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मैनेजमेंट की नौकरी छोड़ वापस लौटा गांव, बना दौलतपुर-सिमरी पंचायत का सबसे युवा पैक्स अध्यक्ष - saharyaar youngest pax president in daulatpur

दौलतपुर-सिमरी पंचायत को भी एक युवा पैक्स अध्यक्ष मिला है. होटल मैनेजमेंट की नौकरी छोड़ शहरयार पैक्स चुनाव में बतौर उम्मीदवार उतरते और जीत भी हासिल की. उन्होंने अपनी जीत पर कहा कि उनकी किसानों से अपील है कि किसान पैक्स को अपनी फसल बेचें. बिचौलियों के फेर में न पड़ें.

पटना
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Published : Feb 23, 2021, 9:02 PM IST

पटना: राजनीति में युवाओं की दिलचस्पी बढ़ने लगी है. अब वे न सिर्फ खुलकर सिस्टम, सरकार और समाज के विषयों पर अपनी बेबाक राय रखते हैं. बल्कि खुद राजनीति में उतरकर सिस्टम को बदलने की सोच लिए हुए हैं. इसका हालिया उदाहरण प्रदेश में हुए पैक्स चुनाव से देखने को मिल जाता है. जहां कई युवाओं ने पैक्स चुनाव में अपना लोहा मनवाया.

इसी कड़ी में दौलतपुर-सिमरी पंचायत को भी एक युवा पैक्स अध्यक्ष मिला है. होटल मैनेजमेंट की नौकरी छोड़ शहरयार पैक्स चुनाव में बतौर उम्मीदवार ऊतरे और जीत भी हासिल की.

यह भी पढ़ें: बेटी हो तो साधना जैसी! महज 19 साल में पैक्स अध्यक्ष बनकर बनाया नया कीर्तिमान

हाजीपुर के गवर्मेंट कॉलेज से होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई
शहरायार ने हाजीपुर के गवर्मेंट कॉलेज से होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी करने के बाद राजस्थान के उदपुर में होटल ओबेरॉय में इंटर्नशिप करने चले गए. लेकिन उन्होंने यह काम रास नहीं आया. हाथ आई हुई लाखों के पैकेज की नौकरी को ठुकराते हुए वह वापस अपने गांव लौट गए. उनके गांव वापस आने के कुछ ही दिनों बाद शहरायर के पिता मो. सिराज का इंतकाल हो गया. उनके पिता पंचायत के पैक्स अध्यक्ष हुआ करते थे. वहीं, उनके पिता दौलतपुर-सिमरी पंचायत से दो बार के मुखिया भी रहे. वहीं, उनकी मां ने भी एक बार मुखिया का चुनाव जीता था.

पिता के सपनों को पूरा करने का है लक्ष्य
पिता के इंतकाल के बाद शहरयार ने पिता के सपनों को पूरा करने का सोचा और पैक्स अध्यक्ष का चुनाव लड़ा. पिता की ख्वाहिशों को लिए पैक्स चुनाव में ऊतरे शहरयार को पंचायत की जनता ने भारी मतों से जीत दिलाई. अपनी जीत पर शहरयार कहते हैं कि इस साल उन्होंने किसानों से 3977 क्विंटल धान खरीद कर एक रिकॉर्ड बनाया है. जबकि पिछले साल 1700 क्विंटल धान खरीदी गई थी. वो किसानों से गेहूं भी खरीदेंगे. साथ ही उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे अपनी फसल पैक्स को बेचे किसी भी बिचौलिए के फेर में न पड़ें.

यह भी पढ़ें: 1934 में बना ऐतिहासिक राजकिला पुल धंसा, ओवरलोडेड ट्रक के गुजरने से धरोहर नष्ट

पिता की नक्शे कदम पर चलेगा बेटा
वहीं, युवा पैक्स अध्यक्ष चुने जाने के बाद उनके परिवार के लोग भी काफी खुश हैं. उनका कहना है कि पिता तो शुरू से ही जनता का सेवा करते आए हैं. अब उनके जाने के बाद उनका बेटा जनता का काम करेगा.

पटना: राजनीति में युवाओं की दिलचस्पी बढ़ने लगी है. अब वे न सिर्फ खुलकर सिस्टम, सरकार और समाज के विषयों पर अपनी बेबाक राय रखते हैं. बल्कि खुद राजनीति में उतरकर सिस्टम को बदलने की सोच लिए हुए हैं. इसका हालिया उदाहरण प्रदेश में हुए पैक्स चुनाव से देखने को मिल जाता है. जहां कई युवाओं ने पैक्स चुनाव में अपना लोहा मनवाया.

इसी कड़ी में दौलतपुर-सिमरी पंचायत को भी एक युवा पैक्स अध्यक्ष मिला है. होटल मैनेजमेंट की नौकरी छोड़ शहरयार पैक्स चुनाव में बतौर उम्मीदवार ऊतरे और जीत भी हासिल की.

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हाजीपुर के गवर्मेंट कॉलेज से होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई
शहरायार ने हाजीपुर के गवर्मेंट कॉलेज से होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी करने के बाद राजस्थान के उदपुर में होटल ओबेरॉय में इंटर्नशिप करने चले गए. लेकिन उन्होंने यह काम रास नहीं आया. हाथ आई हुई लाखों के पैकेज की नौकरी को ठुकराते हुए वह वापस अपने गांव लौट गए. उनके गांव वापस आने के कुछ ही दिनों बाद शहरायर के पिता मो. सिराज का इंतकाल हो गया. उनके पिता पंचायत के पैक्स अध्यक्ष हुआ करते थे. वहीं, उनके पिता दौलतपुर-सिमरी पंचायत से दो बार के मुखिया भी रहे. वहीं, उनकी मां ने भी एक बार मुखिया का चुनाव जीता था.

पिता के सपनों को पूरा करने का है लक्ष्य
पिता के इंतकाल के बाद शहरयार ने पिता के सपनों को पूरा करने का सोचा और पैक्स अध्यक्ष का चुनाव लड़ा. पिता की ख्वाहिशों को लिए पैक्स चुनाव में ऊतरे शहरयार को पंचायत की जनता ने भारी मतों से जीत दिलाई. अपनी जीत पर शहरयार कहते हैं कि इस साल उन्होंने किसानों से 3977 क्विंटल धान खरीद कर एक रिकॉर्ड बनाया है. जबकि पिछले साल 1700 क्विंटल धान खरीदी गई थी. वो किसानों से गेहूं भी खरीदेंगे. साथ ही उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे अपनी फसल पैक्स को बेचे किसी भी बिचौलिए के फेर में न पड़ें.

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पिता की नक्शे कदम पर चलेगा बेटा
वहीं, युवा पैक्स अध्यक्ष चुने जाने के बाद उनके परिवार के लोग भी काफी खुश हैं. उनका कहना है कि पिता तो शुरू से ही जनता का सेवा करते आए हैं. अब उनके जाने के बाद उनका बेटा जनता का काम करेगा.

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