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कोरोना इफेक्ट: बाहर से पटना आने वाले सचिवालयकर्मियों को नीतीश कुमार ने दी छुट्टी

कोरोना को लेकर राज्य सरकार काफी एहतियात बरत रही है. इसी को लेकर राज्य सरकार ने राजधानी पटना के बाहर से आने वाले सचिवालय कर्मियों को छुट्टी दे दी है. लेकिन पटना में रहने वाले कर्मचारी अल्टरनेट डे की व्यवस्था के तहत आते रहेंगे. इसके अलावे हरेक जिले में मरीजों को समुचित चिकित्सा के लिए नियंत्रण कक्ष की स्थापना होगी.

पटना
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Published : Mar 22, 2020, 7:31 AM IST

Updated : Mar 22, 2020, 8:00 AM IST

पटना: कोरोना वायरस को लेकर सरकार एहतियात बरत रही है. इसके लिए बिहार सरकार हरेक दिन एक नया कदम उठा रही है. इस बार सरकार ने सचिवालय कर्मियों को बड़ी राहत दी है. पटना शहर से बाहर जाने वाले तमाम सचिवालय कर्मियों को अवकाश दे दी गई है. इस बाबत सामान्य प्रशासन विभाग में चिट्ठी जारी कर दी गई है.

सचिवालय कर्मियों के छुट्टी के लिए सभी विभाग को चिट्ठी जारी की गई है. जारी चिट्ठी में कहा गया है कि वैसे कर्मचारी जो पटना शहर में नहीं रहते हैं और वह ट्रेन की यात्रा का ऑफिस पहुंचते हैं. उन्हें अगले आदेश तक अवकाश प्रदान की गई है. सबसे बड़ी बात यह है कि उनके छुट्टी की गणना नहीं की जाएगी मतलब साफ है की सीएएल की कटौती नहीं होगी. हालांकि पटना शहर में रहने वाले कर्मी अल्टरनेट डे की व्यवस्था के तहत आते रहेंगे.

हरेक जिलों में बनेंगे नियंत्रण कक्ष
बता दें कि बिहार सरकार ने राज्यभर में सरकारी कर्मचारियों के लिए ऑफिस में कार्य करने के लिए अल्टरनेट डे की व्यवस्था शुरू की है. इसके अलावे सरकार ने कोरोना की आशंका वाले लोगों की बढ़ती संख्या को देखते हुए निर्णय लिया है कि मरीजों को समुचित चिकित्सा के लिए हर जिले में नियंत्रण कक्ष की स्थापना होगी. स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए सभी जिला अधिकारी और सिविल सर्जन को पत्र लिखा है.

पटना
जारी किया गया लेटर

नियंत्रण कक्ष में 24 घंटे चिकित्सीय सेवा उपलब्ध
उप स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने कहा है कि कोरोना को लेकर लोगों को जागरूक करने और गंभीर मामलों में सही समय पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए जिलों में जिला नियंत्रण कक्ष बनाया जाए. इन नियंत्रण कक्षों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए. हर नियंत्रण कक्ष में कम से कम 5 हंटिंग लाइन रहे. जिले के वरीय प्रशासनिक पदाधिकारी को उस कक्ष का प्रभारी नियुक्त किया जाए. नियंत्रण कक्ष में दो डॉक्टरों के साथ 5 पारा मेडिकल कर्मियों की सेवा 24 घंटे के लिए लगाई जाएगी. यदि कोई गंभीर मरीज जिला नियंत्रण कक्ष में इलाज के लिए फोन करता है तो चिकित्सा कक्ष में प्रतिनियुक्त डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ, सरकारी अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को सूचित करते हुए उन्हें चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराएंगे. यदि कोई गंभीर मरीज है तो उसके संबंध में भी ठोस कदम उठाए जाएंगे.

जिलाधिकारी प्रेस के माध्यम से देंगे जानकारी
इसके साथ ही टेलीफोन पर सूचना मिलते ही नियंत्रण कक्ष के डॉक्टर संबंधित व्यक्ति के घर जाएंगे और उसे चिकित्सीय सलाह देंगे. प्रधान सचिव ने इस कार्य के लिए पर्याप्त संख्या में वाहन उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए हैं. साथ ही यह भी निर्देश है कि जिलाधिकारी नियंत्रण कक्ष बनने के बाद इसकी जानकारी प्रेस के माध्यम से लोगों को देंगे. जिसमें यह बताया जाएगा की नियंत्रण कक्ष के क्या क्या कार्य हैं.

पटना: कोरोना वायरस को लेकर सरकार एहतियात बरत रही है. इसके लिए बिहार सरकार हरेक दिन एक नया कदम उठा रही है. इस बार सरकार ने सचिवालय कर्मियों को बड़ी राहत दी है. पटना शहर से बाहर जाने वाले तमाम सचिवालय कर्मियों को अवकाश दे दी गई है. इस बाबत सामान्य प्रशासन विभाग में चिट्ठी जारी कर दी गई है.

सचिवालय कर्मियों के छुट्टी के लिए सभी विभाग को चिट्ठी जारी की गई है. जारी चिट्ठी में कहा गया है कि वैसे कर्मचारी जो पटना शहर में नहीं रहते हैं और वह ट्रेन की यात्रा का ऑफिस पहुंचते हैं. उन्हें अगले आदेश तक अवकाश प्रदान की गई है. सबसे बड़ी बात यह है कि उनके छुट्टी की गणना नहीं की जाएगी मतलब साफ है की सीएएल की कटौती नहीं होगी. हालांकि पटना शहर में रहने वाले कर्मी अल्टरनेट डे की व्यवस्था के तहत आते रहेंगे.

हरेक जिलों में बनेंगे नियंत्रण कक्ष
बता दें कि बिहार सरकार ने राज्यभर में सरकारी कर्मचारियों के लिए ऑफिस में कार्य करने के लिए अल्टरनेट डे की व्यवस्था शुरू की है. इसके अलावे सरकार ने कोरोना की आशंका वाले लोगों की बढ़ती संख्या को देखते हुए निर्णय लिया है कि मरीजों को समुचित चिकित्सा के लिए हर जिले में नियंत्रण कक्ष की स्थापना होगी. स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए सभी जिला अधिकारी और सिविल सर्जन को पत्र लिखा है.

पटना
जारी किया गया लेटर

नियंत्रण कक्ष में 24 घंटे चिकित्सीय सेवा उपलब्ध
उप स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने कहा है कि कोरोना को लेकर लोगों को जागरूक करने और गंभीर मामलों में सही समय पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए जिलों में जिला नियंत्रण कक्ष बनाया जाए. इन नियंत्रण कक्षों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए. हर नियंत्रण कक्ष में कम से कम 5 हंटिंग लाइन रहे. जिले के वरीय प्रशासनिक पदाधिकारी को उस कक्ष का प्रभारी नियुक्त किया जाए. नियंत्रण कक्ष में दो डॉक्टरों के साथ 5 पारा मेडिकल कर्मियों की सेवा 24 घंटे के लिए लगाई जाएगी. यदि कोई गंभीर मरीज जिला नियंत्रण कक्ष में इलाज के लिए फोन करता है तो चिकित्सा कक्ष में प्रतिनियुक्त डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ, सरकारी अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को सूचित करते हुए उन्हें चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराएंगे. यदि कोई गंभीर मरीज है तो उसके संबंध में भी ठोस कदम उठाए जाएंगे.

जिलाधिकारी प्रेस के माध्यम से देंगे जानकारी
इसके साथ ही टेलीफोन पर सूचना मिलते ही नियंत्रण कक्ष के डॉक्टर संबंधित व्यक्ति के घर जाएंगे और उसे चिकित्सीय सलाह देंगे. प्रधान सचिव ने इस कार्य के लिए पर्याप्त संख्या में वाहन उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए हैं. साथ ही यह भी निर्देश है कि जिलाधिकारी नियंत्रण कक्ष बनने के बाद इसकी जानकारी प्रेस के माध्यम से लोगों को देंगे. जिसमें यह बताया जाएगा की नियंत्रण कक्ष के क्या क्या कार्य हैं.

Last Updated : Mar 22, 2020, 8:00 AM IST
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