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Bihar Politics: संत कबीर के नाम पर आयोजन, सवाल- आखिर किसके कबीर ! - संत कबीर महोत्सव 28 मई को पटना में

कभी अंबेडकर जयंती तो कभी संत कबीर तो कभी भामाशाह के नाम पर जयंती के बहाने पार्टियां वोट बैंक को अपने पाले में करने में लगी हैं. आरजेडी की ओर से भी लगातार महापुरुषों को याद किया जा रहा है. आरजेडी ने संत कबीर महोत्सव का आयोजन 28 मई को राजधानी के ज्ञान भवन के बापू सभागार में किया है. जानें मायने

Sant Kabir Mahotsav
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Published : May 25, 2023, 6:46 PM IST

पटना में संत कबीर महोत्सव का आयोजन

पटना: महापुरुषों और संत के नाम पर कार्यक्रम का आयोजन होना बड़ी बात नहीं है. लगभग सभी दल इन महापुरुषों और संतों के नाम पर वोट का गुणा गणित देखती है और आयोजन कराती है. इसमें किसी भी तरह के नाम को छोड़ा नहीं जा सकता. ताजा चर्चा राष्ट्रीय जनता दल के विधायक चंद्रहास चौपाल के द्वारा पान समाज की तरफ से संत कबीर के नाम पर आयोजित किए जाने वाले महोत्सव की है. इस महोत्सव के मुख्य अतिथि डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव हैं.

पढ़ें- Patna News: राजद का अम्बेडकर पर परिचर्चा, भाई वीरेंद्र ने बीजेपी पर किया हमला

28 मई को पटना में संत कबीर महोत्सव का आयोजन: दरअसल राष्ट्रीय जनता दल की तरफ से पिछले कुछ दिनों में एक के बाद एक कई ऐसे आयोजन हुए जो महापुरुषों या संत समाज के ऊपर आधारित हैं. पार्टी ने पिछले महीने संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के नाम पर प्रदेश कार्यालय में परिचर्चा का आयोजन भी किया, जिसमें बड़ी संख्या में पार्टी के बड़े नेताओं के अलावा अन्य क्षेत्रों के बड़े नाम भी शामिल हुए. इस परिचर्चा के बाद पार्टी ने एक कदम और बढ़ते हुए डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के विचारों को आमजन तक पहुंचाने के लिए प्रखंड स्तर पर आयोजन भी किया जो अभी जारी भी है.

आरजेडी करेगा आयोजन: पार्टी का कहना है कि डॉक्टर अंबेडकर के विचारों को उन लोगों तक पहुंचाना है, जो अभी भी समाज में काफी पिछड़े हुए हैं. डॉक्टर अंबेडकर के विचारों को जानने के बाद ही उनमें जागृति की भावना आएगी. इसके बाद पार्टी ने दानवीर भामाशाह के नाम पर कार्यक्रम का आयोजन किया. अब चर्चा संत कबीर के नाम पर आयोजित होने वाले महोत्सव की हो रही है.

वोट बैंक की राजनीति!: क्या पार्टी संत कबीर के नाम पर ओबीसी या ओबीसी समाज के लोगों को अपनी तरफ साधना चाहती है? इस बात पर पार्टी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने खुलकर कुछ भी नहीं कहा. दरअसल संत कबीर महोत्सव का आयोजन 28 मई को राजधानी के ज्ञान भवन के बापू सभागार में किया गया है. इस आयोजन को लेकर जो पोस्टर तैयार किया गया है उसमें भीमराव अंबेडकर के साथ ही संत कबीर, लक्ष्मण खनवे, सुंदर ततमा और झलकारी बाई के साथ ही मुकुंद राम तांती और रविंद्र कुमार तांती का भी नाम हैं. आयोजन की अध्यक्षता राष्ट्रीय जनता दल के मधेपुरा के सिंघेश्वर के विधायक चंद्रहास चौपाल कर रहे हैं, जबकि संयोजक युवा राजद के प्रदेश महासचिव डॉक्टर सूरज कुमार दास हैं.

दलित वोटरों पर नजर: लोकसभा और बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, ऐसा लग रहा है कि राज्य की तमाम जातियों को अपनी तरफ गोलबंद करने के लिए तमाम पार्टियां तेजी दिखा रही हैं. बिहार में अति पिछड़ी जाति के मतदाता चुनाव में अहम भूमिका अदा करते हैं. यह बात अलग है कि अलग-अलग आंकलन में अति पिछड़ी जातियों की संख्या अलग-अलग बताई जाती है. लेकिन अनुमानित और मोटे तौर पर बिहार के कुल मतदाताओं में करीब 25% अति पिछड़ी जातियां हैं. सारी कवायद इन जातियों को साधने को लेकर की जा रही है. वहीं अगर दलित वोटरों पर नजर डालें तो राज्य में करीब 16% दलित वोटर्स हैं. इन वोटरों में ही अपनी पैठ को बनाने के लिए आरजेडी ने पहले अंबेडकर परिचर्चा की और अब पान चौपाल का आयोजन किया जा रहा है.

'अंबेडकर के विचारों को हर घर तक पहुंचाना मकसद': मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि हमारी पार्टी के द्वारा अंबेडकर परिचर्चा पर बड़ा आयोजन हो रहा है. यह केवल राज्य जिला और प्रखंड की बात नहीं है. डॉक्टर बीआर अंबेडकर के विचारों को हर घर तक पहुंचाना है, यह बड़ी लड़ाई है. महापुरुषों को याद करके हम उनके विचारों को आत्मसात करते हैं. उनको धरातल पर उतारने का प्रयास करते हैं. यही सबसे बड़ी खासियत हमारी पार्टी और युवा नेता तेजस्वी प्रसाद यादव की है. हालांकि मृत्युंजय तिवारी यह भी कहते हैं कि हर चीज को वोट की नजर से नहीं देखना चाहिए. कुछ ऐसे महापुरुष हैं, जिनके विचार आज भी समाज के लिए टॉनिक का काम करते हैं.

"आयोजन से यह संदेश स्पष्ट है कि देश की आजादी में या समाज सुधार में योगदान रहा है. उनको याद करते हैं. चाहे उनकी पुण्यतिथि हो या फिर जयंती. संत कबीर के विषय में आज के नौजवानों को जानना चाहिए. तेजस्वी यादव भी लगातार कहते रहे हैं कि हम ऐसे महापुरुषों को याद करते हैं. हम अपने पुरखों को याद करते हैं. आने वाली पीढ़ी संत कबीर के विचारों को भुलाती जा रही है. संत कबीर के विचारों को याद करने के लिए ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन हमारी पार्टी के कार्यकर्ता और नेता करते हैं. आयोजन हो रहा है, यह अच्छी बात है."- मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता, आरजेडी

"चाहे जो भी दल हो, वह चुनावी मोड में आ गए हैं. राष्ट्रीय जनता दल भी चुनावी मूड में है और तेजस्वी प्रसाद यादव के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनता दल कुछ नया करने के की फिराक में है. निश्चित रूप से कभी अंबेडकर जयंती तो कभी संत कबीर कभी भामाशाह के नाम पर जयंती के बहाने निशाना साधने की कोशिश की जा रही है. यह चुनावी गणित है. राष्ट्रीय जनता दल ऐसा करके छोटे-छोटे गांव को साधेगी. क्या प्रदर्शन होगा और स्ट्राइक रेट क्या होगा? वह चुनाव में पता चलेगा."- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

पटना में संत कबीर महोत्सव का आयोजन

पटना: महापुरुषों और संत के नाम पर कार्यक्रम का आयोजन होना बड़ी बात नहीं है. लगभग सभी दल इन महापुरुषों और संतों के नाम पर वोट का गुणा गणित देखती है और आयोजन कराती है. इसमें किसी भी तरह के नाम को छोड़ा नहीं जा सकता. ताजा चर्चा राष्ट्रीय जनता दल के विधायक चंद्रहास चौपाल के द्वारा पान समाज की तरफ से संत कबीर के नाम पर आयोजित किए जाने वाले महोत्सव की है. इस महोत्सव के मुख्य अतिथि डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव हैं.

पढ़ें- Patna News: राजद का अम्बेडकर पर परिचर्चा, भाई वीरेंद्र ने बीजेपी पर किया हमला

28 मई को पटना में संत कबीर महोत्सव का आयोजन: दरअसल राष्ट्रीय जनता दल की तरफ से पिछले कुछ दिनों में एक के बाद एक कई ऐसे आयोजन हुए जो महापुरुषों या संत समाज के ऊपर आधारित हैं. पार्टी ने पिछले महीने संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के नाम पर प्रदेश कार्यालय में परिचर्चा का आयोजन भी किया, जिसमें बड़ी संख्या में पार्टी के बड़े नेताओं के अलावा अन्य क्षेत्रों के बड़े नाम भी शामिल हुए. इस परिचर्चा के बाद पार्टी ने एक कदम और बढ़ते हुए डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के विचारों को आमजन तक पहुंचाने के लिए प्रखंड स्तर पर आयोजन भी किया जो अभी जारी भी है.

आरजेडी करेगा आयोजन: पार्टी का कहना है कि डॉक्टर अंबेडकर के विचारों को उन लोगों तक पहुंचाना है, जो अभी भी समाज में काफी पिछड़े हुए हैं. डॉक्टर अंबेडकर के विचारों को जानने के बाद ही उनमें जागृति की भावना आएगी. इसके बाद पार्टी ने दानवीर भामाशाह के नाम पर कार्यक्रम का आयोजन किया. अब चर्चा संत कबीर के नाम पर आयोजित होने वाले महोत्सव की हो रही है.

वोट बैंक की राजनीति!: क्या पार्टी संत कबीर के नाम पर ओबीसी या ओबीसी समाज के लोगों को अपनी तरफ साधना चाहती है? इस बात पर पार्टी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने खुलकर कुछ भी नहीं कहा. दरअसल संत कबीर महोत्सव का आयोजन 28 मई को राजधानी के ज्ञान भवन के बापू सभागार में किया गया है. इस आयोजन को लेकर जो पोस्टर तैयार किया गया है उसमें भीमराव अंबेडकर के साथ ही संत कबीर, लक्ष्मण खनवे, सुंदर ततमा और झलकारी बाई के साथ ही मुकुंद राम तांती और रविंद्र कुमार तांती का भी नाम हैं. आयोजन की अध्यक्षता राष्ट्रीय जनता दल के मधेपुरा के सिंघेश्वर के विधायक चंद्रहास चौपाल कर रहे हैं, जबकि संयोजक युवा राजद के प्रदेश महासचिव डॉक्टर सूरज कुमार दास हैं.

दलित वोटरों पर नजर: लोकसभा और बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, ऐसा लग रहा है कि राज्य की तमाम जातियों को अपनी तरफ गोलबंद करने के लिए तमाम पार्टियां तेजी दिखा रही हैं. बिहार में अति पिछड़ी जाति के मतदाता चुनाव में अहम भूमिका अदा करते हैं. यह बात अलग है कि अलग-अलग आंकलन में अति पिछड़ी जातियों की संख्या अलग-अलग बताई जाती है. लेकिन अनुमानित और मोटे तौर पर बिहार के कुल मतदाताओं में करीब 25% अति पिछड़ी जातियां हैं. सारी कवायद इन जातियों को साधने को लेकर की जा रही है. वहीं अगर दलित वोटरों पर नजर डालें तो राज्य में करीब 16% दलित वोटर्स हैं. इन वोटरों में ही अपनी पैठ को बनाने के लिए आरजेडी ने पहले अंबेडकर परिचर्चा की और अब पान चौपाल का आयोजन किया जा रहा है.

'अंबेडकर के विचारों को हर घर तक पहुंचाना मकसद': मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि हमारी पार्टी के द्वारा अंबेडकर परिचर्चा पर बड़ा आयोजन हो रहा है. यह केवल राज्य जिला और प्रखंड की बात नहीं है. डॉक्टर बीआर अंबेडकर के विचारों को हर घर तक पहुंचाना है, यह बड़ी लड़ाई है. महापुरुषों को याद करके हम उनके विचारों को आत्मसात करते हैं. उनको धरातल पर उतारने का प्रयास करते हैं. यही सबसे बड़ी खासियत हमारी पार्टी और युवा नेता तेजस्वी प्रसाद यादव की है. हालांकि मृत्युंजय तिवारी यह भी कहते हैं कि हर चीज को वोट की नजर से नहीं देखना चाहिए. कुछ ऐसे महापुरुष हैं, जिनके विचार आज भी समाज के लिए टॉनिक का काम करते हैं.

"आयोजन से यह संदेश स्पष्ट है कि देश की आजादी में या समाज सुधार में योगदान रहा है. उनको याद करते हैं. चाहे उनकी पुण्यतिथि हो या फिर जयंती. संत कबीर के विषय में आज के नौजवानों को जानना चाहिए. तेजस्वी यादव भी लगातार कहते रहे हैं कि हम ऐसे महापुरुषों को याद करते हैं. हम अपने पुरखों को याद करते हैं. आने वाली पीढ़ी संत कबीर के विचारों को भुलाती जा रही है. संत कबीर के विचारों को याद करने के लिए ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन हमारी पार्टी के कार्यकर्ता और नेता करते हैं. आयोजन हो रहा है, यह अच्छी बात है."- मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता, आरजेडी

"चाहे जो भी दल हो, वह चुनावी मोड में आ गए हैं. राष्ट्रीय जनता दल भी चुनावी मूड में है और तेजस्वी प्रसाद यादव के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनता दल कुछ नया करने के की फिराक में है. निश्चित रूप से कभी अंबेडकर जयंती तो कभी संत कबीर कभी भामाशाह के नाम पर जयंती के बहाने निशाना साधने की कोशिश की जा रही है. यह चुनावी गणित है. राष्ट्रीय जनता दल ऐसा करके छोटे-छोटे गांव को साधेगी. क्या प्रदर्शन होगा और स्ट्राइक रेट क्या होगा? वह चुनाव में पता चलेगा."- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

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