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बिहार के नेताओं को नहीं भाया उच्च सदन को खत्म करना, कहा- इससे सरकार को मिलती है दिशा

आरजेडी के वरिष्ठ नेता और पार्टी उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा है कि आंध्र प्रदेश ने जो प्रस्ताव पारित किए हैं वे सही नहीं हैं. वहीं, कांग्रेस नेता सदानंद सिंह ने कहा है कि लोकतंत्र में उच्च सदन को संवैधानिक स्थिति हासिल है.

शिवानंद तिवारी और सदानंद सिंह
शिवानंद तिवारी और सदानंद सिंह
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Published : Jan 28, 2020, 10:09 PM IST

पटना: राज्य में उच्च सदन के अस्तित्व को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं. आंध्र प्रदेश कैबिनेट के फैसले से एक बार फिर बहस शुरू हो गई है. बिहार के राजनीतिक दलों ने उच्च सदन की प्रासंगिकता पर मुहर लगाई है. कांग्रेस और आरजेडी के नेताओं ने इस पर प्रतिक्रिया दी है.

बोले आरजेडी के वरिष्ठ नेता

आरजेडी के वरिष्ठ नेता और पार्टी उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा है कि आंध्र प्रदेश ने जो प्रस्ताव पारित किए हैं वे सही नहीं हैं. राजनीतिक कारणों से ऐसा प्रस्ताव पारित किया गया है. वहां उच्च सदन में सरकार को बहुमत नहीं है. उनकी योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं किया जा सकता है. लिहाजा उच्च सदन को भंग किया जा रहा है.

देखें पूरी रिपोर्ट

'संविधान से मिला है अधिकार'
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस नेता सदानंद सिंह ने कहा है कि राज्यसभा या विधान परिषद को उच्च सदन कहा जाता है. लोकतंत्र में उच्च सदन को संवैधानिक स्थिति हासिल है. उच्च सदन में वैसे लोग जाते हैं जो अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ और अनुभवी होते हैं. उनकी विद्वता से सरकार मार्गदर्शन हासिल करती है. लिहाजा उसे खत्म करना सही कदम नहीं है.

उच्च सदन लोकतंत्र में प्रसांगिक
बता दें कि 70 के दशक में बिहार विधानसभा में भी विधान परिषद के अस्तित्व को लेकर सवाल उठे थे. हालांकि, प्रस्ताव बाद में खारिज हो गया था. आंध्र प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने एक बार फिर बहस को तूल दे दिया है. आंध्र प्रदेश की कैबिनेट ने फैसला लिया है कि उच्च सदन को भंग कर दिया जाए. ऐसे में बिहार के राजनीतिक दल उच्च सदन को लेकर अपनी अलग राय रखते हैं.

पटना: राज्य में उच्च सदन के अस्तित्व को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं. आंध्र प्रदेश कैबिनेट के फैसले से एक बार फिर बहस शुरू हो गई है. बिहार के राजनीतिक दलों ने उच्च सदन की प्रासंगिकता पर मुहर लगाई है. कांग्रेस और आरजेडी के नेताओं ने इस पर प्रतिक्रिया दी है.

बोले आरजेडी के वरिष्ठ नेता

आरजेडी के वरिष्ठ नेता और पार्टी उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा है कि आंध्र प्रदेश ने जो प्रस्ताव पारित किए हैं वे सही नहीं हैं. राजनीतिक कारणों से ऐसा प्रस्ताव पारित किया गया है. वहां उच्च सदन में सरकार को बहुमत नहीं है. उनकी योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं किया जा सकता है. लिहाजा उच्च सदन को भंग किया जा रहा है.

देखें पूरी रिपोर्ट

'संविधान से मिला है अधिकार'
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस नेता सदानंद सिंह ने कहा है कि राज्यसभा या विधान परिषद को उच्च सदन कहा जाता है. लोकतंत्र में उच्च सदन को संवैधानिक स्थिति हासिल है. उच्च सदन में वैसे लोग जाते हैं जो अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ और अनुभवी होते हैं. उनकी विद्वता से सरकार मार्गदर्शन हासिल करती है. लिहाजा उसे खत्म करना सही कदम नहीं है.

उच्च सदन लोकतंत्र में प्रसांगिक
बता दें कि 70 के दशक में बिहार विधानसभा में भी विधान परिषद के अस्तित्व को लेकर सवाल उठे थे. हालांकि, प्रस्ताव बाद में खारिज हो गया था. आंध्र प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने एक बार फिर बहस को तूल दे दिया है. आंध्र प्रदेश की कैबिनेट ने फैसला लिया है कि उच्च सदन को भंग कर दिया जाए. ऐसे में बिहार के राजनीतिक दल उच्च सदन को लेकर अपनी अलग राय रखते हैं.

Intro:राज्य में उच्च सदन के अस्तित्व को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं आंध्र प्रदेश कैबिनेट के फैसले से एक बार फिर बहस शुरू हो गई है बिहार के राजनीतिक दलों ने उच्च सदन के प्रासंगिकता पर मुहर लगाई है ।


Body:उच्च सदन लोकतंत्र में प्रसांगिक
70 के दशक में बिहार विधानसभा में भी विधान परिषद के अस्तित्व को लेकर सवाल उठे थे हालांकि प्रस्ताव बाद में खारिज हो गया था आंध्र प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने एक बार फिर बहस को तूल दे दिया है आंध्र प्रदेश की कैबिनेट ने फैसला लिया है कि उच्च सदन को भंग कर दिया जाए बिहार के राजनीतिक दल उच्च सदन को लेकर अपनी अलग राय रखते हैं



Conclusion: उच्च सदन लोकतंत्र के लिए जरूरी
बिहार के राजनीतिक दलों ने विधान परिषद के प्रसंगिकता पर मुहर लगाई है । भाजपा राजद और कांग्रेस तमाम पार्टियों ने विधान परिषद उच्च सदन को लोकतंत्र के लिए जरूरी करार दिया ।
भाजपा राजद कांग्रेस समेत तमाम दलों के नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई है कि विधान परिषद या उच्च सदन लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करती है ।
राजद के वरिष्ठ नेता और पार्टी उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा है कि आंध्र प्रदेश ने जो प्रस्ताव पारित किए हैं वह सही नहीं है राजनीतिक कारणों से ऐसा प्रस्ताव पारित किया गया है उच्च सदन में सरकार की बहुमत नहीं है और उनके योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं किया जा सकता है लिहाजा उच्च सदन को भंग किया जा रहा है। शिवानंद तिवारी ने कहा कि उच्च सदन को लेकर विचार आते रहे हैं लेकिन उसको खत्म किया जाना सही नहीं है उच्च सदन में अनुभवी लोग जाते थे यह परंपरा रहे हैं तो और उसका लाभ भी देश और राज्य को मिलता रहा है ।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस नेता सदानंद सिंह ने कहा है कि राज्यसभा या विधान परिषद उच्च सदन कहा जाता है लोकतंत्र में उच्च सदन को संवैधानिक स्थिति हासिल है उच्च सदन में वैसे लोग जाते हैं जो अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ और अनुभवी होते हैं उनकी विद्वता से सरकार मार्गदर्शन हासिल करती है लिहाजा उसे खत्म करना सही कदम नहीं है
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