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भगवान राम से जुड़ी बक्सर की इन प्रमुख जगहों से अयोध्या भेजी जाएगी मिट्टी और गंगाजल - श्री राम जन्मभूमि

रामायण सर्किट सदस्य जगदीश चंद्र पांडे ने बताया कि बक्सर के इस पवित्र भूमि पर राम का जहां-जहां चरण पड़ा था. उन पवित्र स्थलों से मिट्टी को एकत्रित कर और जिस रामरेखा घाट पर भगवान श्रीराम ने स्नान किया था. वहां से उत्तरायणी गंगाजल लेकर अयोध्या जा रहा हूं, ताकि राम मंदिर भूमि पूजन में इसका उपयोग किया जा सके.

बक्सर
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Published : Aug 2, 2020, 7:16 PM IST

बक्सर: अयोध्या स्थित श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण के लिए होने वाली भूमि पूजन को लेकर बक्सर वासियों में काफी उत्साह है. बक्सर वासियों ने उत्तरायणी जीवनदायिनी गंगा नदी का पवित्र जल, विश्वामित्र की तपो भूमि का मिट्टी, भूमि पूजन लिए अयोध्या भेजा है. वहीं बक्सर वासियों ने मंदिर में सहयोग करने के लिए 21 हजार का चेक भी भेजा है.

बक्सर
बक्सर

बता दें कि त्रेता युग में भगवान श्री राम का बक्सर में पहली बार आगमन हुआ था. भगवान श्री राम ने ताड़का, सुबाहु, मारीच आदि राक्षसों का वध कर बक्सर की तपोभूमि को राक्षसों से मुक्त कराया था. विश्वामित्र की पावन नगरी, राम की शिक्षा स्थली के रूप में विख्यात बक्सर में इन दिनों काफी उत्साह देखा जा रहा है.

बक्सर
गुरु विश्वामित्र के साथ राम-लक्ष्मण की तस्वीर

राम से क्या है बक्सर का रिश्ता
कहा जाता है कि प्राचीन काल में व्याघ्रसर अर्थात (बाघों का निवास स्थल) के नाम से विख्यात बक्सर में जब तड़का, सुबाहु, मारीच आदि राक्षसो का उत्पात बढ़ गया था, तब ऋषि विश्वामित्र अयोध्या पहुंचकर श्री राम और लक्ष्मण को लेकर बक्सर आए और उसी समय यज्ञ में बाधा पहुंचा रहे तमाम राक्षसों का वध कर बक्सर को राक्षसों से मुक्त कराया था.

बक्सर
ताड़का वध

श्रीराम ने किया था पंचकोसी यात्रा की शुरुवात
ताड़का राक्षसी का वध करने के बाद नारी हत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए साधु संतों की टोली के साथ भगवान श्री राम ने पंचकोशी यात्रा प्रारंभ की थी और अपने पहले पड़ाव में अहिल्या आश्रम अहिरौली पहुंच कर पत्थर रूपी अहिल्या का उद्धार किया था. दूसरे पड़ाव में नारद मुनि के आश्रम नदाव, तीसरे पड़ाव में भार्गव ऋषि के आश्रम भभुअर, चौथे पड़ाव में उद्दालक ऋषि के आश्रम उनुआंव और अपने अंतिम पांचवें पड़ाव में चरित्रवन स्थित विश्वामित्र ऋषि आश्रम में पहुंचकर लिटी चोखा खाया था. फिर बसावं मठिया पर स्थित विश्राम सरोवर के पास विश्राम किया और यही से मिथिला के लिए प्रस्थान कर गए.

बक्सर
ऋषि-मुनि

बक्सर की भूमि पर श्रीराम का 2 बार हुआ था आगमन
भगवान श्री राम ने सीता हरण के बाद लंका पर चढ़ाई कर रावण का वध किया था. इसके बाद अयोध्या लौटते समय बक्सर में रुक कर ब्रह्म हत्या से मुक्ति पाने के लिए उत्तरायणी गंगा में स्नान किया था. जिसे आज भी राम रेखा घाट के नाम से जाना जाता है. इसी गंगा के तट पर बालू के रेत से उन्होंने भगवान शिव की लिंग का स्थापना किया था. जिसे रामेश्वरम के नाम से आज भी जाना जाता है. त्रेता युग से ही बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, से लाखों श्रद्धालु आकर प्रत्येक वर्ष यहां उत्तरायणी गंगा में स्नान करते हैं और रामेश्वरम मंदिर में पूजा अर्चना करते है.

देखें पूरी रिपोर्ट

क्या कहते है स्थानीय
अयोध्या के लिए रवाना होने से पहले रामायण सर्किट सदस्य जगदीश चंद्र पांडे ने बताया कि बक्सर के इस पवित्र भूमि पर राम का जहां-जहां चरण पड़ा था. उन पवित्र स्थलों से मिट्टी को एकत्रित कर और जिस रामरेखा घाट पर भगवान श्रीराम ने स्नान किया था. वहां से उत्तरायणी गंगाजल लेकर अयोध्या जा रहा हूं, ताकि राम मंदिर भूमि पूजन में इसका उपयोग किया जा सके. वहीं स्थानीय लोगों ने कहा कि बक्सरवासी काफी गौरवान्वित है कि अयोध्या में लम्बे इंतजार के बाद राम मंदिर का निर्माण हो रहा है और बक्सर भी राम मंदिर भूमि पूजन का गवाह बनेगा, क्योकि बक्सर की चर्चा के बिना राम की कहानी अधूरी रह जाती है.

बक्सर के लोग काफी उत्साहित
रामरेखा घाट पर गंगा आरती करने वाले मुख्य पूजरी लाला बाबा ने बताया कि भगवान राम का आगमन बक्सर में 2 बार हुआ था. इसी गंगा घाट पर उत्तरायणी गंगा में स्नान करने के बाद भगवान राम ब्रह्म हत्या से से मुक्त हुए थे. उसी समय से कई प्रदेश के लाखो लोग, पंचकोशी यात्रा, अमावस्या और पूर्णिमा के अवसर पर इस रामरेखा घाट पर स्नान करते है. बता दें कि राम मंदिर निर्माण को लेकर बक्सर वासियों में काफी उत्साह है. यही कारण है कि यहां से गंगा का पवित्र जल, मिट्टी और मंदिर निर्माण में सहयोग राशि भेंट कर लोग खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.

बक्सर: अयोध्या स्थित श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण के लिए होने वाली भूमि पूजन को लेकर बक्सर वासियों में काफी उत्साह है. बक्सर वासियों ने उत्तरायणी जीवनदायिनी गंगा नदी का पवित्र जल, विश्वामित्र की तपो भूमि का मिट्टी, भूमि पूजन लिए अयोध्या भेजा है. वहीं बक्सर वासियों ने मंदिर में सहयोग करने के लिए 21 हजार का चेक भी भेजा है.

बक्सर
बक्सर

बता दें कि त्रेता युग में भगवान श्री राम का बक्सर में पहली बार आगमन हुआ था. भगवान श्री राम ने ताड़का, सुबाहु, मारीच आदि राक्षसों का वध कर बक्सर की तपोभूमि को राक्षसों से मुक्त कराया था. विश्वामित्र की पावन नगरी, राम की शिक्षा स्थली के रूप में विख्यात बक्सर में इन दिनों काफी उत्साह देखा जा रहा है.

बक्सर
गुरु विश्वामित्र के साथ राम-लक्ष्मण की तस्वीर

राम से क्या है बक्सर का रिश्ता
कहा जाता है कि प्राचीन काल में व्याघ्रसर अर्थात (बाघों का निवास स्थल) के नाम से विख्यात बक्सर में जब तड़का, सुबाहु, मारीच आदि राक्षसो का उत्पात बढ़ गया था, तब ऋषि विश्वामित्र अयोध्या पहुंचकर श्री राम और लक्ष्मण को लेकर बक्सर आए और उसी समय यज्ञ में बाधा पहुंचा रहे तमाम राक्षसों का वध कर बक्सर को राक्षसों से मुक्त कराया था.

बक्सर
ताड़का वध

श्रीराम ने किया था पंचकोसी यात्रा की शुरुवात
ताड़का राक्षसी का वध करने के बाद नारी हत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए साधु संतों की टोली के साथ भगवान श्री राम ने पंचकोशी यात्रा प्रारंभ की थी और अपने पहले पड़ाव में अहिल्या आश्रम अहिरौली पहुंच कर पत्थर रूपी अहिल्या का उद्धार किया था. दूसरे पड़ाव में नारद मुनि के आश्रम नदाव, तीसरे पड़ाव में भार्गव ऋषि के आश्रम भभुअर, चौथे पड़ाव में उद्दालक ऋषि के आश्रम उनुआंव और अपने अंतिम पांचवें पड़ाव में चरित्रवन स्थित विश्वामित्र ऋषि आश्रम में पहुंचकर लिटी चोखा खाया था. फिर बसावं मठिया पर स्थित विश्राम सरोवर के पास विश्राम किया और यही से मिथिला के लिए प्रस्थान कर गए.

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ऋषि-मुनि

बक्सर की भूमि पर श्रीराम का 2 बार हुआ था आगमन
भगवान श्री राम ने सीता हरण के बाद लंका पर चढ़ाई कर रावण का वध किया था. इसके बाद अयोध्या लौटते समय बक्सर में रुक कर ब्रह्म हत्या से मुक्ति पाने के लिए उत्तरायणी गंगा में स्नान किया था. जिसे आज भी राम रेखा घाट के नाम से जाना जाता है. इसी गंगा के तट पर बालू के रेत से उन्होंने भगवान शिव की लिंग का स्थापना किया था. जिसे रामेश्वरम के नाम से आज भी जाना जाता है. त्रेता युग से ही बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, से लाखों श्रद्धालु आकर प्रत्येक वर्ष यहां उत्तरायणी गंगा में स्नान करते हैं और रामेश्वरम मंदिर में पूजा अर्चना करते है.

देखें पूरी रिपोर्ट

क्या कहते है स्थानीय
अयोध्या के लिए रवाना होने से पहले रामायण सर्किट सदस्य जगदीश चंद्र पांडे ने बताया कि बक्सर के इस पवित्र भूमि पर राम का जहां-जहां चरण पड़ा था. उन पवित्र स्थलों से मिट्टी को एकत्रित कर और जिस रामरेखा घाट पर भगवान श्रीराम ने स्नान किया था. वहां से उत्तरायणी गंगाजल लेकर अयोध्या जा रहा हूं, ताकि राम मंदिर भूमि पूजन में इसका उपयोग किया जा सके. वहीं स्थानीय लोगों ने कहा कि बक्सरवासी काफी गौरवान्वित है कि अयोध्या में लम्बे इंतजार के बाद राम मंदिर का निर्माण हो रहा है और बक्सर भी राम मंदिर भूमि पूजन का गवाह बनेगा, क्योकि बक्सर की चर्चा के बिना राम की कहानी अधूरी रह जाती है.

बक्सर के लोग काफी उत्साहित
रामरेखा घाट पर गंगा आरती करने वाले मुख्य पूजरी लाला बाबा ने बताया कि भगवान राम का आगमन बक्सर में 2 बार हुआ था. इसी गंगा घाट पर उत्तरायणी गंगा में स्नान करने के बाद भगवान राम ब्रह्म हत्या से से मुक्त हुए थे. उसी समय से कई प्रदेश के लाखो लोग, पंचकोशी यात्रा, अमावस्या और पूर्णिमा के अवसर पर इस रामरेखा घाट पर स्नान करते है. बता दें कि राम मंदिर निर्माण को लेकर बक्सर वासियों में काफी उत्साह है. यही कारण है कि यहां से गंगा का पवित्र जल, मिट्टी और मंदिर निर्माण में सहयोग राशि भेंट कर लोग खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.

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