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कर्नाटक में बिहारी मजदूरों को गुलाम बनाने की हो रही कोशिश, हस्तक्षेप करें सीएम नीतीश- RJD

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Published : May 6, 2020, 10:37 PM IST

Updated : May 7, 2020, 10:20 PM IST

तेजस्वी यादव ने कहा कि कर्नाटक की भाजपाई सरकार अप्रवासी बिहारी कामगारों को जबरदस्ती रोकने और बंधक बनाने की कोशिश कर रही है. बिहारी भाईयों को बंधुआ मजदूर या गुलाम मानने हरकत राजद कतई बर्दाश्त नहीं करेगी.

तेजस्वी यादव
तेजस्वी यादव

पटना: कर्नाटक में प्रवासी बिहारियों के लिए चलाई जाने वाली ट्रेन को रोकने का मामला तुल पकड़ता जा रहा है. इस मामले में राजद ने सीएम नीतीश से तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है. इसको लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि कर्नाटक उद्योगपतियों ने वहां के मुख्यमंत्री से मिलकर अप्रवासी बिहारी श्रमिकों की वापसी पर रोक लगवा दी है.

'बिहारियों को दास नहीं समझे कर्नाटक सरकार'
इस मामले पर राजद के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंंजय तिवारी ने कहा कि जो बिहारी मजदूर भाई वापस आना चाह रहे हैं. उसे बिहार सरकार अविलंब घर वापसी करवाए. यह सरकार का नैतिक कर्तव्य है. उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि कर्नाटक की भाजपाई सरकार बिहारियों को अपना दास ना समझें.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'बिहारी मजदूरों को बंधक बनाने कि कोशिश'
इस मामले पर राजद नेता तेजस्वी यादव भी अपना विरोध जता चुके हैं. कर्नाटक सरकार पर उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि कर्नाटक की भाजपाई सरकार अप्रवासी बिहारी कामगारों के मानवाधिकारों और महामारी के दौर में बुनियादी सहानुभूति को धता बताते हुए उन्हें जबरदस्ती रोकने और बंधक बनाने की कोशिश कर रही है. बिहारी भाईयों को बंधुआ मजदूर या गुलाम मानने की भाजपाई सरकार यह हरकत राजद कतई बर्दाश्त नहीं करेगी. उन्होंने बताया केंद्कर सराकार, कर्नाटक सरकार और बिहार सरकार तीनों जगह भाजपा की सरकार है. इसलिए जो मजदूर वापस बिहार आना चाह रहें हैं. सरकार उनके लिए नियमित ट्रेनों का संचालन करें.

'गरीब मजदूरों के साथ हो रहा अमानवीय व्यवहार'
तेजस्वी यादव ने कहा कि मैं पूरे बिहार की ओर से कर्नाटक सरकार को एक कठोर संदेश भेजने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अनुरोध करता हूं. इस संकट काल में पूंजीपतियों ने पिछले 40 दिनों से बिहार के लाचार गरीबों को अपने हाल पर छोड़ एक मानवीय व्यवहार किया है. उन्हें वेतन, आवासीय किराया और राशन तक नहीं दिया गया. बिहारी श्रमवीरों को बोझ समझा जा रहा है. अब व्यापार और उत्पादन शुरू करने के लिए उन्हें घर वापस जाने से रोका जा रहा है. इस आमानवीय व्यवाहार की राजद घोर निंदा करती है.

पटना: कर्नाटक में प्रवासी बिहारियों के लिए चलाई जाने वाली ट्रेन को रोकने का मामला तुल पकड़ता जा रहा है. इस मामले में राजद ने सीएम नीतीश से तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है. इसको लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि कर्नाटक उद्योगपतियों ने वहां के मुख्यमंत्री से मिलकर अप्रवासी बिहारी श्रमिकों की वापसी पर रोक लगवा दी है.

'बिहारियों को दास नहीं समझे कर्नाटक सरकार'
इस मामले पर राजद के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंंजय तिवारी ने कहा कि जो बिहारी मजदूर भाई वापस आना चाह रहे हैं. उसे बिहार सरकार अविलंब घर वापसी करवाए. यह सरकार का नैतिक कर्तव्य है. उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि कर्नाटक की भाजपाई सरकार बिहारियों को अपना दास ना समझें.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'बिहारी मजदूरों को बंधक बनाने कि कोशिश'
इस मामले पर राजद नेता तेजस्वी यादव भी अपना विरोध जता चुके हैं. कर्नाटक सरकार पर उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि कर्नाटक की भाजपाई सरकार अप्रवासी बिहारी कामगारों के मानवाधिकारों और महामारी के दौर में बुनियादी सहानुभूति को धता बताते हुए उन्हें जबरदस्ती रोकने और बंधक बनाने की कोशिश कर रही है. बिहारी भाईयों को बंधुआ मजदूर या गुलाम मानने की भाजपाई सरकार यह हरकत राजद कतई बर्दाश्त नहीं करेगी. उन्होंने बताया केंद्कर सराकार, कर्नाटक सरकार और बिहार सरकार तीनों जगह भाजपा की सरकार है. इसलिए जो मजदूर वापस बिहार आना चाह रहें हैं. सरकार उनके लिए नियमित ट्रेनों का संचालन करें.

'गरीब मजदूरों के साथ हो रहा अमानवीय व्यवहार'
तेजस्वी यादव ने कहा कि मैं पूरे बिहार की ओर से कर्नाटक सरकार को एक कठोर संदेश भेजने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अनुरोध करता हूं. इस संकट काल में पूंजीपतियों ने पिछले 40 दिनों से बिहार के लाचार गरीबों को अपने हाल पर छोड़ एक मानवीय व्यवहार किया है. उन्हें वेतन, आवासीय किराया और राशन तक नहीं दिया गया. बिहारी श्रमवीरों को बोझ समझा जा रहा है. अब व्यापार और उत्पादन शुरू करने के लिए उन्हें घर वापस जाने से रोका जा रहा है. इस आमानवीय व्यवाहार की राजद घोर निंदा करती है.

Last Updated : May 7, 2020, 10:20 PM IST
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