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अटल यादें : 'आप लोग बिहारी हैं, तो मैं अटल बिहारी हूं और मेरा लगाव बिहार से है'

'सरकारें आएंगी, जाएंगी, पार्टियां बनेंगी, बिगड़ेंगी मगर ये देश रहना चाहिए' जिस जोश के साथ अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद सत्र के दौरान ऐसा कहा था. उसकी गूंज आज भी लोगों के जहन में जिंदा है. बिहार में उनके साथ मंच साझा करने वाले नेता क्या कुछ कहते हैं पढ़ें...

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Published : Aug 16, 2020, 5:55 AM IST

पटना: भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज दूसरी पुण्यतिथि है. पूरा देश आज उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है. 16 अगस्त 2018 को लंबे समय से बीमार चल रहे अटल बिहारी वाजपेयी ने इस दुनियो को अलविदा कह दिया था. उनके निधन के बाद देशभर में शोक की लहर दौड़ गई.

अटल बिहार वाजपेयी के भाषणों में उनकी बेबाकी को लेकर उनकी कमी आज भी देश की राजनीति को खलती है. ऐसे ही भाषण का गवाह था, बक्सर का किला मैदान. यहां उन्होंने साल 1979 में भाषण दिया था. उनके भाषण को याद करते हुए बक्सर वासी कहते हैं कि वाजपेयी जी हर दिल के अजीज थे. उनकी कमी को कोई पूरा नहीं कर सकता.

शिखर पुरुष वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसा राजनेता थे, जो अपनी पार्टी के साथ ही सभी दलों के लिए प्रिय नेता रहे. भारत के राजनीतिक इतिहास में अटल बिहारी वाजपेयी का संपूर्ण व्यक्तित्व शिखर पुरुष के रूप में दर्ज है.

पत्रकारिता से शुरू किया करियर
तीन बार देश के प्रधान सेवक रहे वाजपेयी ने अपने करियर की शुरुआत पत्रकारिता से की थी. उनका व्यवहार बहुत ही सरल था. वे अक्सर वह कहा करते थे, 'मैं नामी पत्रकार चाहता था. लेकिन प्रधानमंत्री बन गया. आजकल पत्रकार हमारे हालत खराब कर रहे हैं. लेकिन मैं बुरा नहीं मानता हूं क्योंकि मैं पहले यह कर चुका हूं.'

ये देश रहना चाहिए- अटल बिहारी वाजपेयी
कुशल वक्ता अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद सत्र के दौरान कहा, 'सरकारें आएंगी, जाएंगी, पार्टियां बनेंगी, बिगड़ेंगी मगर ये देश रहना चाहिए' चूंकि देश सर्वोपरि है और एक राजनेता को अव्व्ल अपने देश के लिए पूरी निष्ठा से काम करना चाहिए.

देखें खास रिपोर्ट

क्या कहते हैं बक्सर वासी
अटल बिहारी वाजपेयी की दूसरी पुण्य तिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए स्थानीय बैकुंठ शर्मा ने बताया कि दोहा एवं अलंकार से भरे वाजपेयी जी का वह भाषण आज भी मुझे याद है, जब उन्होंने किला मैदान से यह कहा था कि आप लोग बिहारी है, तो मैं अटल बिहारी हूं और मेरा लगाव बिहार से रहा है.

वहीं, बीजेपी के वरिष्ठ कार्यकर्त्ता विनोद राय ने बताया कि वाजपेयी जी को बक्सर का लिट्टी चोखा बहुत पसंद था. वो अक्सर यहां आते थे, तो उनको लिट्टी चोखा ही खिलाया जाता था.

वाजपेयी जी के साथ कई बार मंच साझा करने वाले बीजेपी के नेता अजय चौबे ने कहा कि इस किला मैदान से, जब अटल जी ने किसानों को संबोधित करते हुए यह कहा कि जब उद्योगपति अपने वस्तुओं का मूल्य स्वयं तय करते है, तो फिर किसानों को भी अपना उपज का मूल्य तय करने का अधिकार होना चाहिए.

पटना से जुड़ी यादें
वैसे तो बिहार का शायद ही कोई जिला हो जहां अटल जी ना गए हो लेकिन पटना उनकी यादों को संजोये हुए है. दरअसल, वाजपेयी ने पटना में अपने दोस्त बऊआ जी के सिनेमा हॉल अशोक में उन्होंने कई फिल्में देखी. उनकी पसंदीदा हीरोइन हेमा मालिनी थीं, जिनकी फिल्म सीता और गीता उन्होंने 25 बार देखी थी. वे जब भी आते थे, तो पटना के अशोक सिनेमा हॉल में फिल्म देखने जाते थे.

पटना आकर अक्सर वे बीजेपी के वरिष्ठ नेता गंगा प्रसाद या ठाकुर प्रसाद जी के यहां ठहरते थे. प्रधानमंत्री के तौर पर वाजपेयी दो बार पटना आए. उनसे जुड़े लोगों का कहना है कि वे जब भी आते थे खीर और पूआ खाने की डिमांड करते थे. हालांकि, उनकी सेहत को देखते हुए उन्हें मीठी चीजें खानी मना थीं. फिर भी वे खीर और पुआ खाते थे. उन्हें यहां की मछली भी पसंद थी, जो यह आने पर वे जरूर खाते थे.

  • अपने दिये गए भाषणों और कविताओं में अटल आज भी अटल हैं, अमर हैं. ईटीवी भारत परिवार उनको श्रद्धांजलि अर्पित करता है.

पटना: भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज दूसरी पुण्यतिथि है. पूरा देश आज उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है. 16 अगस्त 2018 को लंबे समय से बीमार चल रहे अटल बिहारी वाजपेयी ने इस दुनियो को अलविदा कह दिया था. उनके निधन के बाद देशभर में शोक की लहर दौड़ गई.

अटल बिहार वाजपेयी के भाषणों में उनकी बेबाकी को लेकर उनकी कमी आज भी देश की राजनीति को खलती है. ऐसे ही भाषण का गवाह था, बक्सर का किला मैदान. यहां उन्होंने साल 1979 में भाषण दिया था. उनके भाषण को याद करते हुए बक्सर वासी कहते हैं कि वाजपेयी जी हर दिल के अजीज थे. उनकी कमी को कोई पूरा नहीं कर सकता.

शिखर पुरुष वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसा राजनेता थे, जो अपनी पार्टी के साथ ही सभी दलों के लिए प्रिय नेता रहे. भारत के राजनीतिक इतिहास में अटल बिहारी वाजपेयी का संपूर्ण व्यक्तित्व शिखर पुरुष के रूप में दर्ज है.

पत्रकारिता से शुरू किया करियर
तीन बार देश के प्रधान सेवक रहे वाजपेयी ने अपने करियर की शुरुआत पत्रकारिता से की थी. उनका व्यवहार बहुत ही सरल था. वे अक्सर वह कहा करते थे, 'मैं नामी पत्रकार चाहता था. लेकिन प्रधानमंत्री बन गया. आजकल पत्रकार हमारे हालत खराब कर रहे हैं. लेकिन मैं बुरा नहीं मानता हूं क्योंकि मैं पहले यह कर चुका हूं.'

ये देश रहना चाहिए- अटल बिहारी वाजपेयी
कुशल वक्ता अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद सत्र के दौरान कहा, 'सरकारें आएंगी, जाएंगी, पार्टियां बनेंगी, बिगड़ेंगी मगर ये देश रहना चाहिए' चूंकि देश सर्वोपरि है और एक राजनेता को अव्व्ल अपने देश के लिए पूरी निष्ठा से काम करना चाहिए.

देखें खास रिपोर्ट

क्या कहते हैं बक्सर वासी
अटल बिहारी वाजपेयी की दूसरी पुण्य तिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए स्थानीय बैकुंठ शर्मा ने बताया कि दोहा एवं अलंकार से भरे वाजपेयी जी का वह भाषण आज भी मुझे याद है, जब उन्होंने किला मैदान से यह कहा था कि आप लोग बिहारी है, तो मैं अटल बिहारी हूं और मेरा लगाव बिहार से रहा है.

वहीं, बीजेपी के वरिष्ठ कार्यकर्त्ता विनोद राय ने बताया कि वाजपेयी जी को बक्सर का लिट्टी चोखा बहुत पसंद था. वो अक्सर यहां आते थे, तो उनको लिट्टी चोखा ही खिलाया जाता था.

वाजपेयी जी के साथ कई बार मंच साझा करने वाले बीजेपी के नेता अजय चौबे ने कहा कि इस किला मैदान से, जब अटल जी ने किसानों को संबोधित करते हुए यह कहा कि जब उद्योगपति अपने वस्तुओं का मूल्य स्वयं तय करते है, तो फिर किसानों को भी अपना उपज का मूल्य तय करने का अधिकार होना चाहिए.

पटना से जुड़ी यादें
वैसे तो बिहार का शायद ही कोई जिला हो जहां अटल जी ना गए हो लेकिन पटना उनकी यादों को संजोये हुए है. दरअसल, वाजपेयी ने पटना में अपने दोस्त बऊआ जी के सिनेमा हॉल अशोक में उन्होंने कई फिल्में देखी. उनकी पसंदीदा हीरोइन हेमा मालिनी थीं, जिनकी फिल्म सीता और गीता उन्होंने 25 बार देखी थी. वे जब भी आते थे, तो पटना के अशोक सिनेमा हॉल में फिल्म देखने जाते थे.

पटना आकर अक्सर वे बीजेपी के वरिष्ठ नेता गंगा प्रसाद या ठाकुर प्रसाद जी के यहां ठहरते थे. प्रधानमंत्री के तौर पर वाजपेयी दो बार पटना आए. उनसे जुड़े लोगों का कहना है कि वे जब भी आते थे खीर और पूआ खाने की डिमांड करते थे. हालांकि, उनकी सेहत को देखते हुए उन्हें मीठी चीजें खानी मना थीं. फिर भी वे खीर और पुआ खाते थे. उन्हें यहां की मछली भी पसंद थी, जो यह आने पर वे जरूर खाते थे.

  • अपने दिये गए भाषणों और कविताओं में अटल आज भी अटल हैं, अमर हैं. ईटीवी भारत परिवार उनको श्रद्धांजलि अर्पित करता है.
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