पटना: बिहार राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष दिलमणी मिश्रा के साथ सभी सदस्यों का कार्यकाल बीते 31 अक्टूबर के बाद समाप्त हो गया. 30 अक्टूबर को आयोग के सदस्य और अध्यक्ष ने मिलकर कुल 25 मामले की सुनवाई की. वहीं, अगली सुनवाई के लिए आयोग की तरफ से अगले साल जनवरी और फरवरी माह में समय दी गई. लेकिन जानकारी के अभाव में अभी भी पीड़ित महिलाएं आयोग के ऑफिस पहुंच रही हैं. महिला आयोग की अध्यक्ष के पास फोन के माध्यम से सभी दिन कई मामले आ रहे हैं.
महिला आयोग के सभी सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद समाज कल्याण विभाग ने महिला आयोग कार्यालय के बाहर एक नोटिस चिपका दिया. जिसमें बताया गया है कि बिहार सरकार की ओर से 24 अक्टूबर 2017 को गठित बिहार राज्य महिला आयोग का कार्यकाल 31 अक्टूबर 2020 को समाप्त हो गया है. अब आयोग में किसी भी मामले की सुनवाई अगले आदेश तक स्थगित कर दी गई है. जब तक नई कमेटी गठित नहीं होती तब तक किसी भी मामले की सुनवाई नहीं की जाएगी.
मामले को सिर्फ किया जाएगा फाइल
समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की मानें तो आयोग भंग हो जाने के बाद अब किसी भी केस की सुनवाई नहीं होगी. यदि कोई नया केस आएगा तो उसे सिर्फ फाइल किया जा सकता है. उस पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं हो सकती और ना ही कोई फैसला लिया जा सकता है.
ऑनलाइन दे सकते हैं आवेदन
हालांकि पीड़िता महिला आयोग की वेबसाइट पर जाकर अपनी समस्याओं को ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से दर्ज करवा सकती है. उस पर आयोग के पुनर्गठन के बाद ही सुनवाई होगी. वहीं, महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष ने बताया कि अब जो मामले आएंगे उन में जनवरी या फरवरी की तारीख दी जा रही है. उम्मीद है तब तक आयोग नए सिरे से गठित हो जाएगा. उन्होंने बताया कि अब तक जितने भी मामले आयोग में आए हैं उनमें समाधान कर पीड़ितों को न्याय दिलाने की हर संभव कोशिश की गई है.
पीड़ित महिलाओं की शिकायत पर सुनवाई
बता दें कि राज्य सरकार के समाज कल्याण विभाग की ओर से पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए सरकार ने महिला आयोग का गठन किया है. जिसमें एक अध्यक्ष के अलावा कई सदस्य होती है, जो पीड़ित महिलाओं की शिकायत पर सुनवाई करती है. लेकिन अध्यक्ष सहित इन सभी सदस्यों का कार्यकाल मात्र 3 साल का होता है.