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Sant Ravidas Jayanti 2022 : मसौढ़ी में मनाई गई संत रविदास की 645वीं जयंती - Sant Ravidas Jayanti 2022

संत रविदास की 645वीं जयंती देश भर में मनाई जा रही है. पटना के मसौढ़ी (Sant Ravidas Jayanti In Masaurhi Patna) में भी लोगों ने संत रविदास को नमन किया और उनके बताए मार्गों पर चलने का प्रण लिया.

sant ravidas jayanti in Masaurhi Patna
sant ravidas jayanti in Masaurhi Patna
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Published : Feb 16, 2022, 4:28 PM IST

पटना: मान्यता है कि संत रविदास का जन्म माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) के दिन हुआ था. 16 फरवरी को माघ पूर्णिमा मनाई जा रही है, ऐसे में आज का दिन संत रविदास की जयंती (Sant Ravidas Jayanti 2022) के ​रूप में भी सेलिब्रेट किया जाता है. पूरे देश भर में संत रविदास जयंती के मौके पर जगह-जगह पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. ऐसे में पटना के ग्रामीण इलाकों में भी धूमधाम से संत रविदास की जयंती मनाई गई. मसौढ़ी के संघतपर एवं बरनी गांव में संत रविदास जयंती समारोह का आयोजन किया गया. इस मौके पर लोगों ने छुआछूत को मिटाने के लिए संत रविदास द्वारा किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से संत रविदास की महिमा का गुणगान किया गया.

पढ़ें- Sant Ravidas Jayanti 2022: आज मनाई जा रही है रविदास जयंती, पढ़ें उनके अमृत विचार

कार्यक्रम के आयोजन में शामिल लोगों ने कहा कि, महापुरुषों के जीवन से हमें भाईचारा कायम रखने की सीख मिलती है. संत रविदास ने काम को महत्व दिया और गंगा स्नान के बारे में कहा था कि, मन चंगा तो कठौती में गंगा जो आज पूरे विश्व भर में प्रचलित है. पूरे देश भर में लोग बड़े धूमधाम से उनके विचारों को आज संकल्प लेते दिख रहे हैं. जयंती के अवसर पर रविदास समाज के लोगों ने संकल्प लिया कि समाज में छुआछूत मिटा कर लोगों को शिक्षित बनने के प्रति जागरूक करेंगे.

कई लोगों ने कहा कि, मन चंगा तो कठौती में गंगा के वाक्यों से समाज को दिशा देने वाले संत रविदास को प्रेरणा मानकर हर कोई अपने जीवन में संकल्प ले कि, समाज में एकजुटता लाएंगे, लोगों को जागरूक करेंगे, छुआछूत मिटायेंगे. इस मौके पर मसौढ़ी नगर परिषद के अध्यक्ष रानी कुमारी, समाजसेवी सरिता पासवान, रंजू यादव ,मोहम्मद अरफराज साहिल, मनोज यादव, सत्येंद्र कुमार समेत सैकड़ों लोग शामिल रहे.

पढ़ें- सीतामढ़ी: अंबेडकर स्थल पर संत रविदास जयंती को लेकर कार्यक्रम का आयोजन

कहा जाता है कि संत रविदास का जन्म चर्मकार कुल में हुआ था, इसलिए वे जूते बनाने का काम करते थे. वे किसी भी काम को छोटा या बड़ा नहीं समझते थे. इसलिए हर काम को पूरे मन और लगन से करते थे. उनका मानना था कि किसी भी काम को पूरे शुद्ध मन और निष्ठा के साथ ही करना चाहिए, ऐसे में उसका परिणाम भी हमेशा अच्छा ही होगा. रविदास जाति की बजाय मानवता में यकीन रखते थे और सभी को एक समान मानते थे. उनका मानना था कि परमात्मा ने ​इंसान की रचना की है, सभी इंसान समान हैं और उनके अधिकार भी समान हैं. न कोई ऊंचा होता है और न ही कोई नीचा होता है.

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पटना: मान्यता है कि संत रविदास का जन्म माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) के दिन हुआ था. 16 फरवरी को माघ पूर्णिमा मनाई जा रही है, ऐसे में आज का दिन संत रविदास की जयंती (Sant Ravidas Jayanti 2022) के ​रूप में भी सेलिब्रेट किया जाता है. पूरे देश भर में संत रविदास जयंती के मौके पर जगह-जगह पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. ऐसे में पटना के ग्रामीण इलाकों में भी धूमधाम से संत रविदास की जयंती मनाई गई. मसौढ़ी के संघतपर एवं बरनी गांव में संत रविदास जयंती समारोह का आयोजन किया गया. इस मौके पर लोगों ने छुआछूत को मिटाने के लिए संत रविदास द्वारा किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से संत रविदास की महिमा का गुणगान किया गया.

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कार्यक्रम के आयोजन में शामिल लोगों ने कहा कि, महापुरुषों के जीवन से हमें भाईचारा कायम रखने की सीख मिलती है. संत रविदास ने काम को महत्व दिया और गंगा स्नान के बारे में कहा था कि, मन चंगा तो कठौती में गंगा जो आज पूरे विश्व भर में प्रचलित है. पूरे देश भर में लोग बड़े धूमधाम से उनके विचारों को आज संकल्प लेते दिख रहे हैं. जयंती के अवसर पर रविदास समाज के लोगों ने संकल्प लिया कि समाज में छुआछूत मिटा कर लोगों को शिक्षित बनने के प्रति जागरूक करेंगे.

कई लोगों ने कहा कि, मन चंगा तो कठौती में गंगा के वाक्यों से समाज को दिशा देने वाले संत रविदास को प्रेरणा मानकर हर कोई अपने जीवन में संकल्प ले कि, समाज में एकजुटता लाएंगे, लोगों को जागरूक करेंगे, छुआछूत मिटायेंगे. इस मौके पर मसौढ़ी नगर परिषद के अध्यक्ष रानी कुमारी, समाजसेवी सरिता पासवान, रंजू यादव ,मोहम्मद अरफराज साहिल, मनोज यादव, सत्येंद्र कुमार समेत सैकड़ों लोग शामिल रहे.

पढ़ें- सीतामढ़ी: अंबेडकर स्थल पर संत रविदास जयंती को लेकर कार्यक्रम का आयोजन

कहा जाता है कि संत रविदास का जन्म चर्मकार कुल में हुआ था, इसलिए वे जूते बनाने का काम करते थे. वे किसी भी काम को छोटा या बड़ा नहीं समझते थे. इसलिए हर काम को पूरे मन और लगन से करते थे. उनका मानना था कि किसी भी काम को पूरे शुद्ध मन और निष्ठा के साथ ही करना चाहिए, ऐसे में उसका परिणाम भी हमेशा अच्छा ही होगा. रविदास जाति की बजाय मानवता में यकीन रखते थे और सभी को एक समान मानते थे. उनका मानना था कि परमात्मा ने ​इंसान की रचना की है, सभी इंसान समान हैं और उनके अधिकार भी समान हैं. न कोई ऊंचा होता है और न ही कोई नीचा होता है.

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