पटना: पाटलिपुत्र में राज्यसभा सांसद मीसा भारती ने चुनाव हारने के बाद जिस तरह अपनी फंड से की गई अनुशंसाएं रद्द की. उसके बाद यह सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि आखिर जिनके वोट से राज्यसभा सांसद चुने जाते हैं, उनसे अनुशंसा के वक्त सलाह क्यों नहीं ली जाती. हालांकि, इस बारे में अलग-अलग दलों की राय अलग-अलग है.
सांसद कोष से अनुशंसा के वक्त संबंधित इलाके के जनप्रतिनिधि से सलाह एक आदर्श स्थिति मानी जाती है. पिछले दिनों पाटलिपुत्र से राजद की प्रत्याशी मीसा भारती ने जिस तरह अपने राज्य सभा सांसद कोष से 15 करोड़ की अनुशंसा की और उसके बाद इसे रद्द भी करा दिया. उसने अब इस कोष को लेकर राष्ट्रीय जनता दल में ही बवाल खड़ा कर दिया है.
भाई वीरेंद्र ने की निंदा
राजद के मुख्य प्रवक्ता और मनेर विधायक भाई वीरेंद्र ने आरोप लगाया है कि जिनके वोट से सांसद राज्यसभा जाते हैं, उन्हीं विधायकों से अनुशंसा के वक्त कोई सलाह नहीं ली जाती. भाई वीरेंद्र ने कहा कि हम वोट देकर जिन्हें जिताते हैं, वो दिल्ली जाकर हमें भूल जाते हैं. कहीं ना कहीं उनका बड़ा आरोप मीसा भारती को लेकर ही है.
क्या बोले जदयू और बीजेपी प्रवक्ता
इधर जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने इस मामले में कहा है कि किसी भी क्षेत्र में अनुशंसा के वक्त सभी पक्षों का ध्यान रखना जरूरी है. वहीं, बीजेपी प्रवक्ता संजय टाइगर ने कहा कि हमारे यहां तो परंपरा चली आ रही है कि कोई सांसद, विधायक या विधान पार्षद किसी फंड की अनुशंसा व्यापक सलाह के बाद ही करता है.