पटना: केंद्र सरकार ने आतंकवाद पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार ने यूएपीए कानून को और कठोर बनाया है. इसके तहत आतंकवाद पर प्रभावी नियंत्रण के दावे किए जा रहे हैं. वहीं इस संशोधित कानून का विरोध भी शुरू हो गया है. राजद ने नए कानून की तुलना रौलेट एक्ट से की है.
नए यूएपीए एक्ट पर सियासत
आतंकी गतिविधियों पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित करने के लिए बनाए गए कठोर यूएपीए पर बवाल छिड़ गया है. कानून के कड़े प्रावधान को लेकर आवाज भी उठने लगी है. राजद ने कड़े कानून से दुरुपयोग की तरफ इशारा किया है. राजद उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि इस तरह का कानून रौलेट एक्ट आज से 100 साल पहले बना था. जब आजादी के लिए संघर्ष जारी था. रौलेट एक्ट के खिलाफ बापू ने पूरे देश में हड़ताल किया. इसी रौलेट एक्ट का आधुनिक संस्करण है यह यूएपीए संशोधित कानून.
यूएपीए कानून को लेकर निशाने पर सीएम नीतीश
जेडीयू अध्यक्ष और सूबे के मुखिया सीएम नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए राजद नेता ने कहा कि गांधी के आदर्शों पर चलने का दंभ भरते हैं. लेकिन इसी कानून को लागू करने वाला बिहार पहला राज्य बन जाए उनको शोभा नहीं देता. राजद उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि नीतीश कुमार को भी कानून का विरोध करना चाहिए.
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नए UAPA एक्ट में अनंत सिंह हैं पहले आरोपी
गौरतलब है कि संशोधित यूएपीए कानून के तहत अनंत सिंह पर केस दर्ज कर लिया गया है. केस दर्ज होने के साथ ही अनंत सिंह यूएपीए एक्ट के पहले आरोपी बन गए हैं. हाल ही में संसद ने यूएपीए एक्ट में संशोधन किया है. संशोधन के बाद बिहार में अनंत सिंह पहले आरोपी हैं. अनंत सिंह के पैतृक घर नदवां से पुलिस ने एके-47 और हैंड ग्रनेड बरामद किया था. जिसके बाद इस कानून के तहत उनपर बाढ़ थाने में केस दर्ज किया गया.
क्या है UAPA संशोधन विधेयक?
यूएपीए बिल के तहत केंद्र सरकार किसी भी संगठन को आतंकी संगठन घोषित कर सकती है.
- 1. आतंक से जुड़े किसी भी मामले में उसकी सहभागिता या किसी तरह का कोई कनेक्शन पाया जाता है.
- 2. आतंकवाद को बढ़ावा देना
- 3. आतंकवाद की तैयारी
- 4. आतंकी गतिविधियों में किसी अन्य तरह की संलिप्तता
NIA को मिलेंगे असीमित अधिकार
- विधेयक राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी NIA को असीमित अधिकार देता है. सरकार सबूत नहीं होने की हालत में भी सिर्फ शक के आधार पर ही किसी को आतंकी घोषित कर सकती है.
- एनआईए के अफसरों को ज्यादा अधिकार दिए गए हैं. अब ऐसे किसी भी मामले की जांच इंस्पेक्टर रैंक या उससे ऊपर के अफसर कर सकते हैं.
- इसके लिए सिर्फ एनआईए के महानिदेशक से अनुमति लेनी होगी.
- एनआईए के महानिदेशक को ऐसी संपत्तियों को कब्जे में लेने और उनकी कुर्की करने का अधिकार मिल जाएगा जिनका आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल किया गया.
- अब एनआईए को ये अधिकार होगा कि वो किसी भी राज्य में जाकर रेड कर सकता है.
- इसके अलावा यूएपीए विधेयक सरकार को यह अधिकार देता है कि किसी को भी व्यक्तिगत तौर पर आतंकवादी घोषित कर सकता है.