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त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल से खास बातचीत, बोले- बिहार में भी है संविधान की मूल प्रति

संविधान की मूल प्रति की स्पेशल कॉपी पटना स्थित गांधी संग्रहालय में है जो आज भी सुरक्षित है. दर्शकों के लिए उसे खोल दिया गया है. इसे शीशे के बने हुए चेंबर में रखा गया है जिसमें नाइट्रोजन एवं कई केमिकल गैस भरे हुए हैं. बताया जाता है कि नमी को दूर करने के लिए स्पेशल शीशे में संविधान की मूल प्रति को सुरक्षित रखा गया है

प्रो. सिद्धेश्वर प्रसाद से खास बातचीत
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Published : Aug 20, 2019, 11:10 AM IST

पटना: गांधी संग्रहालय स्थित नाईट्रोजन चेंबर में अंग्रेजी और हिंदी में लिखी संविधान की मूल प्रति कांच के चेंबर में रखी गई है. नाइट्रोजन चेंबर में नमी कंट्रोल करने का मीटर लगा हुआ है. साल में एक बार मूल प्रति की जांच की जाती है. त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल प्रो. सिद्धेश्वर प्रसाद इसे दिल्ली से लेकर आये थे.

मूल प्रति का डिजाइन शांतिनिकेतन के कलाकार राम मनोहर सिन्हा और नंदलाल बोस ने तैयार किया था. सबसे खास बात यह है कि संविधान के हर पन्ने पर सोने से डिजाइन की गई है. सिद्धेश्वर प्रसाद कहते हैं कि मूल संविधान गांधी संग्रहालय में सुरक्षित है. उन दिनों संविधान सभा के बाकी सदस्यों को भी संविधान की मूल प्रति का स्पेशल कॉपी प्रिंट करा कर दी गई थी.

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संविधान की मूल प्रति की कॉपी गांधी संग्रहालय में मौजूद

सिद्धेश्वर प्रसाद से खास बातचीत
ईटीवी भारत से खास बातचीत में सिद्धेश्वर प्रसाद ने बताया कि जब मैं 1962 में सांसद बना, तब मैं देश का सबसे युवा सांसद था. मेरे भाषण से खुश होकर जवाहरलाल नेहरू ने मुझे यह स्पेशल कॉपी दिलाई थी. बाद में अमेरिका की एल यूनिवर्सिटी इस स्पेशल कॉपी के लिए मुझे 10 मिलियन डॉलर दे रही थी. लेकिन मैंने इस दुर्लभ कॉपी को नहीं दिया.

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त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल प्रो. सिद्धेश्वर प्रसाद को मिली थी संविधान की मूल प्रति की स्पेशल कॉपी

संविधान की मूल प्रति की कॉपी गांधी संग्रहालय में मौजूद
बाद में संविधान की यह स्पेशल कॉपी बिहार की राजधानी पटना स्थित गांधी संग्रहालय में दे दी गई जो आज भी सुरक्षित है. दर्शकों के लिए उसे खोल दिया गया है. यह शीशे के बने हुए चेंबर में रखा गया है जिसमें नाइट्रोजन एवं कई केमिकल गैस भरे हुए हैं. बताया जाता है कि नमी को दूर करने के लिए स्पेशल शीशे में संविधान की मूल प्रति को सुरक्षित रखा गया है.

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शीशे के चेंबर में रखी गई है मूल कॉपी

231 पृष्ठ की मूल प्रति
सिद्धेश्वर प्रसाद ने बताया कि आज से 70 साल पहले भारत का संविधान तैयार हुआ था. इस संविधान की मूल प्रति दिल्ली के संसद में है जो हाथ से लिखी है. इस प्रति में पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सहित संविधान सभा के सदस्यों के हस्ताक्षर हैं. संविधान की मूल प्रति 231 पृष्ठ की है. यह 31 मार्च 1963 में पटना लाई गई थी.

त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल प्रो. सिद्धेश्वर प्रसाद से खास बातचीत

इसमें 308 सदस्यों के हस्ताक्षर हैं
बताया जाता है कि इसमें 308 सदस्यों के हस्ताक्षर है. संविधान में उन सभी सदस्यों के हस्ताक्षर हैं जो संविधान समिति में थे. इनमें संविधान ड्राफ्ट कमेटी के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर, संविधान निर्माण समिति के अस्थाई अध्यक्ष डॉ. शरद चंद्र सिंहा, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, कन्हैयालाल मुंशी, सी राजगोपालाचारी, सरोजिनी नायडू, विजयालक्ष्मी पंडित, दुर्गाबाई देशमुख आदि के नाम शामिल हैं.

पटना: गांधी संग्रहालय स्थित नाईट्रोजन चेंबर में अंग्रेजी और हिंदी में लिखी संविधान की मूल प्रति कांच के चेंबर में रखी गई है. नाइट्रोजन चेंबर में नमी कंट्रोल करने का मीटर लगा हुआ है. साल में एक बार मूल प्रति की जांच की जाती है. त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल प्रो. सिद्धेश्वर प्रसाद इसे दिल्ली से लेकर आये थे.

मूल प्रति का डिजाइन शांतिनिकेतन के कलाकार राम मनोहर सिन्हा और नंदलाल बोस ने तैयार किया था. सबसे खास बात यह है कि संविधान के हर पन्ने पर सोने से डिजाइन की गई है. सिद्धेश्वर प्रसाद कहते हैं कि मूल संविधान गांधी संग्रहालय में सुरक्षित है. उन दिनों संविधान सभा के बाकी सदस्यों को भी संविधान की मूल प्रति का स्पेशल कॉपी प्रिंट करा कर दी गई थी.

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संविधान की मूल प्रति की कॉपी गांधी संग्रहालय में मौजूद

सिद्धेश्वर प्रसाद से खास बातचीत
ईटीवी भारत से खास बातचीत में सिद्धेश्वर प्रसाद ने बताया कि जब मैं 1962 में सांसद बना, तब मैं देश का सबसे युवा सांसद था. मेरे भाषण से खुश होकर जवाहरलाल नेहरू ने मुझे यह स्पेशल कॉपी दिलाई थी. बाद में अमेरिका की एल यूनिवर्सिटी इस स्पेशल कॉपी के लिए मुझे 10 मिलियन डॉलर दे रही थी. लेकिन मैंने इस दुर्लभ कॉपी को नहीं दिया.

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त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल प्रो. सिद्धेश्वर प्रसाद को मिली थी संविधान की मूल प्रति की स्पेशल कॉपी

संविधान की मूल प्रति की कॉपी गांधी संग्रहालय में मौजूद
बाद में संविधान की यह स्पेशल कॉपी बिहार की राजधानी पटना स्थित गांधी संग्रहालय में दे दी गई जो आज भी सुरक्षित है. दर्शकों के लिए उसे खोल दिया गया है. यह शीशे के बने हुए चेंबर में रखा गया है जिसमें नाइट्रोजन एवं कई केमिकल गैस भरे हुए हैं. बताया जाता है कि नमी को दूर करने के लिए स्पेशल शीशे में संविधान की मूल प्रति को सुरक्षित रखा गया है.

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शीशे के चेंबर में रखी गई है मूल कॉपी

231 पृष्ठ की मूल प्रति
सिद्धेश्वर प्रसाद ने बताया कि आज से 70 साल पहले भारत का संविधान तैयार हुआ था. इस संविधान की मूल प्रति दिल्ली के संसद में है जो हाथ से लिखी है. इस प्रति में पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सहित संविधान सभा के सदस्यों के हस्ताक्षर हैं. संविधान की मूल प्रति 231 पृष्ठ की है. यह 31 मार्च 1963 में पटना लाई गई थी.

त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल प्रो. सिद्धेश्वर प्रसाद से खास बातचीत

इसमें 308 सदस्यों के हस्ताक्षर हैं
बताया जाता है कि इसमें 308 सदस्यों के हस्ताक्षर है. संविधान में उन सभी सदस्यों के हस्ताक्षर हैं जो संविधान समिति में थे. इनमें संविधान ड्राफ्ट कमेटी के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर, संविधान निर्माण समिति के अस्थाई अध्यक्ष डॉ. शरद चंद्र सिंहा, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, कन्हैयालाल मुंशी, सी राजगोपालाचारी, सरोजिनी नायडू, विजयालक्ष्मी पंडित, दुर्गाबाई देशमुख आदि के नाम शामिल हैं.

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जानीए संविधान की मूल प्रति कहां है सुरक्षित, बिहार में लाने के पीछे किसका है योगदान और इसके पीछे क्या है दिलचस्प कहानी
खुद सुनीए ईटीवी भारत पर त्रिपुरा के राज्यपाल रहे सिद्धेश्वर प्रसाद की जुबानी



सिद्धेश्वर प्रसाद ने ही लाया था दिल्ली से संविधान की मूल प्रति, और राजधानी के गांधी संग्रहालय में रखा था,

पटना के गांधी संग्रहालय स्थित नाईट्रोजन चेंबर में अंग्रेजी और हिंदी में लिखी कांच के चेंबर में रखा गया है, नाइट्रोजन नमी कंट्रोल करने का मीटर लगा हुआ है, साल में एक बार नाइट्रोजन निकालकर होती है जांच


संविधान की मूल प्रति में सोने के पत्तियों से हैं की गई है सजावट


Body:त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल प्रोफ़ेसर सिद्धेश्वर प्रसाद कहते हैं कि मूल संविधान दिल्ली में सुरक्षित है, उन दिनों संविधान सभा के बाकी सदस्यों को भी संविधान की प्रति का स्पेशल कॉपी प्रिंट करा कर दी गई थी
जब मैं 1962 में सांसद बना तब मैं देश का सबसे युवा सांसद था, तब मेरे भाषण से खुश होकर जवाहरलाल नेहरू ने मुझे यह स्पेशल कॉपी दिलवाई थी बाद में अमेरिका की एल यूनिवर्सिटी स्पेशल कॉपी के लिए मुझे 10 मिलियन डॉलर दे रही थी लेकिन मैंने इस दुर्लभ कॉफी को नहीं दिया, बाद में संविधान की यह स्पेशल कॉपी बिहार की राजधानी पटना स्थित गांधी संग्रहालय में दान दे दी गई, जो आज भी यहां सुरक्षित है और आम आवाम दर्शकों के लिए उसे खोल दिया गया है, यह संविधान एक शीशे के बने हुए चेंबर में रखा है, जिसमें नाइट्रोजन एवं कई केमिकल गैस भरे हुए रहते हैं, बताया जाता है कि नमी को दूर रखने के लिए स्पेशल शीशे के बने हुए संविधान की मूल प्रति की किताबें उसमें सुरक्षित रखी गई है


Conclusion:आज से 70 साल पहले भारत का संविधान तैयार हुआ था इस संविधान की मूल प्रती दिल्ली के संसद मे है जो हाथ से लिखी है, इस प्रति में पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सहित संविधान सभा के सदस्यों के हस्ताक्षर हैं संविधान की मूल प्रति 231 पृष्ठ वाली है
यह 31 मार्च 1963 में पटना लाई गई थी तब से हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर इसे गांधी संग्रहालय में आने वाले लोगों के लिए अवलोकनार्थ रखा जाता है ।
बताया जाता है कि इस संविधान के प्रति में 308 सदस्यों के हस्ताक्षर है,संविधान में उन सभी सदस्यों के हस्ताक्षर हैं जो संविधान समिति में थे
इनमें संविधान ड्राफ्ट कमेटी के अध्यक्ष डॉ भीमराव अंबेडकर, संविधान निर्माण समिति के अस्थाई अध्यक्ष डॉक्टर शरद चंद्र सिंहा के साथ ही डॉ राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू सरदार वल्लभभाई पटेल, कन्हैयालाल मुंशी, सी राजगोपालाचारी, सरोजिनी नायडू, विजयालक्ष्मी पंडित, दुर्गाबाई देशमुख आदि के नाम शामिल हैं सुनहरे पन्नों वाली स्मृति में 255 लीथो ग्राफी में उतारा गया है
मूल प्रति का डिजाइन शांतिनिकेतन के कलाकार राम मनोहर सिन्हा और नंदलाल बोस ने तैयार किया था और सबसे बड़ी खास बात यह भी है कि संविधान के हर पन्ने पर सोने से बनी हुई डिजाइन की गई है और उसे एक खास तरह के शीशे के चेंबर में रखा गया है त्रिपुरा के राज्यपाल रहे सिद्धेश्वर प्रसाद ने कहा कि मुझे संविधान की कॉपी देश के कई राष्ट्रपतियों ने हम से मांग की थी लेकिन हमने इसे कहीं नहीं दी
बताया जाता है कि अमेरिका में विभिन्न देशों के संविधान को सुरक्षित लाइब्रेरी में रखा जाता है, सिद्धेश्वर प्रसाद ने यह मूल संविधान के प्रति बिहार लाये और बिहार के पटना के गांधी संग्रहालय में से दान दे गई जो आज तक लोग देखते आ रहे हैं



बाईट:-प्रो.सिद्धेश्वर प्रसाद
पूर्व राज्यपाल, त्रिपुरा
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