पटना: बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल (BJP State President Sanjay Jaiswal) ने सम्राट अशोक और औरंगजेब की तुलना (Comparison Between Ashoka and Aurangzeb) को गलत बताया है. उन्होंने तल्ख लहजे में कहा कि वे दोनों दो विपरीत ध्रुव के थे, लिहाजा उनको लेकर घटिया राजनीति करने से सभी दलों के नेताओं को परहेज करना चाहिए.
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संजय जायसवाल ने आज कहा कि कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों के लिए नकारात्मक प्रचार भी मेवा देने वाला पेड़ है. मुझे आश्चर्य तब होता है, जब कुछ समझदार राजनैतिक कार्यकर्ता भी इनके जाल में फंस कर अपना प्रचार में लग जाते हैं. वह यह भी नहीं सोचते कि इससे समाज को कितना नुकसान हो रहा है. अगर इन्हें भरपेट मेवा न दिया जाए तो इन्हें उस पेड़ की जड़ में मट्ठा डालने से भी परहेज नहीं होता. यही वजह है कि बुद्धिजीवियों द्वारा इन्हें ‘राजनीतिक भस्मासुर’ की संज्ञा दी जाती है.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बिहार में भी एनडीए सरकार की मजबूती और अनुशासन के कारण कुछ ‘खास नेताओं’ को मनमुताबिक मेवा नहीं मिल रहा है. यही वजह है कि यह लोग किसी न किसी मुद्दे पर लगभग रोजाना ही अलग-अलग विषयों पर एनडीए को बदनाम करने के अपने एकसूत्री एजेंडे पर कार्यरत रहते हैं. उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक और औरंगजेब की तुलना के मुद्दे को ही ले लें तो कुछ खास नेताओं द्वारा जबर्दस्ती इस प्रकरण में बीजेपी को घसीटा जा रहा है. जबकि देश का बच्चा-बच्चा यह जानता है कि केवल बीजेपी ही है, जिसने भारतीय संस्कृति की रक्षा और पुनरोत्थान के अपने लक्ष्य से कभी समझौता नहीं किया.
संजय जायसवाल ने कहा कि कौन नहीं जानता कि आज दुनिया भर में भारत की बढ़ी धाक बीजेपी के नेतृत्व में चल रही एनडीए सरकार की ही देन है. यह सर्वविदित है कि सम्राट अशोक और औरंगजेब दो विपरीत ध्रुव हैं, जिनकी आपस में तुलना की ही नहीं जा सकती. सम्राट अशोक का जीवन हमें जहां मानवीय भावनाओं पर सत्य और शांति की जीत की शिक्षा देता है, वहीं औरंगजेब का पूरा इतिहास ही लूट, हत्या और मंदिरों को तोड़ने जैसे कुकृत्यों से भरा हुआ है. सही मानसिकता वाला कोई भी शख्स न तो इन दोनों में तुलना कर सकता है और न ही इनकी तुलना करने वालो को तवज्जो दे सकता है.
डॉ. जायसवाल ने कहा कि याद करें कुछ नेता योग का खुलेआम मजाक उड़ाते हैं और प्रभु श्री राम का जयकारा लगाने को बड़ी भूल मानते हुए सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगने का ड्रामा करते हैं. साथ ही हिन्दू समाज को जाति में बांटने और अन्य धर्मों की चाटुकारिता करने में भी निरंतर लगे रहते हैं. ऐसे लोगों को तब न तो संस्कृति की याद आती है और न ही भारतीयता की. इससे स्पष्ट है कि न तो ये भगवान राम के हैं और न ही सम्राट अशोक के हैं. इनकी छटपटाहट बस अपने फायदे के लिए है. उन्होंने कहा कि वास्तव में बीजेपी और एनडीए की पीठ में छुरा घोंपने की यह मानसिकता राज्य के लिए ठीक नहीं है.
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आपको बताएं कि बीजेपी के कल्चरल सेल के संजोयक और पद्मश्री दया प्रकाश सिन्हा (Padma Shri Daya Prakash Sinha) ने सम्राट अशोक पर विवादित बयान (Controversial Statement on Emperor Ashoka) दिया था, जिस पर विवाद पैदा हो गया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा था कि सम्राट अशोक क्रूर, कामुक और बदसूरत थे. उन्होंने अशोक को भाई का हत्यारा बताकर उनकी तुलना क्रूर औरंगजेब से कर दी. उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक बेहद बदसूरत और कामुक थे. देश के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रमों में सम्राट अशोक के उजले पक्ष को ही शामिल किया गया है, जबकि उनकी असलियत इससे अलग भी थी. श्रीलंका के तीन बौद्ध ग्रंथों का उन्होंने हवाला देकर ये बयान दिया था.
वहीं, इस बयान के बाद जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह (JDU President Lalan Singh) ने कहा था कि वे केंद्र सरकार और माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करते हैं कि ऐसे व्यक्ति का पद्मश्री वापस लें और बीजेपी इन्हें निष्कासित करें. इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा ने भी दया प्रकाश सिन्हा के बयान पर नाराजगी जतायी थी. कुशवाहा ने बीजेपी से कार्रवाई की मांग करते हुए कहा था कि जिस प्रकार से अभद्र ढंग से सम्राट अशोक की तुलना की गई है, ऐसे व्यक्ति जिसे कई पुरस्कार मिले हुए हैं, सभी वापस लेना चाहिए.
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