पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. गुरुवार से फर्स्ट फेज की 71 विधानसभा सीटों के लिए नामांकन प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है. फर्स्ट फेस की वोटिंग 28 अक्टूबर को होनी है, लेकिन फूल व्यापारियों को का धंधा मंदा पड़ा हुआ है. इस बार कोरोना काल में नेता के गले में फूलों की माला नहीं देखने को मिल रही है. जिसके कारण फूल व्यवसायियों में मायूसी है.
चुनाव में फूल व्यवसाय का धंधा मंदा
कोरोना काल के दौरान राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने निर्णय के तहत फूल व्यवसाय पिछले 5 महीने से ठप पड़ा हुआ था. चुनाव की सरगर्मियों को देखते हुए फूल व्यवसायियों ने उम्मीद जताई थी कि अब फूल का व्यवसाय फिर से पटरी पर लौट आएगा. लेकिन फूल व्यवसायी का कहना है कि चुनाव आयोग के द्वारा लिए गए निर्णय के तहत कम से कम लोगों को नामांकन के लिए नेता के साथ जाना है, तो वहीं दूसरी तरफ ऑनलाइन माध्यम से नॉमिनेशन भरा जा रहा है. जिस वजह से फूलों की माला की बिक्री नहीं हो पा रही है.
फूल व्यवसायियों में नाखुशी
फूल व्यवसायियों का कहना है कि चुनाव के दौरान कोरोना महामारी को देखते हुए नेता, मंत्री ना ही फूल की माला पहनना पसंद कर रहे हैं और ना ही गुलदस्ता लेना पसंद कर रहे हैं. जिस वजह से फूल का व्यवसाय पूरी तरह से ठप पड़ा है. पहले के दिनों में जब कार्यकर्ता अपने नेता, मंत्री और विधायक से मिलने पहुंचते थे तो उनके लिए एक गुलदस्ता जरूर लेकर जाया करते थे, लेकिन इन दिनों विधानसभा चुनाव के दौरान भी ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है.
फूल व्यवसाई कोरोना काल के दौरान पिछले 5 महीने से मंदिर बंद है और शादी-विवाह भी नहीं हो रहे हैं. जिस वजह से उनका व्यवसाय पहले से ही ठप था. अब चुनाव के दौरान भी फूल व्यवसायियों के चेहरे पर खुशी नहीं लौट पाई है.