पटना: बिहार में गैस की आंच धीमी पड़ने लगी है. गैस की कीमत 918 को पार कर चुकी है. सब्सिडी भी खत्म होने के कगार पर है. गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार बढ़ती कीमतों से कराह रहे हैं और उज्जवला योजना के तहत भी लाभार्थियों की संख्या लगातार कम रही है.
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बिहार में गैस सिलेंडर की कीमत ₹918 के पार
बिहार में गैस सिलेंडर की कीमत उच्चतम स्तर पर है. एक गैस सिलेंडर ₹918 में मिल रहे हैं और सब्सिडी खत्म करने का निर्णय भी लिया जा सकता है. फिलहाल ₹79 सब्सिडी दी जा रही है. बिहार में कुल 1 करोड़ 86 लाख उपभोक्ता है. जिसमें 84.83 लाख उपभोक्ता उज्ज्वला योजना के तहत हैं. बिहार में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के कुल 90.35 लाख, भारत पेट्रोलियम के 45.61 लाख, हिंदुस्तान पेट्रोलियम के 52 .12 लाख उपभोक्ता हैं.
कम होती चली गयी सब्सिडी
कोरोना संकटकाल में आम लोगों की परेशानियां बढ़ी. सरकार ने जहां गैस की कीमतों में इजाफा किया, वहीं सब्सिडी भी कम होती चली गई. 1 अप्रैल 2020 को जहां घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत ₹843 50 पैसे थी. वही आज की तारीख में बढ़कर ₹918 तक पहुंच चुकी है. 1 अप्रैल को सब्सिडी ₹245 मिलती थी, जो आज की तारीख में घटकर ₹79 रह गयी है.
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आंकड़ों पर एक नजर
15 दिसंबर 2020 को घरेलू गैस की कीमत ₹792.50 और कॉमर्शियल गैस सिलेंडर की कीमत 1518 रुपए थी. 1 जनवरी को भी घरेलू गैस की कीमत ₹792.50 और कॉमर्शियल गैस सिलेंडर की कीमत 1538 रुपए 50 पैसे थी. 1 फरवरी को घरेलू गैस की कीमत ₹792.50 पैसे और कमर्शियल गैस सिलेंडर की कीमत ₹1733 थी. 4 फरवरी को घरेलू गैस की कीमत बढ़ कर ₹817.50 और कमर्शियल गैस सिलेंडर की कीमत ₹1727 पहुंच गई. 25 फरवरी को घरेलू गैस की कीमत ₹892.50 और कॉमर्शियल गैस की कीमत ₹1713 थी. 1 मार्च को घरेलू गैस की कीमत ₹970 .50 पैसे और कमर्शियल गैस की कीमत ₹1810 थी. वर्तमान में घरेलू गैस की कीमत ₹918 तक पहुंच चुकी है.
लोगों का जीना हुआ मुश्किल
गुलशन आरा के परिवार में 5 सदस्य हैं. उज्जवला के तहत सिलेंडर भी मिले हैं. लेकिन कीमत अधिक होने के कारण अब कोयले से बने गुल का इस्तेमाल कर खाना बना रही हैं. मंटू सिंह मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं और इनके लिए भी परिवार चलाना मुश्किल साबित हो रहा है. मंटू सिंह का कहना है कि किसी जमाने में 300 से ₹400 में सिलेंडर मिलते थे. आज हजार के आसपास पहुंच चुका है.
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''उज्जवला योजना के तहत सरकार ने सिलेंडर तो दे दिया. शुरू में रियायत भी मिली. लेकिन अब कीमत इतनी अधिक हो चुकी है कि हम लोग अब लकड़ी पर खाना बनाने को मजबूर हैं'' - गुड्डू खान
''5 से ₹6000 महीने कमाते हैं. हजार रुपए से अधिक सिलेंडर पर खर्च करना संभव नहीं है. ऐसी स्थिति में परिवार चलाना भी मुश्किल साबित हो रहा है'' - मुन्ना
सरकार को सोचने की है जरूरत
बिहार एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर एसोसिएशन के महासचिव डॉ रामनरेश सिन्हा का कहना है कि बढ़ती कीमतों से एक ओर जहां गैस सिलेंडर की बिक्री में कमी आई है. वहीं आम लोगों के लिए भी परेशानी का सबब है. उज्जवला योजना का लाभ लेने वाले लोगों ने सिलेंडर का इस्तेमाल कम कर दिया है. वह वैकल्पिक तरीके से खाना बना रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों के बढ़ने से शायद ऐसी स्थिति आई है. लेकिन सरकार को कीमतों पर नियंत्रण स्थापित करना चाहिए.
अंतरराष्ट्रीय बाजार का हवाला
बिहार सरकार के श्रम संसाधन मंत्री जीवेश मिश्रा का कहना है कि कीमतें बढ़ी है यह चिंता का विषय है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा के चलते ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है. जल्द ही सरकार इस पर काबू पाएगी.
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गैस सिलेंडर की बिक्री में भी भारी कमी आई
गैस सिलेंडर के एक वितरक ने बताया कि पहले जहां हम 500 से 600 सिलेंडर हर रोज बेचते थे. वहीं आज संख्या घटकर 300 से 400 तक सिमट गई है.