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नए साल के स्वागत में पूरा देश तैयार, मोबाइल के जमाने में खत्म हुआ ग्रीटिंग कार्ड का दौर - मोबाइल पर शुभकामनाएं

एक दौर था जब लोग क्रिसमस और न्यू ईयर पर लोग एक-दूसरे को ग्रीटिंग कार्ड से बधाई देते थे. लेकिन अब देश डिजिटल होते जा रहा है और इसके साथ ही कई पुरानी चीजें पीछे छूटती जा रही है.

खत्म हुआ ग्रीटिंग्स कार्ड का दौर
खत्म हुआ ग्रीटिंग्स कार्ड का दौर
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Published : Dec 28, 2019, 1:17 PM IST

नवादा: खुश‍ियों, उमंगों और नई आशाओं के साथ पूरा देश नए साल 2020 का स्वागत करने को तैयार है. ऐसे में एक दौर में लोगों के बीच ग्रीटिंग कार्ड का एक अलग ही क्रेज हुआ करता था. लेकिन सोशल मीडिया के आने के बाद लोगों में इसका क्रेज अब लगभग खत्म हो चुका है.

जिस वजह से एक तबके के लोग एक झटके में बेरोजगार हो गए. नवादा में एक स्थानीय दुकानदार ने ईटीवी भारत की टीम से बात करते हुए कहा कि अब देश देश डिजिटल इंडिया की राह पर चल चुका है. यह उपयोग में तो काफी सरल है. लेकिन इस वजह से ग्रीटिंग्स का बाजार अब लगभग खत्म हो चुका है.

ग्रीटिंग्स कार्ड
ग्रीटिंग्स कार्ड

'भावनात्मक टच हुआ खत्म'
एक दौर था जब लोग क्रिसमस और न्यू ईयर पर लोग एक-दूसरे को ग्रीटिंग कार्ड से बधाई देते थे. लेकिन अब देश डिजिटल होते जा रहा है और इसके साथ ही कई पुरानी चीजें पीछे छूटती जा रही है. स्थानीय युवा अक्षय और बबलू कुमार बताते है कि एक समय था जब दिसंबर के समय में लोग ग्रीटिंग कार्ड खरीदने के लिए चक्कर लगाते फिरते थे. लेकिन मोबाइल के आते ही सब खत्म हो चुका है. मोबाइल से लोग तेज-त्वरित संदेश तो भेज देते है. लेकिन भावनात्मक टच समाप्त हो चुका है.

पेश है एक खास रिपोर्ट

'रोजगार पर लगा ग्रहण'
इस बाबात स्थानीय दुकानदार राहुल कुमार बताते है कि मोबाईल से कई चीजें सुलभ तो हुई, लेकिन हमारे रोजगार पर ग्रहण लग गया. पहले दिसंबर महिने के शुरू होते ही लोगों की भीड़ दुकान पर बढ़ जाती थी. लेकिन अब ग्रीटिंग कार्ड का दौर समाप्त हो चुका है.अब इसकी बिक्री प्रतिशत 10 प्रतिशत से भी कम हो चुकी है.

ग्रीटिंग्स कार्ड दुकानदार
ग्रीटिंग्स कार्ड दुकानदार

डिजिटल का है जमाना
गौरतलब है कि सोशल मीडिया और ऑनलाइन के चलते अब लोग मोबाइल पर शुभकामनाएं देने लगे हैं. अब न तो कोई ग्रीटिंग्स खरीदना चाहता है और ना हो कोई इसे लेना चाहता है. ऐसे में इनमें सबसे बुरा हाल इन रोजगार से जुड़े लोगों का हैं.

नवादा: खुश‍ियों, उमंगों और नई आशाओं के साथ पूरा देश नए साल 2020 का स्वागत करने को तैयार है. ऐसे में एक दौर में लोगों के बीच ग्रीटिंग कार्ड का एक अलग ही क्रेज हुआ करता था. लेकिन सोशल मीडिया के आने के बाद लोगों में इसका क्रेज अब लगभग खत्म हो चुका है.

जिस वजह से एक तबके के लोग एक झटके में बेरोजगार हो गए. नवादा में एक स्थानीय दुकानदार ने ईटीवी भारत की टीम से बात करते हुए कहा कि अब देश देश डिजिटल इंडिया की राह पर चल चुका है. यह उपयोग में तो काफी सरल है. लेकिन इस वजह से ग्रीटिंग्स का बाजार अब लगभग खत्म हो चुका है.

ग्रीटिंग्स कार्ड
ग्रीटिंग्स कार्ड

'भावनात्मक टच हुआ खत्म'
एक दौर था जब लोग क्रिसमस और न्यू ईयर पर लोग एक-दूसरे को ग्रीटिंग कार्ड से बधाई देते थे. लेकिन अब देश डिजिटल होते जा रहा है और इसके साथ ही कई पुरानी चीजें पीछे छूटती जा रही है. स्थानीय युवा अक्षय और बबलू कुमार बताते है कि एक समय था जब दिसंबर के समय में लोग ग्रीटिंग कार्ड खरीदने के लिए चक्कर लगाते फिरते थे. लेकिन मोबाइल के आते ही सब खत्म हो चुका है. मोबाइल से लोग तेज-त्वरित संदेश तो भेज देते है. लेकिन भावनात्मक टच समाप्त हो चुका है.

पेश है एक खास रिपोर्ट

'रोजगार पर लगा ग्रहण'
इस बाबात स्थानीय दुकानदार राहुल कुमार बताते है कि मोबाईल से कई चीजें सुलभ तो हुई, लेकिन हमारे रोजगार पर ग्रहण लग गया. पहले दिसंबर महिने के शुरू होते ही लोगों की भीड़ दुकान पर बढ़ जाती थी. लेकिन अब ग्रीटिंग कार्ड का दौर समाप्त हो चुका है.अब इसकी बिक्री प्रतिशत 10 प्रतिशत से भी कम हो चुकी है.

ग्रीटिंग्स कार्ड दुकानदार
ग्रीटिंग्स कार्ड दुकानदार

डिजिटल का है जमाना
गौरतलब है कि सोशल मीडिया और ऑनलाइन के चलते अब लोग मोबाइल पर शुभकामनाएं देने लगे हैं. अब न तो कोई ग्रीटिंग्स खरीदना चाहता है और ना हो कोई इसे लेना चाहता है. ऐसे में इनमें सबसे बुरा हाल इन रोजगार से जुड़े लोगों का हैं.

Intro:समरी- डिजिटल युग आते ही ग्रीटिंग्स कार्ड बाजार से करीब-करीव गायब ही हो गया। छोटे-छोटे दुकानदार का रोजी-रोटी का जरिया खत्म हो गया। हालांकि, लोगों को अब संदेश भेजने का सस्ता और सुलभ जरिया मिल गया है लेकिन वो भावनात्मक टच इससे नहीं मिल पा रहा है



नवादा। देश डिजिटल इंडिया हो होते जा रहा है पुरानी चीजें पीछे छूटती जा रही है। जी हां, कुछ ऐसा ही नजारा दिख रहा है पुराने साल खत्म होने पर और नए वर्ष के आगमन पर। एक समय था जब दिसम्बर के महीने आते ही लोग ग्रीटिंग कार्ड खरीदने के लिए चक्कर लगाते फिरते थे। मन में शंकाएं बनी रहती थी कि कहीं ग्रीटिंग कार्ड्स खत्म ना हो जाए। पर अब न वो समय रहा न ग्रीटिंग्स कार्ड का दौर। मोबाइल के आते ही सब खत्म हो गया। जिससे ग्रीटिंग्स कार्ड विक्रेता मायूस है

उनका कहना है, पहले दिसम्बर आते ही दुकान में ग्रीटिंग्स कार्ड का डिमांड बढ़ जाता था आमदनी भी अच्छी खासी हो जाती थी लेकिन जब से मोबाइल आया है तब ग्रीटिंग्स प्रचलन लगभग खत्म ही हो चुका है। अब तो 10 प्रतिशत भी सेल नहीं हो रहा है।


बाइट- राहुल कुमार, दुकानदार




Body:वहीं युवाओं का कहना है, मोबाइल का जमाना है ग्रीटिंग का क्या जरूरत है सारा कुछ मोबाइल से ही चला जाता है व्हाट्सएप पर तरह-तरह के ऐप्स भी आ गए हैं।

बाइट- अक्षय कुमार, स्थानीय युवा

लेकिन, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो ग्रीटिंग्स को भूल नहीं पाए हैं उनका कहना है, नव वर्ष पर ग्रीटिंग्स कार्ड भेजने का आंनद ही कुछ अलग था आज के युग मे व्हाट्सएप पर लोग भेजते हैं उसमें वो मज़ा नहीं आता है।

बाइट- बब्लू कुमार, स्थानीय लोग

सोशल मीडिया की प्रचलन में गुम हो गई ग्रीटिंग्स

सोशल मीडिया के बढ़ते प्रचलन में ग्रीटिंग कार्ड की परंपरा कहीं गुम सी हो गई है पहले जहां लोग दिसम्बर शुरू होते ही ग्रीटिंग कार्ड भेजने की तैयारी में जुट जाते थे लेकिन आज लोग व्हाट्सएप तथा फेसबुक के जरिए शुभकामनाएं भेज रहे हैं।

दुकानदारों के आमदनी पर लगा सेंध

इससे ना केवल ग्रीटिंग्स कार्ड की परंपरा समाप्त हुई बल्कि दुकानदार को इससे होनेवाली आमदनी का जरिया भी खत्म हो गया है। दिसंबर महीने आते ही बाजारों में ग्रीटिंग कार्ड की दुकानें सज जाती थी लेकिन जबसे मोबाइल आया तब से ग्रीटिंग्स कार्ड का डिमांड खत्म हो गया।

धन की बचत, डिलीवरी का नो टेंशन

इसके पीछे का एक मात्र कारण सोशल मीडिया का प्रचलन बढ़ना है। अब के समय में कोई शहर, गांव या घर परिवार नहीं है जिसके पास एंड्रॉयड मोबाइल न हो। हर कोई सोशल मीडिया पर सक्रिय है अब उन्हें धन की बचत भी हो रही है साथ ही इस बात का भी भय नहीं है कि डाक विभाग डाक विभाग से डिलीवरी मिल पाएगी की नहीं।





Conclusion:ग्रीटिंग्स कार्ड एक ऐसा जरिया था जिससे लोग भावनात्मक रूप से जुड़ जाते थे लेकिन इस डिजिटल युग में नव वर्ष पर संदेश भेजना सस्ता और सुलभ तो हो गया लेकिन वो भावनात्मक टच नहीं दे पाई है। कभी छोटे-छोटे सीजनल दुकानदार का रोजी रोटी का जरिया हुआ करता था ग्रीटिंग्स लेकिन अब ऐसा नहीं रहा।
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