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Basant Panchami 2021: शुभ संयोग में करें देवी सरस्वती की पूजा, बरसेगी कृपा

बसंत पंचमी को श्री पंचमी भी कहा जाता है. इस दिन छात्र-छात्राएं विद्या की देवी सरस्वती की आराधना करते हैं.

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Published : Feb 16, 2021, 7:27 AM IST

पटनाः पूरे देश में मंगलवार को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है. खासकर उत्तर भारत के कई जिलों में यह धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की अराधना की जाती है. शिक्षण संस्थानों में विशेष रूप में इस त्योहार को मनाया जाता है.

बच्चों की शिक्षा शुरू करने के लिए शुभ दिन
सरस्वती पूजा के दिन से ही वसंत ऋतु की शुरुआत होती है. बच्चों की शिक्षा और किसी तरह के शिक्षण और कला संबंधी कामों के लिए इसे काफी शुभ माना जाता है. मां सरस्वती को पीला और सफेद रंग प्रिय है. इसिलिए भक्त इन्हीं रंग के कपड़े पहनकर मां की पूजा करते हैं.

मां सरस्वती के उत्पत्ति की कथा
मान्यताओं के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को देवी सरस्वती ब्रह्माजी के कमंडल के जल से उत्पन्न हुईं थी. ब्रह्माजी ने उन्हें संसार के सभी जीवों को वाणी प्रदान करने को कहा था. इसके बाद से ही हर साल इस दिन मां शारदा की पूजा अर्चना की जाती है.

कला और संगीत की देवी
कथा के अनुसार, माता सरस्वती ने अपनी वाणी से संगीत की उत्पत्ति की. इसकी वजह से उन्हें कला और संगीत की देवी कहा जाता है. मां सरस्वती की पूजा में पीले और सफेद रंग की मिठाई, फूल, केसर, चंदन, अक्षत का विशेष महत्व होता है.

ये भी पढ़ेः जल्द आ रहा है भोजपुरी का पहला पॉडकास्ट 'धरती मैया', जलवायु परिवर्तन के प्रति किया जाएगा जागरूक

पूजा का शुभ मुहूर्त
बसंत पंचमी के मौके पर इस बार रवि योग और अमृत सिद्धि योग का खास संयोग बन रहा है. इस बार पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक है. इस मुहुर्त में पूजा करने से भक्तों को मनोवांक्षित फल की प्रप्ति होगी.

पटनाः पूरे देश में मंगलवार को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है. खासकर उत्तर भारत के कई जिलों में यह धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की अराधना की जाती है. शिक्षण संस्थानों में विशेष रूप में इस त्योहार को मनाया जाता है.

बच्चों की शिक्षा शुरू करने के लिए शुभ दिन
सरस्वती पूजा के दिन से ही वसंत ऋतु की शुरुआत होती है. बच्चों की शिक्षा और किसी तरह के शिक्षण और कला संबंधी कामों के लिए इसे काफी शुभ माना जाता है. मां सरस्वती को पीला और सफेद रंग प्रिय है. इसिलिए भक्त इन्हीं रंग के कपड़े पहनकर मां की पूजा करते हैं.

मां सरस्वती के उत्पत्ति की कथा
मान्यताओं के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को देवी सरस्वती ब्रह्माजी के कमंडल के जल से उत्पन्न हुईं थी. ब्रह्माजी ने उन्हें संसार के सभी जीवों को वाणी प्रदान करने को कहा था. इसके बाद से ही हर साल इस दिन मां शारदा की पूजा अर्चना की जाती है.

कला और संगीत की देवी
कथा के अनुसार, माता सरस्वती ने अपनी वाणी से संगीत की उत्पत्ति की. इसकी वजह से उन्हें कला और संगीत की देवी कहा जाता है. मां सरस्वती की पूजा में पीले और सफेद रंग की मिठाई, फूल, केसर, चंदन, अक्षत का विशेष महत्व होता है.

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पूजा का शुभ मुहूर्त
बसंत पंचमी के मौके पर इस बार रवि योग और अमृत सिद्धि योग का खास संयोग बन रहा है. इस बार पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक है. इस मुहुर्त में पूजा करने से भक्तों को मनोवांक्षित फल की प्रप्ति होगी.

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