पटनाः हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. महिला दिवस के अवसर पर हम आज बात करेंगे बिहार की एक ऐसी बेटी की जिन्होंने महिलाओं और लोगों को शिक्षा के प्रति जागरुक करने के लिए साइकिल (Travelled All Over India By Cycle) से 29 राज्यों का भ्रमण किया. देश के कई हिस्सों में जाकर महिलाओं को उनके हक और अधिकारों को समझाया. बिहार के जमुई की रहने वाली समाज सेविका तबस्सुम अली (Social Worker Tabassum Ali) ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की और अपने मिशन के बारे में बताया.
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साइकल से 173 दिनों में 29 राज्यों का भ्रमणः समाजिक सेविका तबस्सुम अली बताया कि वो 2017 में साइकल से देश भ्रमण पर निकली थीं, जिन्होंने 173 दिनों में 29 राज्यों का भ्रमण कर लोगों के बीच जागरूकता अभियान चालाया और बिहार लौटीं. अपने भ्रमण के दौरान स्कूल और सामाजिक संस्था की मदद से लोगों को जागरूक करने का काम किया. ये समाज में महिलाओं और लड़कियों को जागरूक करने के लिए हमेशा प्रयास करती रहती हैं. खास कर ये शिक्षा के प्रति लोगों को जागरुक करती हैं. हालांकि तबस्सुम ने जब ये करना शुरू किया तो उनका भी घर और बाहर में विरोध हुआ कि अकेली लड़की कैसे करेगी कहां जाएगी, लेकिन उन्होंने अपने मन की सुनी और ठान लिया कि जो वो चाहती हैं, उसे करके रहेंगी.
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तबस्सुम अली कहती हैं- हमारे देश में विधवा महिलाओं, यह किसी कारणवश किसी लड़की की शादी नहीं हो पाई हो, या तलाकशुदा महिलाओं को लोग दूसरे दृष्टि से देखते हैं. इसके प्रति लोगों की सोच बदलने के लिए वो साइकिल यात्रा के बाद 2019 में बाइक से देश भ्रमण पर निकली थीं. बाइक से देश भ्रमण पर निकलने का एक मेन मकसद था कि भारत में एकल महिलाओं, विधवा, तलाकशुदा, उम्र दराज और अविवाहित महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जा सके. वो महिलाएं किसी पर बोझ ना बनें.
अकेले किया बाइक से 5000 किलोमीटर भ्रमणः तबस्सुम ने बाइक यात्रा 2019 में शुरुआत की थी और बिहार के नाम एक रिकॉर्ड बनाना चाहती थीं. 15 दिनों में उन्होंने 5000 किलोमीटर अकेले भ्रमण किया था. लेकिन पंजाब में बाइक एक्सीडेंट होने के कारण यह सपना पूरा नहीं हो पाया. उसके बाद कोरोना संक्रमण काल के कारण बाइक भ्रमण पर नहीं निकल सकीं. उन्होंने बताया कि उनकी जिज्ञासा है कि बाइक से पूरे देश की यात्रा करें. लेकिन अब थोड़ी सी आर्थिक परेशानी आ रही है. पेट्रोल के दामों में भी काफी इजाफा हो गया है, जिस कारण से अभी हिम्मत नहीं जुटा पा रही हैं. ऐसे में अगर किसी के द्वारा सहयोग मिलता है, तो फिर से एक बार बाइक से देश भ्रमण पर निकलेंगी.
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तबस्सुम अली ने कहा कि भले ही अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. लेकिन महिलाओं को आज भी उतनी आजादी नहीं मिली है. लोग आज भी महिलाओं को उसी दृष्टि से देखते हैं. जब तक महिलाओं के प्रति लोगों की सोच नहीं बदलेगी तब तक महिला दिवस मनाने का कोई मतलब नहीं बनता है. आदिकाल से महिलाएं खेतों में काम करती थीं और घर भी चलाती थी. परिवार की देख भाल करती हैं. महिलाएं शुरू से ही सशक्त रही हैं. लेकिन महिलाओं के प्रति पहले भी सोच नहीं बदली और आज भी सोच वही है. ऐसे में तबस्सुम ने कहा कि महिलाएं जो कुछ करना चाहती हैं, उनको उसकी आजादी मिले. महिला और पुरुष दोनों को एक बराबर देखा जाना चाहिए. तब जाकर महिला दिवस मनाने का सपना पूरा होगा.
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