पटना(मसौढ़ी): 'शहीदों की चिताओं पर हर वर्ष लगेंगे मेले, वतन पर मिटने वालों का बांकी यही निशा होता है'. यह पंक्ति जगदानंद प्रसाद हितैषी ने अपनी कविता के माध्यम से देश के हर जुंबा तक पहुंचायी थी. लेकिन आज यह पंक्ति महज शहीद स्मारकों पर दर्ज होकर रह गई है.
पुलवामा हमले को शायद ही कोई देशवासी भूला हो. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 बहादुर जवानों ने शहादत दी थी. उसी में से एक थे मसौढ़ी के रहने वाले संजय कुमार. जिनकी शहादत के बाद गांव में जब पार्थिव शरीर पहुंचा तो सूबे के कई नेता उसकी शहादत को नमन करने पहुंचे. यहां तक की सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी शहीद के परिवार के घर पहुंच कर सांत्वना दी.
आश्वासन देकर भूल गई सरकार
सरकार ने शहीद संजय कुमार के नाम पर गांव में कई तरह के योजनाओं को चलाने का आश्वासन भी दिया. लेकिन दो साल बाद अब तक शहीद संजय कुमार सिन्हा के नाम पर गांव में सड़क का निर्माण तक नहीं हुआ. योजनाओं की फाइल सरकारी दफ्तरों में दब कर रह गई है.
माटी के लाल को हक दिलाने में जुटे ग्रामीण
ऐसे में अब अपने गांव के लाल को न्याय और पहचान दिलाने के लिए ग्रामीण आंदोलन के मूड में दिख रहे हैं. ग्रामीणों ने प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. और कहा कि जल्द अगर शहीद के नाम पर किए गए सड़क निर्माण के शिलान्यास कार्य को पूरा नहीं किया गया तो आंदोलन कर अपने गांव के शहीद बेटे को हक दिलाएंगे.
4 करोड़ 70 लाख की राशि आवंटित
बताया जाता है कि 4 करोड 70 लाख की राशि से शहीद संजय कुमार सिन्हा के घर से मुख्य सडक तक सड़क बनाने की योजना का शिलान्यास किया गया था. जो अब नगर परिषद और नगर विकास विभाग के बीच में वह फाइल अटका हुआ है. जिस कारण सड़क निर्माण कार्य योजना की मंजूरी नहीं मिली है. जबकी टेंडर हो जाने के बाद सिर्फ कार्य योजना की मंजूरी मिलने के इंतजार में फाइल लटकी हुई है. वहीं अब, नगर परिषद का कार्यकाल समाप्त होने को है.
मुख्यमंत्री ने किया था सड़क का शिलान्यास
गौरतलब है कि दो विभागों के बीच में शहीद संजय कुमार सिन्हा के नाम पर बनने वाली सड़क की फाइल दबी पड़ी है. या यूं कहें कि लालफीताशाही के कारण योजना फंसी है. बता दें कि नगर एवं विकास आवास मंत्री सुरेश शर्मा, स्थानीय सांसद रामकृपाल यादव औऱ नगर परिषद के मुख्य पार्षद ने इसका शिलान्यास किया था. इसके बावजूद 2 वर्ष बीत गए हैं. अब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया.