पटनाः बिहार में बड़ी संख्या में बेरोजगारों की फौज नौकरी के इंतजार में हैं. इनमें से बड़ी संख्या ऐसे युवाओं की है जो किसी न किसी सरकारी नौकरी के लिए वर्षों से प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी में लगे हैं. बिहार लोक सेवा आयोग, बिहार कर्मचारी चयन आयोग या फिर बिहार तकनीकी सेवा आयोग कहीं भी बड़ी संख्या में बहाली नहीं निकली. कई बार बहाली निकली भी तो कई सालों तक चयन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई. आखिर सरकारी नौकरी को लेकर बिहार में क्यों फंसा है मामला देखिए रिपोर्ट...
रोजगार सृजन को लेकर प्रस्ताव पर मुहर
बिहार विधानसभा चुनाव में सरकारी नौकरी एक बड़ा मुद्दा बनी थी. इसे लेकर दबाव में आई एन डी ए ने तब युवाओं को रोजगार के अवसर देने की घोषणा की थी. बीजेपी ने 19 लाख रोजगार देने का वायदा किया. सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार ने दूसरी कैबिनेट बैठक में 20 लाख रोजगार सृजन को लेकर प्रस्ताव पर मुहर लगाई. इसके मुताबिक रोजगार के अवसर का सृजन होगा. इसके लिए युवाओं को स्किल डेवलपमेंट के जरिए स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जाएगा. ऐसे में अब सवाल सरकारी नौकरी का है.
"सरकार 19 लाख रोजगार देने की बात करती है और सरकारी नौकरी के नाम पर फंड नहीं होने का बहाना बनाती है. लेकिन उनके पास जेडीयू दफ्तर में कर्पूरी भवन बनाने के लिए डेढ़ करोड़ रुपये आ गए. नीतीश सरकार के पास अलग-अलग जगह पर भवन निर्माण के लिए पैसे हैं, लेकिन सरकारी नौकरी देने के लिए और युवाओं की बेरोजगारी दूर करने के नाम पर वह फंड का रोना रोते हैं."- श्याम रजक, पूर्व मंत्री
"नीतीश सरकार युवाओं की नौकरी के संकट को दूर करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. डेढ़ करोड़ से ज्यादा 35 वर्ष तक उम्र के सभी युवाओं को सरकारी नौकरी देना संभव नहीं है. लेकिन उनके रोजगार के लिए सरकार प्रयास कर रही है."- राजीव रंजन, प्रवक्ता, जेडीयू
"सरकार अगर अन्य मदों में मिलने वाले फंड को डायवर्ट करके अपनी सुविधा के हिसाब से खर्च कर रही है तो फिर यही राशि युवाओं को नौकरी देने के नाम पर खर्च क्यों नहीं होती है? बिहार के विभिन्न विभागों में जो पद रिटायरमेंट से खाली हो रहे हैं वह फिर से भरे नहीं जा रहे हैं. सरकार रोजगार देने की बात तो करती है लेकिन सरकारी नौकरी के नाम पर राशि का रोना रोती है, इससे सरकार की इच्छाशक्ति पर सवाल खड़े होते हैं"- डॉ संजय कुमार, शिक्षाविद
बिहार में सरकारी नौकरी की संभावनाएं
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने दावा किया कि पांच लाख पद वर्तमान में विभिन्न विभागों में खाली पड़े हैं, जबकि अन्य पांच लाख सरकारी नौकरी देने की बिहार में संभावना है. शिक्षा विभाग में करीब ढाई लाख पद और इतने ही पद स्वास्थ्य विभाग में भी खाली पड़े हैं. इसके अलावा पुलिस और सचिवालय के विभिन्न भागों में बड़ी संख्या में ग्रुप सी और डी के पद खाली पड़े हैं. सरकार रोजगार सृजन की बात तो कर रही है, लेकिन विभागों में खाली पड़े पद को भरने की ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है. ऐसे में सरकारी का रवैया लोगों को सोचने पर मजबूर कर रहा है.