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'तेजस्वी के कारण जातीय जनगणना पर सर्वदलीय बैठक', RJD ने कहा- मांग मानने के लिए CM का आभार

बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census In Bihar) को लेकर तेजस्वी यादव ने शुरू से ही लड़ाई लड़ी. पीएम नरेंद्र मोदी से मिले, सीएम नीतीश कुमार से मिले. उनके कारण ही अब बिहार में कास्ट सेंसस होने जा रहा है. राजद ने एक बार फिर से जातीय जनगणना को लेकर सारा श्रेय तेजस्वी यादव को दिया है. पढ़ें पूरी खबर..

All party Meeting on Caste Census
All party Meeting on Caste Census
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Published : May 23, 2022, 1:40 PM IST

पटना: बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर सर्वदलीय बैठक होनी है. 27 मई को जातीय जनगणना पर सर्वदलीय बैठक (All party Meeting on Caste Census) हो सकती है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (Former CM Jitan Ram Manjhi) ने इसको लेकर बयान दिया है. इसपर राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी (RJD spokesperson Mrityunjay Tiwari) ने कहा कि मुख्यमंत्री (CM Nitish Kumar) को हम आभार प्रकट करते हैं कि उन्होंने सर्वदलीय बैठक बुलाई है. शुरू से ही हमारे नेता तेजस्वी यादव (RJD Leader Tejashwi yadav) लगातार जातीय जनगणना की मांग करते रहे हैं. बिहार में जातीय जनगणना होने का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वह सिर्फ और सिर्फ हमारे नेता तेजस्वी यादव को जाता है.

पढ़ें- '27 मई को जातीय जनगणना पर सर्वदलीय बैठक', जीतनराम मांझी का बड़ा बयान

'बिहार में हर हाल में होगा कास्ट सेंसस': जातीय जनगणना पर राजद प्रवक्ता ने कहा कि तेजस्वी यादव ने जातीय जनगणना की लड़ाई शुरू से लड़ी है. साथ ही उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना का जो भी बिहार में विरोध करेंगे उन पार्टी को माइनस करके भी बिहार में हर हाल में जातीय जनगणना करवाना है. इससे वैसे जाति के लोगों को फायदा होगा जो अभी भी विकास से कोसों दूर हैं.

'सहनी की तरह मांझी का भी हाल': वहीं पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के दिए गए बयान पर भी उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया दी और साफ-साफ कहा कि मांझी जी का जो दर्द है वह छलक रहा है और यही कारण है कि वह एनडीए में रहकर भी कई तरह के बयान दे रहे हैं. एनडीए में उनके पार्टी का कोई तवज्जो नहीं दिया जा रहा है. राज्यसभा की सीट भी उन्होंने मांगी कुछ नहीं मिला. इससे पहले विधान परिषद के सीट की मांग की थी वह भी उन्हें नहीं मिला.

"बिहार में एनडीए के चार चक्का में से एक चक्का मुकेश सहनी पहले ही अलग हो चुके हैं. दूसरा चक्का जो जीतन राम मांझी हैं वह पूरी तरह से पंचर हो गया है. तीसरा चक्का नालंदा की तरफ जा रहा है और चौथा चक्का बनारस की तरफ जा रहा है. कुल मिलाकर देखें तो एनडीए में पूरी तरह से अंतर्विरोध है और बहुत जल्द बिहार एनडीए बिखर जाएगा."- मृत्युंजय तिवारी, राजद प्रवक्ता



27 मई को जातीय जनगणना पर सर्वदलीय बैठक: नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत करते हुए हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के संरक्षक जीतनराम मांझी ने बताया कि बिहार में जातीय जनगणना कराने को लेकर राज्य सरकार प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार इसको लेकर 27 मई को सर्वदलीय बैठक करने वाले हैं. हमें उम्मीद है कि सभी दल इस मुद्दे पर सरकार के साथ रहेंगे. हालांकि पहले भी सभी दलों का समर्थन रहा है.


पीएम मोदी से मिला था बिहार का प्रतिनिधिमंडल: पिछले साल 23 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में 10 सदस्यीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने जातीय जनगणना की मांग पर जोर देने के लिए दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. प्रतिनिधिमंडल में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, बिहार सरकार में मंत्री जनक राम, मुकेश सहनी और विजय कुमार चौधरी, कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा, सीपीआई के सूर्यकांत पासवान, महबूब आलम (सीपीआई-एमएल), अख्तरुल इमान (एआईएमआईएम) और सीपीआई-एम के अजय कुमार शामिल थे. हालांकि इस मांग को केंद्र सरकार ने ठुकरा दिया है. इस बाबत केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने संसद में जानकारी दी.

2 बार सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित: आपको याद दिलाएं कि बिहार में जातीय जनगणना का मुद्दा काफी पुराना है. बिहार विधान सभा ने 2019 और 2020 में दो बार सर्वसम्मति से इसके लिए प्रस्ताव पारित किए थे. दोनों अवसरों पर सभी बीजेपी विधायकों ने भी इसके समर्थन में मतदान किया था. 1931 के बाद देश में एससी और एसटी के अलावा अन्य जाति आधारित जनगणना नहीं की गई है.

ये भी पढ़ें: बिहार में कब होगी जातीय जनगणना? CM नीतीश ने दिया ये जवाब


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पटना: बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर सर्वदलीय बैठक होनी है. 27 मई को जातीय जनगणना पर सर्वदलीय बैठक (All party Meeting on Caste Census) हो सकती है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (Former CM Jitan Ram Manjhi) ने इसको लेकर बयान दिया है. इसपर राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी (RJD spokesperson Mrityunjay Tiwari) ने कहा कि मुख्यमंत्री (CM Nitish Kumar) को हम आभार प्रकट करते हैं कि उन्होंने सर्वदलीय बैठक बुलाई है. शुरू से ही हमारे नेता तेजस्वी यादव (RJD Leader Tejashwi yadav) लगातार जातीय जनगणना की मांग करते रहे हैं. बिहार में जातीय जनगणना होने का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वह सिर्फ और सिर्फ हमारे नेता तेजस्वी यादव को जाता है.

पढ़ें- '27 मई को जातीय जनगणना पर सर्वदलीय बैठक', जीतनराम मांझी का बड़ा बयान

'बिहार में हर हाल में होगा कास्ट सेंसस': जातीय जनगणना पर राजद प्रवक्ता ने कहा कि तेजस्वी यादव ने जातीय जनगणना की लड़ाई शुरू से लड़ी है. साथ ही उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना का जो भी बिहार में विरोध करेंगे उन पार्टी को माइनस करके भी बिहार में हर हाल में जातीय जनगणना करवाना है. इससे वैसे जाति के लोगों को फायदा होगा जो अभी भी विकास से कोसों दूर हैं.

'सहनी की तरह मांझी का भी हाल': वहीं पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के दिए गए बयान पर भी उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया दी और साफ-साफ कहा कि मांझी जी का जो दर्द है वह छलक रहा है और यही कारण है कि वह एनडीए में रहकर भी कई तरह के बयान दे रहे हैं. एनडीए में उनके पार्टी का कोई तवज्जो नहीं दिया जा रहा है. राज्यसभा की सीट भी उन्होंने मांगी कुछ नहीं मिला. इससे पहले विधान परिषद के सीट की मांग की थी वह भी उन्हें नहीं मिला.

"बिहार में एनडीए के चार चक्का में से एक चक्का मुकेश सहनी पहले ही अलग हो चुके हैं. दूसरा चक्का जो जीतन राम मांझी हैं वह पूरी तरह से पंचर हो गया है. तीसरा चक्का नालंदा की तरफ जा रहा है और चौथा चक्का बनारस की तरफ जा रहा है. कुल मिलाकर देखें तो एनडीए में पूरी तरह से अंतर्विरोध है और बहुत जल्द बिहार एनडीए बिखर जाएगा."- मृत्युंजय तिवारी, राजद प्रवक्ता



27 मई को जातीय जनगणना पर सर्वदलीय बैठक: नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत करते हुए हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के संरक्षक जीतनराम मांझी ने बताया कि बिहार में जातीय जनगणना कराने को लेकर राज्य सरकार प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार इसको लेकर 27 मई को सर्वदलीय बैठक करने वाले हैं. हमें उम्मीद है कि सभी दल इस मुद्दे पर सरकार के साथ रहेंगे. हालांकि पहले भी सभी दलों का समर्थन रहा है.


पीएम मोदी से मिला था बिहार का प्रतिनिधिमंडल: पिछले साल 23 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में 10 सदस्यीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने जातीय जनगणना की मांग पर जोर देने के लिए दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. प्रतिनिधिमंडल में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, बिहार सरकार में मंत्री जनक राम, मुकेश सहनी और विजय कुमार चौधरी, कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा, सीपीआई के सूर्यकांत पासवान, महबूब आलम (सीपीआई-एमएल), अख्तरुल इमान (एआईएमआईएम) और सीपीआई-एम के अजय कुमार शामिल थे. हालांकि इस मांग को केंद्र सरकार ने ठुकरा दिया है. इस बाबत केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने संसद में जानकारी दी.

2 बार सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित: आपको याद दिलाएं कि बिहार में जातीय जनगणना का मुद्दा काफी पुराना है. बिहार विधान सभा ने 2019 और 2020 में दो बार सर्वसम्मति से इसके लिए प्रस्ताव पारित किए थे. दोनों अवसरों पर सभी बीजेपी विधायकों ने भी इसके समर्थन में मतदान किया था. 1931 के बाद देश में एससी और एसटी के अलावा अन्य जाति आधारित जनगणना नहीं की गई है.

ये भी पढ़ें: बिहार में कब होगी जातीय जनगणना? CM नीतीश ने दिया ये जवाब


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