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मंत्री श्रवण कुमार का दावा- 'जीविका से आत्मनिर्भर हो रही हैं बिहार की महिलाएं' - जीविका समूह को बैंकों से ऋण

मंत्री श्रवण कुमार (Minister Shravan Kumar) ने कहा कि बिहार सरकार जीविका (Jeevika) के माध्यम से स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) बनाकर महिलाओं को आत्मनिर्भर कर रही है. साथ ही उन्होंने बैंक के रवैये पर भी नाराजगी जताई. पढ़े रिपोर्ट..

पटना
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Published : Sep 22, 2021, 9:36 PM IST

पटना: बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार (Minister Shravan Kumar) ने दावा किया कि बिहार में महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं. ये काम सरकार जीविका (Jeevika) के माध्यम से स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) बनाकर कर रही है. उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य था कि बिहार में 10 लाख स्वयं सहायता समूह बनाकर महिलाओं को आत्मनिर्भर करें. हम लक्ष्य से आगे बढ़ गए हैं.

ये भी पढ़ें- बोले मंत्री श्रवण कुमार- 'उद्योगपतियों पर मेहरबान बैंक जीविका समूह के लिए भी खोलें दिल'

बिहार में अब तक जीविका के माध्यम से 10 लाख 27 हजार स्वयं सहायता समूह बनाये गए हैं, जिससे 1 करोड़ 29 लाख परिवारों को जोड़ा गया है. उन्होंने कहा कि गांव की महिला अब अपनी रोटी, बच्चों को पढ़ाने और इलाज के लिए किसी महाजन से कर्ज नहीं लेती हैं, बल्कि अपने स्वयं सहायता समूह के द्वारा उन्हें पैसे मिलते हैं. उनका काम निरंतर हो रहा है. सरकार चाहती है कि सकल घरेलू उत्पाद दर को बढ़ाया जाए और इसमें जीविका की भूमिका महत्वपूर्ण होगी.

देखें वीडियो

''जीविका के द्वारा बनाये गए स्वयं सहायता समूह को लेकर बैंकों का रवैया ठीक नहीं है. जीविका दीदियों का जो बैंकों से कारोबार होता है, उसके ऋण का रिकवरी रेट 98 प्रतिशत है. फिर भी कई बैंक अभी तक इनको ऋण नहीं देती है, जिससे स्वयं सहायता समूह पर कहीं ना कहीं असर पड़ रहा है, लेकिन बावजूद इसके स्वयं सहायता समूह अच्छा काम कर रहा है.''- श्रवण कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री, बिहार सरकार

ये भी पढ़ें- जीविका दीदियों को भुगतान के लिए सरकार गंभीर: श्रवण कुमार

मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि हमारा लक्ष्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का है, जिस पर हम आगे बढ़ रहे हैं. ज्यादा से ज्यादा गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और रोजगार देने का हमारा लक्ष्य है. महिलाओं को आगे बढ़ाने को लेकर सरकार लगातार काम कर रही है.

बता दें कि बिहार में जीविका समूहों के जरिए तकरीबन 1 करोड़ से भी ज्यादा परिवार जुड़े हुए हैं. ग्रामीण विकास विभाग द्वारा इन जीविका समूह को संचालित किया जाता है. बिहार सरकार इन समूहों के जरिए कई कामों में सहयोग लेती है. जीविका समूह बैंकों से ऋण लेकर कई तरह के लघु, कुटीर और घरेलू उद्योग का काम करती हैं. लेकिन, बैंकों की उदासीनता के कारण आज भी जीविका समूह को पर्याप्त मात्रा में समय पर ऋण मुहैया नहीं कराया जाता है.

पटना: बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार (Minister Shravan Kumar) ने दावा किया कि बिहार में महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं. ये काम सरकार जीविका (Jeevika) के माध्यम से स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) बनाकर कर रही है. उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य था कि बिहार में 10 लाख स्वयं सहायता समूह बनाकर महिलाओं को आत्मनिर्भर करें. हम लक्ष्य से आगे बढ़ गए हैं.

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बिहार में अब तक जीविका के माध्यम से 10 लाख 27 हजार स्वयं सहायता समूह बनाये गए हैं, जिससे 1 करोड़ 29 लाख परिवारों को जोड़ा गया है. उन्होंने कहा कि गांव की महिला अब अपनी रोटी, बच्चों को पढ़ाने और इलाज के लिए किसी महाजन से कर्ज नहीं लेती हैं, बल्कि अपने स्वयं सहायता समूह के द्वारा उन्हें पैसे मिलते हैं. उनका काम निरंतर हो रहा है. सरकार चाहती है कि सकल घरेलू उत्पाद दर को बढ़ाया जाए और इसमें जीविका की भूमिका महत्वपूर्ण होगी.

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''जीविका के द्वारा बनाये गए स्वयं सहायता समूह को लेकर बैंकों का रवैया ठीक नहीं है. जीविका दीदियों का जो बैंकों से कारोबार होता है, उसके ऋण का रिकवरी रेट 98 प्रतिशत है. फिर भी कई बैंक अभी तक इनको ऋण नहीं देती है, जिससे स्वयं सहायता समूह पर कहीं ना कहीं असर पड़ रहा है, लेकिन बावजूद इसके स्वयं सहायता समूह अच्छा काम कर रहा है.''- श्रवण कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री, बिहार सरकार

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मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि हमारा लक्ष्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का है, जिस पर हम आगे बढ़ रहे हैं. ज्यादा से ज्यादा गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और रोजगार देने का हमारा लक्ष्य है. महिलाओं को आगे बढ़ाने को लेकर सरकार लगातार काम कर रही है.

बता दें कि बिहार में जीविका समूहों के जरिए तकरीबन 1 करोड़ से भी ज्यादा परिवार जुड़े हुए हैं. ग्रामीण विकास विभाग द्वारा इन जीविका समूह को संचालित किया जाता है. बिहार सरकार इन समूहों के जरिए कई कामों में सहयोग लेती है. जीविका समूह बैंकों से ऋण लेकर कई तरह के लघु, कुटीर और घरेलू उद्योग का काम करती हैं. लेकिन, बैंकों की उदासीनता के कारण आज भी जीविका समूह को पर्याप्त मात्रा में समय पर ऋण मुहैया नहीं कराया जाता है.

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