पटनाः उपचुनाव के नतीजे आने के बाद एनडीए में घमासान मचा हुआ है. जिस तरह से बीजेपी एमएलसी टुन्ना पांडे ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चैलेंज किया और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ओवैसी को लेकर ट्वीट किया उससे राजनीति सुगबुगाहट तेज हो गई है. हालांकि जेडीयू इन नेताओं के बयान पर कोई तवज्जो नहीं दिया है. उधर विशेषज्ञों का भी कहना है कि वर्तमान सरकार से लोगों का भरोसा खत्म हो रहा है.
एनडीए के अंदर ही घमासान
बिहार विधानसभा के 5 सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे को लेकर एनडीए बैकफुट पर आ गई है. एनडीए को मात्र एक सीट पर ही संतोष करना पड़ा. दरौंदा सीट पर जेडीयू और बीजेपी के बागी नेता व्यास जी ने पार्टी छोड़ कर निर्दल प्रत्याशी बनकर जदयू को हराया है. अब एनडीए के अंदर ही घमासान मचा हुआ है. बीजेपी के एमएलसी टून्ना पांडे ने एनडीए के मुखिया नीतीश कुमार को चैलेंज देते हुए चुनाव लड़ने की नसीहत तक दे दी.
नेताओं के बयान पर तवज्जो नहीं दे रही जेडीयू
बीजेपी के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने भले ही किशनगंज से एआईएमआईएम उम्मीदवार के चुनाव जीतने पर ट्वीट किया हो. लेकिन इशारों ही इशारों में गिरिराज सिंह ने जेडीयू पर भी एक बार फिर तीर छोड़ा है. जिसको लेकर राजनीति घमासान मच गई है. हालांकि जेडीयू इन नेताओं के बयान को तवज्जो नहीं दे रही है. जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा कि जब बीजेपी के शीर्ष नेता ही नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला कर चुके हैं तो इन नेताओं का बयान का कोई औचित्य नहीं है.
'खत्म होता जा रहा गुड गवर्नेंस'
जेडीयू भले ही बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के बयान को लेकर खुश हो और क्षेत्रीय नेताओं के बयान को तवज्जो ना दें. लेकिन जिस तरह से समय-समय पर भारतीय जनता पार्टी के नेता नीतीश कुमार को लेकर बयान देते रहते हैं उससे यह साफ है की कोई बड़े नेता के ही इशारों पर इस तरह के बयान आते हैं. उधर राजनीतिक विशेषज्ञ डीएम दिवाकर ने कहा कि चुनाव के जो नतीजे आए हैं उससे साफ हो गया है कि जनता का रुझान अब एनडीए के तरफ नहीं है. लोगों को किसी नए विकल्प की तलाश है. इसका एक ही मतलब है कि वर्तमान सरकार का जो गुड गवर्नेंस था, वह खत्म होता जा रहा है.
बीजेपी आला कमान ने लगाई है नीतीश के नाम पर मुहर
बहरहाल बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने भले ही अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए नीतीश कुमार के नाम पर मुहर लगा दी हो. लेकिन प्रदेश भाजपा नेताओं के अंदर नीतीश कुमार के नाम पर अभी भी गुस्सा देखने को मिल रहा है. अब देखना है कि भारतीय जनता पार्टी अपने नेताओं को कैसे मनाती है.