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महिला वोटर्स किसका करेंगी उद्धार, क्या शराबबंदी से होगा नीतीश का बेड़ा पार!

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक दूसरे चरण में बिहार में 55.7 फीसदी मतदान हुआ है. इसमें 53 फीसदी पुरुष और 58.8 फीसदी महिलाओं की भारीदारी रही. महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है. लेकिन यह वोट किसके पक्ष में जा रहा है. इसपर बहस जारी है.

महिला मतदाता
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Published : Nov 6, 2020, 8:46 PM IST

पटना: बिहार में तीसरे चरण के मतदान से पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष जहां अपने-अपने दावों में लगे हैं. वहीं इस बात की चर्चा जोरों पर है कि अगर नौकरी को लेकर युवा उत्साहित हैं और इसका फायदा विपक्ष को मिल सकता है तो महिलाओं की बढ़ती भागीदारी सत्ता पक्ष के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है. हालांकि विशेषज्ञ इस बारे में अलग राय रखते हैं.

महिलाएं बढ़-चढ़कर कर रहीं मतदान
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक दूसरे चरण में बिहार में 55.7 फीसदी मतदान हुआ है. इसमें 53 फीसदी पुरुष और 58.8 फीसदी महिलाओं की भारीदारी रही. महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है. इससे सत्ता पक्ष काफी उत्साहित है. खासकर तब जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी हर सभा में महिलाओं के लिए गए किए गए कामों का उल्लेख करते दिख रहे थे. विशेष तौर पर शराबबंदी और स्कूलों में बालिकाओं की मुफ्त शिक्षा, साइकिल योजना और जीविका दीदी के लिए किए गए काम का जिक्र किया जा रहा था.

देखें वीडियो

इसे लेकर जेडीयू नेता खास तौर पर इस बात का जिक्र करते हैं कि नीतीश कुमार ने लोगों को अंधेरे दौर से निकालकर रोशनी का जो दौर दिखाया है, उसे लेकर मतदाता खास कर महिला वर्ग एनडीए के पक्ष में वोट कर रही हैं.
''यह पूरी तरह जंगलराज बनाम सुशासन और विकान बनाम अंधेरे की लड़ाई है. रोशनी का युग शुरू हो जाने के बाद अंधेरे की कोई जरूरत नहीं है. बिहार की जनता एक बार फिर काले दौर में नहीं लौटना चाहती. वह पूरी तरह होकर वोट डाल रही है.'' - राजीव रंजन, जेडीयू प्रवक्ता

जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन
जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन

हालांकि आरजेडी नेता पलटवार करते हुए कहते हैं कि इस बार एनडीए को किसी का भी समर्थन नहीं मिल रहा है.
"एनडीए को किसी का भी समर्थन नहीं मिल रहा है. अंतिम चरण के चुनाव की अंतिम सभा में एनडीए के सेनीपति ने आत्म समर्पन कर दिया. तेजस्वी यादव लगातार कह रहे थे कि मुख्यमंत्री जी थक गए हैं. उनसे बिहार नहीं संभल रहा है. वह सही साबित हुआ. बिहार ने एनडीए को बहुत मौका दिया लेकिन वह पूरी तरह फेल हुआ है. कोरोना काल में कोई नेता नजर नहीं आ रहा था." - मृत्युंजय तिवारी, आरजेडी प्रवक्ता

आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी
आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी

महिलाओं की बढ़ती भागीदारी भले ही सत्ता पक्ष को उत्साहित कर रही है, लेकिन विशेषज्ञ इसे किसी और नजरिए से भी देख रहे हैं.
"नीतीश कुमार सत्ता में आने के बाद शुरुआती दौर में जिस तरह काम किए थे. उसके आधार पर महिला वोट उन्हें मिलता रहा है. लेकिन इस बार भी महिलाएं उन्हें वोट करेंगी, यह जरूरी नहीं हैं. लॉकडाउन में दूसरे राज्यों से लौटे प्रवासी जिससे तरह बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं, उससे उनके घर की महिलाएं नीतीश के विरोध में भी वोट कर सकती हैं. पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का अधिक वोट करने कारण सत्ता विरोधी रुझान भी हो सकता है." - प्रो. डीएम दिवाकर, राजनीतिक विश्लेषक

राजनीतिक विश्लेषक प्रो. डीएम दिवाकर
राजनीतिक विश्लेषक प्रो. डीएम दिवाकर

10 नवंबर को वोटों की गिनती
ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि महिला वोटर्स को लेकर एनडीए खेमे में जो उत्साह है. वह कितना सही साबित होता है. बता दें कि शनिवार को तीसरे चरण में 78 सीटों पर मतदान होना है और वोटों की गिनती 10 नवंबर को होगी.

पटना: बिहार में तीसरे चरण के मतदान से पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष जहां अपने-अपने दावों में लगे हैं. वहीं इस बात की चर्चा जोरों पर है कि अगर नौकरी को लेकर युवा उत्साहित हैं और इसका फायदा विपक्ष को मिल सकता है तो महिलाओं की बढ़ती भागीदारी सत्ता पक्ष के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है. हालांकि विशेषज्ञ इस बारे में अलग राय रखते हैं.

महिलाएं बढ़-चढ़कर कर रहीं मतदान
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक दूसरे चरण में बिहार में 55.7 फीसदी मतदान हुआ है. इसमें 53 फीसदी पुरुष और 58.8 फीसदी महिलाओं की भारीदारी रही. महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है. इससे सत्ता पक्ष काफी उत्साहित है. खासकर तब जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी हर सभा में महिलाओं के लिए गए किए गए कामों का उल्लेख करते दिख रहे थे. विशेष तौर पर शराबबंदी और स्कूलों में बालिकाओं की मुफ्त शिक्षा, साइकिल योजना और जीविका दीदी के लिए किए गए काम का जिक्र किया जा रहा था.

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इसे लेकर जेडीयू नेता खास तौर पर इस बात का जिक्र करते हैं कि नीतीश कुमार ने लोगों को अंधेरे दौर से निकालकर रोशनी का जो दौर दिखाया है, उसे लेकर मतदाता खास कर महिला वर्ग एनडीए के पक्ष में वोट कर रही हैं.
''यह पूरी तरह जंगलराज बनाम सुशासन और विकान बनाम अंधेरे की लड़ाई है. रोशनी का युग शुरू हो जाने के बाद अंधेरे की कोई जरूरत नहीं है. बिहार की जनता एक बार फिर काले दौर में नहीं लौटना चाहती. वह पूरी तरह होकर वोट डाल रही है.'' - राजीव रंजन, जेडीयू प्रवक्ता

जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन
जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन

हालांकि आरजेडी नेता पलटवार करते हुए कहते हैं कि इस बार एनडीए को किसी का भी समर्थन नहीं मिल रहा है.
"एनडीए को किसी का भी समर्थन नहीं मिल रहा है. अंतिम चरण के चुनाव की अंतिम सभा में एनडीए के सेनीपति ने आत्म समर्पन कर दिया. तेजस्वी यादव लगातार कह रहे थे कि मुख्यमंत्री जी थक गए हैं. उनसे बिहार नहीं संभल रहा है. वह सही साबित हुआ. बिहार ने एनडीए को बहुत मौका दिया लेकिन वह पूरी तरह फेल हुआ है. कोरोना काल में कोई नेता नजर नहीं आ रहा था." - मृत्युंजय तिवारी, आरजेडी प्रवक्ता

आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी
आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी

महिलाओं की बढ़ती भागीदारी भले ही सत्ता पक्ष को उत्साहित कर रही है, लेकिन विशेषज्ञ इसे किसी और नजरिए से भी देख रहे हैं.
"नीतीश कुमार सत्ता में आने के बाद शुरुआती दौर में जिस तरह काम किए थे. उसके आधार पर महिला वोट उन्हें मिलता रहा है. लेकिन इस बार भी महिलाएं उन्हें वोट करेंगी, यह जरूरी नहीं हैं. लॉकडाउन में दूसरे राज्यों से लौटे प्रवासी जिससे तरह बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं, उससे उनके घर की महिलाएं नीतीश के विरोध में भी वोट कर सकती हैं. पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का अधिक वोट करने कारण सत्ता विरोधी रुझान भी हो सकता है." - प्रो. डीएम दिवाकर, राजनीतिक विश्लेषक

राजनीतिक विश्लेषक प्रो. डीएम दिवाकर
राजनीतिक विश्लेषक प्रो. डीएम दिवाकर

10 नवंबर को वोटों की गिनती
ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि महिला वोटर्स को लेकर एनडीए खेमे में जो उत्साह है. वह कितना सही साबित होता है. बता दें कि शनिवार को तीसरे चरण में 78 सीटों पर मतदान होना है और वोटों की गिनती 10 नवंबर को होगी.

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