पटना: आरएलजेडी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (RLJD President Upendra Kushwaha) ने सीएम नीतीश कुमार को पहला झटका तो तब दिया था, जब वह जेडीयू से अलग हुए थे. वहीं, दूसरा झटका उन्होंने तब दिया, जब विरासत बचाओ यात्रा की शुरुआत करने की घोषणा की. अब तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में कुशवाहा ने जेडीयू के वरिष्ठ नेता शंभूनाथ सिन्हा को अपने पाले में लाकर सबसे बड़ा झटका दिया है. शंभूनाथ अकेले नहीं आए हैं, बल्कि उन्होंने कई अन्य नेताओं को भी राष्ट्रीय लोक जनता दल में शामिल करवाया है.
"महागठबंधन में फिलहाल बहुत ही दयनीय स्थिति में नीतीश कुमार जी हैं. उनके साथ मेरा व्यक्तिगत संबंध रहा है. इसलिए उनको लिए दुख होता है लेकिन क्या करें, जब वह खुद ही उसी हाल में रहना स्वीकार कर लिया है. हमलोग तो निकल पड़े हैं आगे, अब जो लोग साथ देंगे उनके साथ मिलकर बेहतर करेंगे"- उपेंद्र कुशवाहा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय लोक जनता दल
नीतीश पर बरसे उपेंद्र कुशवाहा: मंगलवार को जब उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू के इन नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कराया तो उस दौरान भी उन्होंने सीएम नीतीश कुमार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि जेडीयू अब लगातार कमजोर होता जा रहा है. जेडीयू अब मरणासन्न स्थिति में पहुंच गया है. नीतीश कुमार के चेहरे को देखकर दया आती है. अब वे भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली पार्टी की गोद में हैं. उनका यह भी कहना था कि नीतीश कुमार ने अपने जीवन की पूरी कमाई को दांव पर लगा दिया. अब नीतीश कुमार भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में लगे हैं और पहले से ज्यादा भ्रष्टाचार बढ़ा है.
यात्रा के दूसरे चरण में उपेंद्र देंगे चुनौती: जेडीयू से अलग होकर नई पार्टी बनाने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने फरवरी माह में ही अपनी विरासत बचाओ यात्रा की शुरुआत की थी. उन्होंने पश्चिम चंपारण के भितिहरवा से इसका आगाज किया था. उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी यात्रा के पहले चरण में भी नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा था. 28 फरवरी को भितिहरवा से शुरू हुई कुशवाहा की विरासत बचाओ यात्रा का पहला चरण 6 मार्च को सिवान में समाप्त हुआ. मंगलवार को अपनी विरासत बचाओ यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि अगले 15 मार्च से विरासत बचाओ नमन यात्रा का दूसरा चरण नालंदा से शुरू होगा.
कुर्था में होगा यात्रा का समापन: उपेंद्र कुशवाहा की दूसरे चरण की यात्रा नालंदा में लाल सिंह त्यागी को नमन करके शुरू होगी. इसके बाद यह यात्रा नालंदा के गुरु सहाय लाल, बिहार के राज्य के पूर्व सीएम श्री कृष्ण सिंह के शेखपुरा के बरबीघा स्थित स्मारक के बाद भागलपुर में शहीद तिलकामांझी स्मारक के बाद नवादा के कौवाकोल में जीपीएस आश्रम होते हुए गया के गेहलौर स्थित दशरथ मांझी स्मारक पहुंचेगी. इसके बाद यह यात्रा डेहरी ऑन सोन डॉ. अब्दुल कयूम अंसारी, सासाराम में शहीद निशांत सिंह स्मारक जगदीशपुर में बाबू वीर कुंवर सिंह स्मारक, चंदवारा में बाबू जगजीवन राम स्मारक होते हुए 20 मार्च को अरवल के कुर्था में शहीद जगदेव प्रसाद स्मारक पहुंचेगी.
बिहार की सियासत पर क्या पड़ेगा असर?: दरअसल नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा का राजनीतिक रिश्ता बहुत ही अजीब रहा है. इन दोनों का रिश्ता ऐसा रहा है जिसमें न तो ज्यादा दिनों तक नफरत रहती है और न ही दोनों की दोस्ती ज्यादा टिकाऊ रहती है. तीन दशकों से भी ज्यादा पुराना इन दोनों नेताओं का संपर्क रहा है लेकिन यह संपर्क उतार-चढ़ाव से भरा रहा है. कभी यह दोनों नेता साथ रहते हैं तो कभी कट्टर विरोधी सियासी खेमे में शामिल हो जाते हैं. हालांकि उपेंद्र कुशवाहा मौजूदा दौर में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद या वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरह राज्य की राजनीति में लोकप्रिय चेहरा कभी नहीं रहे.
'नीतीश का उत्तराधिकारी बनना चाहते हैं कुशवाहा': वैसे उपेंद्र कुशवाहा को यह उम्मीद थी कि वह नीतीश कुमार के स्वभाविक अधिकारी बनेंगे, क्योंकि दोनों ही कुर्मी और कोइरी जाति की राजनीति करके बिहार की सियासत में उभरे हैं. बिहार में कुशवाहा जाति की जनसंख्या करीब 7% मानी जाती है. यह जाति राज्य के मुंगेर, खगड़िया, समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, नालंदा, औरंगाबाद और भोजपुर में बहुलता में है.
यादव के बाद कुशवाहा की तादाद सबसे अधिक: राज्य में जाति के हिसाब से अगर यादवों के बाद कोई जातीय समूह है तो उसे कुशवाहा माना जाता है. कुशवाहा की रणनीति नई पार्टी के सहारे जेडीयू के वोट बैंक और विरासत पर दावा करने की है. राज्य के राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा है कि फिलहाल नीतीश कुमार के सजातीय कुर्मी बिरादरी को छोड़कर गैर यादव पिछड़ी जातियों में जेडीयू के खिलाफ रोष है. यह गैर यादव पिछड़ी जाति आरजेडी का नेतृत्व स्वीकार नहीं कर सकती. नीतीश को अपनी जाति के वोट तभी तक मिलेंगे, जब तक वह सरकार की अगुवाई कर रहे हैं.
क्या कहते हैं जानकार?: वहीं राज्य की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार मनोज पाठक कहते हैं, लव-कुश समीकरण के द्वारा ही नीतीश कुमार सत्ता पर काबिज हुए थे. उसमें उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार की जोड़ी सर्वमान्य मानी जाती थी, जो लव-कश समीकरण को एकजुट करके आगे बढ़ी थी. अब अगर उपेंद्र कुशवाहा अलग हुए हैं तो इतना तय माना जा रहा है कि लव-कुश समीकरण टूटेगा.
"उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी यात्रा का आगाज कर दिया है. वह कुशवाहा जाति को अपनी तरफ इंटैक्ट रखना चाहते हैं. यह स्वाभाविक है कि उपेंद्र कुशवाहा जब से अलग हुए हैं, तब से उन्होंने बिहार का दौरा शुरू कर दिया और उसी इलाके में जा रहे हैं, जिस क्षेत्र में कुशवाहा जाति चुनाव परिणाम को प्रभावित करने में सक्षम हैं. उपेंद्र कुशवाहा को कुशवाहा जाति का एक अच्छा नेता भी माना जाता है. इसलिए स्वाभाविक है कि वह कुशवाहा जाति के वोटरों को अपनी तरफ आकर्षित करेंगे"- मनोज पाठक, वरिष्ठ पत्रकार