पटनाः 'एक देश एक चुनाव' (One Nation One Election) को लेकर सियासत शुरू हो गई है. राजद ने इसको लेकर कड़ा विरोध जताया है. राजद प्रवक्ता ने कहा कि केंद्र सरकार विपक्षी एकता को देखकर डर गई है. इसलिए इस तरह का कानून लाने जा रही है. बता दें कि इसको लेकर केंद्र सरकार ने लोकसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है. साथ ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है.
विरोध करने की तैयारीः राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने इस निर्णय पर विरोध जताया है. प्रवक्ता ने कहा कि निश्चित तौर पर जिस तरह से विपक्षी एकता पूरे देश में दिखी रही है. इससे भाजपा डर गई है. अब केंद्र में बैठी सरकार बेचैन हो गई है. कुछ से कुछ हथकंडा अपनाना चाहती है. निश्चित तौर पर अगर इस तरह का कोई भी प्रस्ताव विशेष सत्र के दौरान आता है तो विपक्ष इसे लागू नहीं करने देगी.
"निश्चित तौर पर यह गलत है. लोकतंत्र को इससे कहीं ना कहीं खतरा है. इन सब बातों का भी ध्यान सत्ता में बैठे लोगों को रखना चाहिए, लेकिन जिस तरह की बातें सामने आ रही है वह पूरी तरह से गलत है. विपक्ष को भी शक्ति है, उसका पूरा उपयोग किया जाएगा. 5 दिन का विशेष सत्र बुलाकर कुछ न कुछ देश में नया करना चाहते हैं जो कि कहीं से भी संभव नहीं है." -मृत्युंजय तिवारी, राजद प्रवक्ता
'दोबारा सत्र क्यों बुलाया गया?' मृत्युंजय तिवारी ने साफ-साफ कहा कि पिछले दिनों ही सदन का सत्र समाप्त हुआ था. पता नहीं क्यों फिर से सरकार को विशेष सत्र बुलाना पड़ा है? इसका मतलब तो हम लोग नहीं समझते हैं, लेकिन जो कुछ सामने आ रही है उसे स्पष्ट है कि वन नेशन वन इलेक्शन की नीति को लेकर सरकार इस पर चर्चा करना चाहती है. निश्चित तौर पर विपक्ष इसका पुरजोर विरोध करेगी.
क्या है वन नेशन वन इलेक्शनः एक देश एक चुनाव का मतलब है कि पूरे देश में सभी चुनाव एक साथ होंगे. इसमें विधानसभा और लोकसभा चुनाव के अलावा नगर निकाय का भी चुनाव शामिल है. सरकार का मानना है कि अलग-अलग चुनाव होने और इसके लिए आचार संहिता लागू होने से देश का विकास कार्य बाधित होता है. इसलिए वन नेशन वन इल्केशन लागू होने चाहिए.
राष्ट्रपित ने किया था समर्थनः हालांकि इस पर अभी फैसला नहीं लिया गया है, लेकिन राष्ट्रपति की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है, जो यह विचार देंगे कि देश में एक साथ सारे चुनाव कैसे कराए जा सकते हैं. बता दें कि 2017 में राष्ट्रपति बनने के बाद रामनाथ कोविंद ने इसका समर्थन किया था. साथ ही 2018 में भी संसद में उन्होंने इसका जिक्र किया था.