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सम्राट अशोक प्रकरण पर RJD ने JDU को घेरा, कहा- नीतीश सरकार दया प्रकाश सिन्हा पर दर्ज कराए FIR

पटना में आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुबोध कुमार मेहता (RJD Spokesperson Subodh Mehta Comments On JDU) ने सम्राट अशोक विवाद को लेकर जदयू पर जमकर हमला बोला है. सुबोध कुमार मेहता ने कहा कि नीतीश सरकार को मामले में केस दर्ज कराना चाहिए. वहीं जदयू के दया प्रकाश सिन्हा की अवार्ड वापसी की मांग को नाटक बताया. पढ़िए पूरी खबर..

RJD राष्ट्रीय प्रवक्ता सुबोध कुमार मेहता ने सरकार को दी नसीहत
RJD राष्ट्रीय प्रवक्ता सुबोध कुमार मेहता ने सरकार को दी नसीहत
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Published : Jan 21, 2022, 10:52 PM IST

पटना: सम्राट अशोक पर विवादित बयान (Controversial Statement On Samrat Ashoka) को लेकर जदयू ने बिहार के कई जिलों में प्रदर्शन किया (BJP And JDU Protest In Bihar) था. इसी मामले में आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुबोध कुमार मेहता ने (RJD Spokesperson Subodh Mehta Comments On JDU) जदयू और बीजेपी पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि, अवार्ड वापसी की मांग तो सिर्फ नाटक है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद दया प्रकाश सिन्हा के खिलाफ केस दर्ज क्यों नहीं कराते. आरजेडी प्रवक्ता ने बीजेपी पर भी झूठी एफआईआर दर्ज कराने को लेकर निशाना साधा.

ये भी पढ़ें- UP विधानसभा चुनाव को लेकर आरसीपी-ललन के 'मनभेद', खेमेबाजी बनी पार्टी की मुसीबत

सम्राट अशोक विवाद को लेकर सुबोध कुमार मेहता ने कहा कि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा भाजपा से अवार्ड वापसी की मांग कर रहे हैं और इधर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल लेखक दया प्रकाश सिन्हा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की बात कह रहे हैं. उन्होंने कहा कि, ये सब नाटक हो रहा है. बीजेपी और जदयू सिर्फ सियासी नाटक कर रही है. क्योंकि, दया प्रकाश सिन्हा बीजेपी और आरएसएस से जुड़े हुए हैं. इस दौरान उन्होंने कहा कि, जदयू को खुद दया प्रकाश सिन्हा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करानी चाहिए. वहीं बीजेपी पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष को एफआईआर की कॉपी सार्वजनिक करनी चाहिए.

दरअसल, पद्मश्री से सम्मानित दया प्रकाश सिन्हा ने सम्राट अशोक पर विवादित बयान देते हुए उनकी तुलना क्रूर औरंगजेब से कर दी थी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दया प्रकाश सिन्हा ने कहा था, 'सम्राट अशोक क्रूर, कामुक और बदसूरत थे. उन्होंने अशोक को भाई का हत्यारा बताकर उनकी तुलना क्रूर औरंगजेब से कर दी. उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक बेहद बदसूरत और कामुक थे. देश के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रमों में सम्राट अशोक के उजले पक्ष को ही शामिल किया गया है, जबकि उनकी असलियत इससे अलग भी थी. श्रीलंका के तीन बौद्ध ग्रंथों का उन्होंने हवाला देकर ये बयान दिया था. इसी को लेकर बिहार में जदयू, बीजेपी समेत कई संगठनों ने लेखक के खिलाफ प्रदर्शन कर अवार्ड वापसी की मांग की थी.

ये भी पढ़ें- मुंगेर में MLC चुनाव को लेकर RJD नेता ने शुरू किया जनसंपर्क, बोले- जीत हमारी होगी

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पटना: सम्राट अशोक पर विवादित बयान (Controversial Statement On Samrat Ashoka) को लेकर जदयू ने बिहार के कई जिलों में प्रदर्शन किया (BJP And JDU Protest In Bihar) था. इसी मामले में आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुबोध कुमार मेहता ने (RJD Spokesperson Subodh Mehta Comments On JDU) जदयू और बीजेपी पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि, अवार्ड वापसी की मांग तो सिर्फ नाटक है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद दया प्रकाश सिन्हा के खिलाफ केस दर्ज क्यों नहीं कराते. आरजेडी प्रवक्ता ने बीजेपी पर भी झूठी एफआईआर दर्ज कराने को लेकर निशाना साधा.

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सम्राट अशोक विवाद को लेकर सुबोध कुमार मेहता ने कहा कि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा भाजपा से अवार्ड वापसी की मांग कर रहे हैं और इधर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल लेखक दया प्रकाश सिन्हा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की बात कह रहे हैं. उन्होंने कहा कि, ये सब नाटक हो रहा है. बीजेपी और जदयू सिर्फ सियासी नाटक कर रही है. क्योंकि, दया प्रकाश सिन्हा बीजेपी और आरएसएस से जुड़े हुए हैं. इस दौरान उन्होंने कहा कि, जदयू को खुद दया प्रकाश सिन्हा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करानी चाहिए. वहीं बीजेपी पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष को एफआईआर की कॉपी सार्वजनिक करनी चाहिए.

दरअसल, पद्मश्री से सम्मानित दया प्रकाश सिन्हा ने सम्राट अशोक पर विवादित बयान देते हुए उनकी तुलना क्रूर औरंगजेब से कर दी थी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दया प्रकाश सिन्हा ने कहा था, 'सम्राट अशोक क्रूर, कामुक और बदसूरत थे. उन्होंने अशोक को भाई का हत्यारा बताकर उनकी तुलना क्रूर औरंगजेब से कर दी. उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक बेहद बदसूरत और कामुक थे. देश के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रमों में सम्राट अशोक के उजले पक्ष को ही शामिल किया गया है, जबकि उनकी असलियत इससे अलग भी थी. श्रीलंका के तीन बौद्ध ग्रंथों का उन्होंने हवाला देकर ये बयान दिया था. इसी को लेकर बिहार में जदयू, बीजेपी समेत कई संगठनों ने लेखक के खिलाफ प्रदर्शन कर अवार्ड वापसी की मांग की थी.

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