नई दिल्ली/पटना: राजद से राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने एनआईओएस डीएलएड (NIOS DELED) डिग्रीधारी शिक्षकों की मान्यता का मामला राज्यसभा में उठाया. मनोज कुमार झा ने इस मुद्दे को उठाते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय से अनुरोध किया कि इन शिक्षकों की डिग्री को मान्य बनाया जाए. उन्होंने देशभर के तकरीबन 14 लाख शिक्षकों की बात करते हुए इसे उनके परिवार से जुड़ा मामला बताया.
बुधवार को शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए मनोज कुमार झा ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से अनुरोध किया कि इन शिक्षकों की डिग्री को मान्य बनाया जाए. उन्होंने कहा कि यह 14 लाख लोगों का नहीं बल्कि परिवारों का मामला है. मनोज झा ने कहा कि पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान सेवा में तैनात इन शिक्षकों को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संस्थान के जरिये डीएलएड का कोर्स कराया गया. लेकिन अब इनमें से जो शिक्षक अन्य जगह आवेदन कर रहे हैं, उन्हें कहा जा रहा है कि यह डिग्री मान्य नहीं है.
विज्ञापन में क्यों नहीं किया गया जिक्र- झा
झा ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि यह सिर्फ सेवारत शिक्षकों के लिए है, जबकि जब इसका विज्ञापन निकला. उसमें इस बात का कोई जिक्र नहीं था. उन्हें कहा जा रहा है कि अब उनका नई जगह नियोजन नहीं हो सकता. यह कोर्स करने वाले देश भर में 14 लाख शिक्षक हैं, जिनमें से अकेले चार लाख बिहार में हैं. यह इतने परिवारों से जुड़ा मामला भी है.
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मंत्रालय ले संज्ञान- झा
राज्यसभा सांसद ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय इस मामले को फिर से देखे, यदि कोई त्रुटि रह गई है तो उसे दूर किया जाए. यदि ब्रिज कोर्स की जरूरत है, तो उसे कराया जाए. ताकि नियोजन में जो दिक्कत आ रही है. वो दूर हो. लेकिन इन आंदोलनरत शिक्षकों को राहत प्रदान की जाए. मंत्रालय को इस मामले में तुरंत कदम उठाना चाहिए. इसको अगर फौरी रूप से नहीं किया, तो कई राज्यों में नियोजन चल रहा है. वो पूरा नहीं हो पाएगा.
बिहार में सबसे ज्यादा प्रभावित...
बता दें कि बिहार में शिक्षकों की बहाली के दौरान एनआईओएस से डीएलएड प्रशिक्षित शिक्षकों की मान्यता का मुद्दा तेजी से गर्माया है. कोर्ट में इसके लिए लगातार सुनवाई चल रही है. वहीं डीएलएड को बतौर शिक्षक नियुक्ति के लिए मान्यता न देने का मामला केंद्रीय कैबिनेट में भी उठ चुका है. केंद्रीय कैबिनेट में प्रधानमंत्री ने इस मामले पर चिंता जताई थी. एचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को इस मामले में जल्द से जल्द फैसला लेने का निर्देश दिया था.