भागलपुर: बिहार के भागलपुर में अंधविश्वास ने एक मासूम की जान ले ली थी, जब एक संपेरा ताबीज बेचकर सांप से सुरक्षा का दावा कर रहा था. उसने एक लड़के को ताबीज पहनाकर सांप से सुरक्षित रहने का झांसा दिया और उसके गले में सांप लपेट दिया. लेकिन ताबीज का जादू नहीं चला और सांप ने लड़के को डस लिया, जिससे उसकी मौत हो गई. 13 साल बाद, कोर्ट ने इस अंधविश्वासी धोखे के लिए संपेरे को 10 साल की सजा सुनाई है.
क्या कहा कोर्ट ने: सजायाफ्ता सपेरे का नाम मो. शमसुल है. वह पीरपैंती थानाक्षेत्र के खानपुर गोविंदपुर का रहने वाला है. भागलपुर व्यवहार न्यायालय के एडीजे-14 विवेक कुमार की अदालत ने सपेरे को 10 साल कैद की सजा सुनाई. विवेक कुमार की अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद गैर इरादतन हत्या में सपेरा मो. शमसुल को 10 साल की कैद और 1 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई. सरकार की ओर से वकील मुहम्मद अकबर खां ने बहस में भाग लिया. घटना वर्ष 2011 की है.
क्या है घटनाः मो शमसुल अपने कई सांपों को लेकर पीरपैंती के ओलापुर पंचायत के दुलदुलिया गांव में ताबीज बेचने के लिए पहुंचा था. उसने डमरू और बांसुरी बजा कर काफी भीड़ इकट्ठा की. उस भीड़ में से दुलदुलिया गांव के राजेंद्र राम बिंद के पुत्र दिवाकर राम बिंद भी आगे में खड़ा था. इस बीच शमसुल ने दिवाकर को अपनी तरफ हाथ पकड़ कर खींच लिया. सपेरे ने कुछ नहीं होने की बात कहते हुए ताबीज के ढेर से एक ताबीज दिवाकर को दिया और बोला ताबीज के रहते कोई सांप तेरा बाल-बांका नहीं कर सकता.
13 साल बाद आया फैसलाः इसके बाद सपेरे ने पिटारे से एक विषधर सांप निकाला और दिवाकर के गले में लपेट दिया. इसके कुछ देर बाद ही सांप ने दिवाकर को डस लिया. इस दौरान सपेरा मो शमसुल ने उसे बचाने का प्रयास किया, लेकिन दिवाकर की मौके पर ही मौत हो गई. उस घटना की बाबत शमसुल के विरुद्ध गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज कराया गया. इसी मामले में 13 साल बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया.
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