधन कानून के आलोक में मूल वेतन पर इपीएफ कटौती के बजाय मिनिमम वेज पर इपीएफ की कटौती करते हुए शिक्षकों के इपीएफ भी काट दिए गए हैं. अनुकंपा के नाम पर आश्रितों के लिए मस्टररॉल टाइप अनुसेवी और विद्यालय सहायक जैसे मानदेयी पद गढ़े गये हैं. जिनसे एक परिवार का मिनिमम गुजारा संभव नही. नियोजित शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों के लिए सरकार की ओर से लाया गया बहुप्रतीक्षित सेवाशर्त बंधुआकरण का दस्तावेज है.

मांगों को किया गया दरकिनार
सेवाशर्त में ऐच्छिक स्थानान्तरण, फुलफ्रेज इपीएएफ, अर्जितावकाश, ग्रेच्युटी, बीमा, मेडिकल समेत टीइटी एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षकों की महत्वपूर्ण मांगों को दरकिनार कर दिया गया है. जहां ऐच्छिक स्थानान्तरण का लाभ शिक्षिकाओं और विकलांगों के लिए केवल एकबार रखा गया है. वहीं, म्युचअल स्थानान्तरण के नाम पर शिक्षकों को भ्रमित करने की कोशिश की गई है. अर्जितावकाश भी राज्यकर्मियों को 300 दिनों का मिलता है. वहीं, नियोजित शिक्षकों को महज 120 दिनों का दिया गया है. हकमारी के खिलाफ सूबे के टीइटी एसटीइटी शिक्षकों में सरकार के प्रति तीखा आक्रोश है. शिक्षक चुप नहीं बैठने वाले हैं. शिक्षकों का आक्रोश सरकार की विदाई का संकेत है. बदला लो बदल डालो के नारे के साथ शिक्षक आने वाले दिनों में सरकार को उसी की भाषा में जवाब देंगे.

टीईटी शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़
संगठन के प्रदेश सचिव अमित कुमार और नसरीन खातून ने कहा कि सेवाशर्त में ग्रेच्युटी बीमा और मेडिकल सुविधाओं का तो जिक्र तक नहीं है. प्रोन्नति और पदोन्नति जैसे मसले पर शिक्षा का अधिकार और एनसीटीई के प्रावधानों की खुली धज्जियां उड़ाकर टीईटी शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़ किया गया है. डीए में कटौती करते हुए 1 अप्रैल 2021 से 15 प्रतिशत वेतनवृद्धि का लालीपाप दिखाया जा रहा है. जबकि सुप्रीमकोर्ट ने पिछले साल ही टीईटी शिक्षकों के लिए बेटर पे स्कैल का सुझाव दिया है. यह सेवाशर्त सर्वोच्च न्यायालय के वेतन संबंधी न्यायिक सुझावों का भी निषेध कर रही है. पदयात्रा के जरिये यह स्पष्ट है कि शिक्षक अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए वर्तमान सरकार को बदलने के लिए एकजूट रहेंगे.

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