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BJP Politics: बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई पर BJP के दलित नेता मुखर, आर-पार की लड़ाई की तैयारी

बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई मामले पर बीजेपी के कई नेता अलग अलग मूड में दिख रहे हैं. जबकि पार्टी के दलित प्रकोष्ठ के नेताओं ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पार्टी के दलित इकाई के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि हम सरकार के इस फैसले का विरोध करते हैं. सरकार ने पिछड़ी जाति के डीएम को मारने वाले अगड़ी जाति के नेता को कानून संसोधन कर जेल से बाहर निकालने का काम किया है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Apr 28, 2023, 7:37 AM IST

बीजेपी के दलित मोर्चे ने आनंद मोहन के खिलाफ खोला मोर्चा

पटना: बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन (Formenr MP Anand Mohan) को गोपालगंज के पूर्व डीएम जी कृष्णैया हत्या मामले में कानून में संसोधन करने के बाद राज्य सरकार ने रिहा कर दिया है. बिहार सरकार के इस फैसले को लेकर बीजेपी के कई नेताओं को पशोपेश में डाल दिया. हालांकि पार्टी के दलित नेता आर-पार की लड़ाई के मूड में है.

ये भी पढ़ें- Bihar Politics: 'आनंद मोहन की रिहाई पर मायावती का दूसरे एंगल पर था बयान'.. बोले मंत्री संतोष सुमन

बीजेपी का तीखा हमला: भारतीय जनता पार्टी की दलित इकाई ने बिहार सरकार के फैसले को लेकर तीखी आलोचना की है. पार्टी के तमाम दलित नेताओं ने एक तरीके से मोर्चा खोल दिया है. ये सभी लोग एक साथ मिलकर राज्य सरकार के इस कानून संसोधन के बाद आनंद मोहन की रिहाई के विरोध में चरणबद्ध आंदोलन चलाने के लिए तैयार हैं.

फैसला स्वीकार्य नहीं: भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष जी चौधरी ने कहा कि बिहार सरकार ने जो फैसला लिया है. वह पूरे तौर पर दलित विरोधी है. हम मानते हैं कि सरकार के इस फैसले से दलितों का मनोबल गिरा है. दलित इस फैसले को कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे और आंदोलन के अलावा कानूनी लड़ाई के लिए भी हम तैयार हैं. बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष सुबोध पासवान ने भी सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि सरकार का कदम दलितों के प्रति भेदभाव वाला है. हम सरकार के फैसले को कभी स्वीकार नहीं करेंगे. इस देश के दलित सरकार के खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन करने का काम करेगी और हम ईंट से ईंट बजा देंगे.

सरकार के फैसले का तीखा विरोध: अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के पूर्व सदस्य डॉक्टर योगेंद्र पासवान ने कहा है कि गोपालगंज के पूर्व डीएम दलित समुदाय से थे. सरकार ने दोषियों को रिहा कर दलित विरोधी कदम उठाया है. इस फैसले के खिलाफ दलित संगठन राष्ट्रपति तक आंदोलन चलाने के लिए तैयार है. पूर्व मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता जनक राम भी आनंद मोहन की रिहाई को कानून सम्मत नहीं मान रहे हैं. जनक राम का मानना है कि सरकार ने एक अपराधी को छोड़ने के लिए कानून में संशोधन किया है. जिसे किसी भी तरह स्वीकार नहीं की जा सकती है. हम सरकार के फैसले की तीखी भर्त्सना करते हैं.

बीजेपी के दलित मोर्चे ने आनंद मोहन के खिलाफ खोला मोर्चा

पटना: बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन (Formenr MP Anand Mohan) को गोपालगंज के पूर्व डीएम जी कृष्णैया हत्या मामले में कानून में संसोधन करने के बाद राज्य सरकार ने रिहा कर दिया है. बिहार सरकार के इस फैसले को लेकर बीजेपी के कई नेताओं को पशोपेश में डाल दिया. हालांकि पार्टी के दलित नेता आर-पार की लड़ाई के मूड में है.

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बीजेपी का तीखा हमला: भारतीय जनता पार्टी की दलित इकाई ने बिहार सरकार के फैसले को लेकर तीखी आलोचना की है. पार्टी के तमाम दलित नेताओं ने एक तरीके से मोर्चा खोल दिया है. ये सभी लोग एक साथ मिलकर राज्य सरकार के इस कानून संसोधन के बाद आनंद मोहन की रिहाई के विरोध में चरणबद्ध आंदोलन चलाने के लिए तैयार हैं.

फैसला स्वीकार्य नहीं: भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष जी चौधरी ने कहा कि बिहार सरकार ने जो फैसला लिया है. वह पूरे तौर पर दलित विरोधी है. हम मानते हैं कि सरकार के इस फैसले से दलितों का मनोबल गिरा है. दलित इस फैसले को कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे और आंदोलन के अलावा कानूनी लड़ाई के लिए भी हम तैयार हैं. बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष सुबोध पासवान ने भी सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि सरकार का कदम दलितों के प्रति भेदभाव वाला है. हम सरकार के फैसले को कभी स्वीकार नहीं करेंगे. इस देश के दलित सरकार के खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन करने का काम करेगी और हम ईंट से ईंट बजा देंगे.

सरकार के फैसले का तीखा विरोध: अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के पूर्व सदस्य डॉक्टर योगेंद्र पासवान ने कहा है कि गोपालगंज के पूर्व डीएम दलित समुदाय से थे. सरकार ने दोषियों को रिहा कर दलित विरोधी कदम उठाया है. इस फैसले के खिलाफ दलित संगठन राष्ट्रपति तक आंदोलन चलाने के लिए तैयार है. पूर्व मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता जनक राम भी आनंद मोहन की रिहाई को कानून सम्मत नहीं मान रहे हैं. जनक राम का मानना है कि सरकार ने एक अपराधी को छोड़ने के लिए कानून में संशोधन किया है. जिसे किसी भी तरह स्वीकार नहीं की जा सकती है. हम सरकार के फैसले की तीखी भर्त्सना करते हैं.

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