पटना: लॉकडाउन के दौरान केंद्र की जारी गाइडलाइन में सब्जी विक्रेताओं के साथ-साथ फल विक्रेताओं को भी छूट दी गई. इसके बाद फल विक्रेताओं की दुकानें सज गई हैं. लेकिन लोग घरों में कैद हैं, ऐसे में जब कोई घर से निकलेगा नहीं तो फल बिकेगा कैसे. लिहाजा, फल विक्रेताओं को खाने के लाले पड़ गए हैं.
कोरोना संक्रमण के बीच जहां आज काम धंधे बंद हैं, तो लोगों की जेब भी खाली है. ऐसे में दुकानदार को फल खरीददार नहीं मिल रहे है. आंकड़ों की माने तो लॉकडाउन में अब तक पटना के फल बाजार को करीब 15 करोड़ रुपया का नुकसान हुआ है.
फल सड़ रहे हैं- दुकानदार
इतना ही नहीं, खरीददार न मिलने से फल सड़ रहे हैं. इसकी वजह से फल विक्रेताओं की लागत पूंजी पर नुकसान पहुंच रहा है. कोरोना संक्रमण के बीच इन फल विक्रेताओ के सामने सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर फल बिकेंगे नहीं तो घर में चूल्हा कैसे जलेगा. फल विक्रेता बताते हैं कि उन्हें बहुत मुसीबत उठानी पड़ रही है.
गिरें हैं फलों के दाम
लॉकडाउन लागू होने के बाद फलों के दाम गिरे हैं. बावजूद इसके खरीदार न मिलने के कारण फल विक्रेता परेशान हैं. फलों के ठंडे पड़े बाजार में दुकानदार भी अपनी दुकानों पर ताला लटका कर घर में कैद होने को मजबूर हैं.
बिहार में फल विक्रेता
- बिहार में दुकानदारों की तो बिहार में करीब 1.5 लाख फुटकर दुकानदार हैं.
- 88 हजार दुकानदारों का डाटा नगर निकाय के पास है.
- 22 से 25 हजार खुदरा विक्रेता हैं.
- 5 से 7 हजार फल और सब्जी विक्रेता हैं.
क्या कहते हैं फल विक्रेता
पटना के फल विक्रेताओं का कहना है कि 20 अप्रैल से मिली सीमित छूट के बाद कुछ ऑफिस खुले हैं. लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण लोग खरीददारी से बच रहे हैं. इससे पहले हालात खराब थे. वहीं, फल विक्रेताओं ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान थोक में फल मिलने में तो कोई दिक्कत नहीं हो रही है. लेकिन खरीददार नहीं मिल रहे हैं.
नहीं मिल रही प्रशासनिक मदद
फल विक्रेताओं की मानें तो प्रशासन जो मदद आम लोगों को पहुंचा रहा है वो उन्हें नहीं मिल रही है. फूड पैकेट बांटने वाले या राशन बांटने वाले उनसे यह कहकर मदद नहीं करते कि वो तो फल विक्रेता हैं.
लॉकडाउन के बीच बिहार में फल विक्रेता ग्राहकों की तलाश में हैं. मौसमी फल बाजार में आने शुरू हो गये हैं. ऐसे में ये भी इस बात की टकटकी लगाए बैठे हैं कि कब कोरोना नाम की इस बला से देश को छुटकारा मिलेगा.