पटना: नये साल की शुरूआत के साथ राजनीतिक पार्टियां 2020 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाने में जुट गई हैं. साल के अंत में हुये झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे एक तरफ जहां बीजेपी को निराश करने वाले रहे तो वहीं इस साल होने वाले चुनावों ने विपक्ष के लिये उम्मीद जगाई है. हालांकि राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने ये जरूर माना कि 2019 का साल विपक्ष के उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा लेकिन अगले साल बड़े स्तर पर बदलाव देखने को मिलेंगे.
2019 का साल विपक्षी पार्टियों के लिये बेहतर साबित नहीं हुआ. लोकसभा चुनावों में जहां विपक्ष पूरी तरह नाकाम साबित रहा, वहीं आम चुनावों के बाद हुये उपचुनावों में भी विपक्ष कुछ खास नहीं कर सका. चाहे विभिन्न मुद्दों पर रणनीति की बात हो या फिर लोकसभा चुनाव में विपक्ष का प्रदर्शन, हर लिहाज से बिहार में विपक्ष बैकफुट पर रहा. हालांकि साल के अंत में झारखंड चुनाव के नतीजों ने विपक्ष के नेताओं को थोड़ी राहत जरूर दी. अब नए साल में विपक्ष, सत्ता पक्ष को पछाड़ने की तैयारी कर रहा है. हालांकि विपक्ष की एकजुटता बिहार में अभी भी संदेह के घेरे में है.
'एनडीए का वोट प्रतिशत हुआ कम'
ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि झारखंड में राजद भले ही सिर्फ एक सीट जीत पाया हो लेकिन बाकी 6 सीटों पर हार-जीत का अंतर बहुत मामूली रहा. वहीं झारखंड में एनडीए का वोट प्रतिशत काफी कम हो गया. इस लिहाज से देखा जाए तो विपक्ष बेहतर स्थिति में हैं और हम यह रणनीति बना रहे हैं कि किस तरह से बिहार में इस साल हमारी सरकार बने.
विपक्ष की एकजुटता महत्वपूर्ण
राजद नेता ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून और नेशनल पापुलेशन रजिस्टर को लेकर राजद का आंदोलन रंग ला रहा है. 5 और 11 जनवरी को राष्ट्रीय जनता दल फिर से सड़क पर उतर रहा है. हालांकि शिवानंद तिवारी ने विपक्ष की एकजुटता के सवाल पर कहा कि पिछले कुछ सालों में भले ही विपक्ष महागठबंधन की बात करता रहा हो लेकिन चुनाव के वक्त महागठबंधन के सभी दलों में बिखराव देखने को मिलता है. गठबंधन वाली दलों के बीच आपस में वोट ट्रांसफर नहीं हो पाता. इस समस्या से निपटने के लिये हम रणनीति बना रहे हैं.