पटना: बिहार में सुखाड़ को लेकर सरकार की परेशानी बढ़ गई है. कई जिलों में ग्राउंड वाटर लेवल काफी नीचे चला गया है. जिसके चलते किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बिहार के 25 जिलों के 280 सूखाग्रस्त प्रखंडों के 16,27,000 किसानों के आवेदन फसल सहायता योजना के तहत आए थे. जिसमें 14,17,000 किसानों के बीच 931 करोड़ का अनुदान वितरित कर दिया गया है.
वहीं, मानसून से पहले भीषण गर्मी के कारण पेयजल की समस्या विकराल होती जा रही है. बिहार के कृषि मंत्री का कहना है कि पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए युद्धस्तर पर काम हो रहे हैं. वहीं अधिकारियों का कहना है कि सरकार कई स्तरों पर काम कर रही है.
प्रचंड गर्मी में पेयजल का संकट बड़ी चुनौती
बिहार के कई जिलों में भीषण गर्मी के कारण चिंताजनक स्थिति बनी हुई है. कई जिलों में पेयजल की समस्या बनी हुई है और चापाकल काम नहीं कर रहे हैं. दरभंगा जैसे शहर में दिन में चापाकल से पानी नहीं आ रहा है. अधिकारियों की टीम ने वहां दौरा किया और उसकी जानकारी भी दी. वहीं कृषि विभाग और पशुपालन विभाग के मंत्री प्रेम कुमार का कहना है पेयजल एक बड़ी चुनौती है. सरकार युद्ध स्तर पर इसके लिए काम कर रही है.
बारिश की भविष्यवाणी के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा
बिहार सरकार बारिश के सही-सही आकलन के लिए पूरे प्रदेश में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने जा रही है. मुख्यालय में इसके लिए विशेषज्ञों की टीम तैनात रहेगी. जो मिलने वाले डाटा का स्टडी करेगी. मुख्यमंत्री ने एक दिन पहले ही सुखाड़ को लेकर उच्च स्तरीय बैठक की थी और जल्द ही डीएम के साथ भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करेंगे.
मॉनिटरिंग कर रही अधिकारियों की टीम
अधिकारियों की टीम भी लगातार इसकी मॉनिटरिंग कर रही है. प्रधान सचिव लगातार बैठक कर रहे हैं. लोकसभा चुनाव के कारण इन तैयारियों पर असर भी पड़ा है लेकिन अब सरकार युद्ध स्तर पर पेयजल से निपटने की तैयारी में जुट गई है क्योंकि 26 जून तक मानसून आने की उम्मीद है.