पटना: भारतीय इतिहास के काले पन्नों में दर्ज इमरजेंसी को लेकर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल (Sanjay Jaiswal) ने कांग्रेस पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि आज ही के दिन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारिता का गला घोटने का काम किया था. कांग्रेस के खिलाफ पटना यूनिवर्सिटी के जिन छात्रों ने बिहार छात्र संघर्ष समिति बनाई थी. उसके अध्यक्ष का पूरा परिवार और पूरा खानदान आज उसी कांग्रेस की गोदी में खेल रहा है.
इतिहास के काले पन्नों में दर्ज आज के दिन 46 साल पहले लगाया गया था आपातकाल
संजय जायसवाल का कांग्रेस पर निशाना
संजय जायसवाल ने कहा कि जो लोग भी कहते हैं कि हम अंबेडकर को मानते हैं उन्होंने आज तक कांग्रेस का विरोध नहीं किया. अंबेडकर ने जो मूल संविधान की भावना लिखी थी. उसके शब्दों से छेड़छाड़ करने का काम जिस इंदिरा गांधी ने किया उसका हर कदम पर विरोध होना चाहिए. जिस तरह आपातकाल में कांग्रेसी सरकार ने अत्याचार किया उसे नहीं भुलाया जा सकता है. अभी भी आपातकाल में जेल गए लोग वहां की प्रताड़ना को भूले नहीं भूल पाते हैं.
कब लगा था आपात काल
25 जून की तारीख देश के इतिहास के पन्नों में एक काले अध्याय की तरह है. आज ही के दिन देश में साल 1975 में आपातकाल की घोषणा हुई थी, जो 21 मार्च 1977 तक कुल 21 महीने की अवधि तक चली. तत्कालीन राष्ट्रपति फख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा- 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा की थी. स्वतंत्र भारत के इतिहास में ये सबसे विवादित और अलोकतांत्रिक काल था. इस समय सारे चुनाव स्थगित हो गए और नागरिकों के अधिकारों को खत्म कर दिया गया. इंदिरा गांधी के राजनीतिक विरोधियों को कैद कर लिया गया. देश के चौथे स्तंभ प्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया गया. प्रधानमंत्री के बेटे संजय गांधी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर पुरुष नसबंदी अभियान चलाया गया. जय प्रकाश नारायण ने इस अवधि को भारतीय इतिहास का सर्वाधिक काला समय बताया है.
आपातकाल के दौर में क्या-क्या हुआ
- आपातकाल के दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकार छीन लिए गए. सरकार का विरोध करने पर सलाखों के पीछे डाल दिया गया. सरकार के इस कदम के खिलाफ कोर्ट में जाने का अधिकार भी किसी के पास नहीं था.
- आपातकाल का विरोध करने वाले जेपी, जॉर्ज फर्नांडिंस, मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, शरद यादव, लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह, जैसे तमाम विरोधी नेताओं को जेल में डाल दिया गया. आंकड़ों के मुताबिक आपातकाल के दौरान 1 लाख 10 हजार लोगों को गिरफ्तार कर जेल में डाला गया.
- तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने परिवार नियोजन के नाम पर जबरन नसबंदी अभियान चलाया.
- मीडिया पर सेंसरशिप लगा दी गई जिसके तहत सरकार के खिलाफ खबर छापना जुर्म जैसा था. विदेशी मीडिया से जुड़े संवाददाताओं को भी निर्वासित कर दिया गया. आपातकाल विरोधी सामग्री का प्रसारण करने वाले कई मीडियाकर्मियों की गिरफ्तारी भी हुई.
अब तक देश में 3 बार लग चुका है आपातकाल
1. 26 अक्टूबर 1962: भारत में इंदिरा गांधी के लगाए गए आपातकाल को याद किया जाता है लेकिन देश में पहला आपातकाल उससे भी 13 साल पहले तब लगाया गया था जब भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ था. यहां पर युद्ध और देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आपातकाल लगाया गया था. इस पहले आपातकाल की समाप्ति 10 जनवरी 1968 को हुई.
2. 3 दिसंबर 1971: भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय भी देश में आपातकाल लगा था. युद्ध और देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक बार फिर देश में इमरजेंसी लगाई गई थी.
3. 25 जून 1975: तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के राज में लगे इस आपातकाल के लिए देश में आंतरिक अशांति का हवाला दिया जाता है कि लेकिन इतिहास के पन्नों में इस एक निजी स्वार्थ का दर्जा दिया जाता है.
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आपातकाल पर सियासत
आपातकाल का वो दौर गुजरे करीब 5 दशक का वक्त बीत चुका है लेकिन उस दौर पर सियासत लगातार जारी है. विरोधी दल कांग्रेस को हर बार आपातकाल को लेकर घेरते हैं. आपातकाल का मुद्दा चुनावी रैलियों में भी कांग्रेस के विरोधी खूब भुनाते हैं. आपातकाल के दौरान जेल में रहे नेता उस दौर को याद करते हुए उसे भारतीय इतिहास और लोकतंत्र का काला अध्याय बताते हैं.