पटना: राजद (RJD) में प्रदेश नेतृत्व का संकट खड़ा होता दिख रहा है. फिलहाल, जगदानंद सिंह (Jagadanand Singh) ने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफे की खबर से इनकार किया है, लेकिन अब यह सवाल खड़ा हो रहा है कि लालू यादव (Lalu Prasad Yadav) और तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के बीच बड़ी कड़ी बने जगदानंद सिंह के जाने के बाद राजद के प्रदेश अध्यक्ष की कमान कौन संभालेगा. चर्चा में कई नाम हैं, लेकिन जगदानंद सिंह की बराबरी का कोई नाम फिलहाल नजर नहीं आ रहा है.
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जगदानंद सिंह ने जब से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली है. राजद के प्रदेश कार्यालय की तस्वीर बदल गई. हालांकि, इस दौरान उन पर पार्टी में जरूरत से ज्यादा अनुशासन पर काम करने के गंभीर आरोप लगे. लेकिन फिर भी पिछले विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में राजद के बेहतर परफॉर्मेंस के लिए जगदानंद सिंह के संगठन स्तर पर किए गए बदलाव और काम को ही वजह माना जाता है.
पार्टी के लिए जगदानंद सिंह कितने जरूरी है. यह एक बार फिर तब साबित हुआ जब 5 जुलाई को पार्टी के स्थापना दिवस (RJD Foundation Day) समारोह में लालू यादव ने उन्हें 'जगदा भाई' कहकर संबोधित किया. तेजस्वी यादव ने भी जगदानंद सिंह को खूब इज्जत दी. हालांकि, तेज प्रताप यादव से जगदानंद सिंह के रिश्ते पिछले कुछ समय से खटास भरे रहे हैं.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) के व्यवहार से परेशान जगदानंद सिंह ने लालू यादव को इस्तीफे की पेशकश कर दी. हालांकि, इस्तीफे की बात वह पहले भी करते रहे हैं. उन्हें विधानसभा चुनाव तक जिम्मेदारी संभालने को लालू यादव ने कहा था. पार्टी के बेहतरीन प्रदर्शन के बाद जगदानंद सिंह को एक बार फिर पद पर बने रहने के लिए लालू यादव ने ही कहा था.
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''जगदानंद सिंह हर दिन ऑफिस आ रहे हैं, लोगों से मिल रहे हैं और खुद यह कह चुके हैं कि इस्तीफे की खबर गलत है, तो अब यह समझ लेना चाहिए कि किस कदर विरोधी परेशान हैं. जदयू में आग लगी है और इसे छिपाने के लिए राजद के बारे में उन्होंने गलत खबर फैलाई है.''- मृत्युंजय तिवारी, प्रदेश प्रवक्ता, राजद
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार कहते हैं कि रघुवंश प्रसाद सिंह और जगदानंद सिंह लालू की अनुपस्थिति में पार्टी के लिए बड़े संकटमोचक की भूमिका में रहे हैं. पार्टी संगठन और युवा नेतृत्व तेजस्वी को सही राह दिखाने के लिए इन दोनों ने हमेशा बड़ी भूमिका निभाई है. अब ना तो रघुवंश प्रसाद सिंह रहे और ना ही लालू यादव एक्टिव पॉलिटिक्स में हैं. ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने पिछले करीब 2 साल में ना सिर्फ पार्टी, बल्कि तेजस्वी यादव के लिए भी बड़े संकटमोचक की भूमिका निभाई है.
''पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को नंबर वन बनाने और बेहतरीन प्रदर्शन का बड़ा श्रेय तेजस्वी यादव के साथ कुशल और अनुभवी नेतृत्व जगदानंद सिंह को भी जाता है. इस बात को तेजस्वी यादव और लालू यादव बेहतर तरीके से समझते हैं और यही वजह है कि वे नहीं चाहते कि जगदानंद सिंह प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ें.''- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
बता दें कि जगदानंद सिंह के राजद प्रदेश अध्यक्ष के पद से अलग होने के बाद निश्चित तौर पर पार्टी के लिए एक अनुभवी और कुशल राजनीतिज्ञ के तौर पर किसी बड़े चेहरे की कमी खलेगी. हालांकि, उत्तराधिकारी के तौर पर आलोक कुमार मेहता और तनवीर हसन समेत कई नाम सामने हैं. लेकिन, बड़ी परेशानी युवा नेतृत्व और पार्टी के अनुभवी लोगों को साथ रखने के लिए संकटमोचक की भूमिका निभाने वालों की कमी को लेकर है. ऐसे में अब ये देखना दिलचस्प होगा कि जगदानंद सिंह की जगह पार्टी किस चेहरे पर भरोसा करती है.
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