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बिहार को चला रहे हैं 5 ब्यूरोक्रेट, नीतीश मॉडल में जनप्रतिनिधियों का महत्व नहीं: मनोज झा

बिहार में अफसरशाही के संबंध में राजद (RJD) के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद मनोज झा (Manoj Jha) ने कहा कि बिहार को पांच ब्यूरोक्रेट चला रहे हैं. नीतीश कुमार (Nitish kumar) ने जो मॉडल 15 साल में विकसित किया उसमें जनप्रतिनिधियों के महत्व को खत्म कर दिया गया.

Manoj Jha
मनोज झा
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Published : Jul 4, 2021, 10:18 PM IST

पटना: अफसरों की मनमानी से परेशान होकर मंत्री मदन सहनी (Madan Sahni) द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद से बिहार में अफसरशाही चर्चा में है. कई मंत्रियों ने मदन सहनी के सुर में सुर मिलाया है. इस मुद्दे पर विपक्ष की ओर से भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish kumar) की सरकार पर सवाल उठाया जा रहा है. इसी क्रम में राज्यसभा सांसद और राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा (Manoj Jha) ने नीतीश सरकार पर तंज कसा है.

यह भी पढ़ें- हम सरकार नहीं गिराएंगे, गिरी हुई सरकार खुद गिर जाएगी: तेजस्वी यादव

जल्द गिरेगी सरकार
मनोज झा ने कहा, "नीतीश सरकार ने लोकतंत्र को खत्म कर दिया है. यहां जनप्रतिनिधियों को कोई सुनने वाला नहीं है. 15 साल में सरकार पर सिर्फ ब्यूरोक्रेट्स ही हावी हैं. नीतीश ने बिहार में जो मॉडल लागू किया है उसमें जनप्रतिनिधियों का महत्व खत्म कर दिया गया है. विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव लगातार कहते रहे हैं कि 5 ब्यूरोक्रेट बिहार को चला रहे हैं. सरकार के मंत्री ही सरकार पर आरोप लगा रहे हैं. इससे साफ है कि सरकार बहुत जल्द गिरने वाली है.

देखें वीडियो

"नीतीश कुमार ने बिहार का जो मॉडल विकसित किया है उसमें जन प्रतिनिधियों को खत्म कर दिया गया है. नेता प्रतिपक्ष करते रहे हैं कि पांच ब्यूरोक्रेट राज्य को चला रहे हैं. आज उनके मंत्री गण कह रहे हैं. इस तरह के विरोधाभास में कौन सी सरकार चलेगी. जाहिर है यह सरकार गिर जाएगी."- मनोज झा, राज्यसभा सांसद और राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता

मदन सहनी ने अफसरशाही से तंग आकर दिया था इस्तीफा
बता दें कि मंत्री मदन सहनी ने गुरुवार को अफसरशाही के खिलाफ बिगुल फूंक दिया था. उन्होंने कहा था, 'यहां अधिकारियों की कौन कहे, चपरासी तक मंत्री की बात नहीं सुनते. अगर मंत्री की भी बात सरकार में नहीं सुनी जाएगी, तो ऐसी हालत में मंत्री पद पर रहकर क्या फायदा?' उन्होंने कहा था, "अफसरों की तानाशाही से हम परेशान हो गए हैं. कोई काम नहीं हो रहा है. जब हम गरीबों का भला ही नहीं कर पा रहे हैं, तो केवल सुविधा भोगने के लिए मंत्री नहीं रह सकते. मुख्यमंत्री को इस्तीफा सौंप देंगे.''

तबादले के चलते फंसा था पेंच
सूत्रों की मानें तो मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों के बीच अधिकारियों के तबादले को लेकर पेंच फंस गया था, जिस कारण यह बखेड़ा खड़ा हो गया. इससे अब सरकार की किरकिरी हो रही है. दरअसल, जून के महीने में राज्य के करीब सभी विभागों में बड़े पैमाने पर अधिकारियों के तबादले होते हैं. समाज कल्याण विभाग में भी तबादले होने थे. मंत्री ने आरोप लगाया कि तीन दिनों से अधिकारी तबादले का फाइल दबाए हुए हैं.

यह भी पढ़ें- लालू से नहीं मिलेंगे मदन सहनी, कहा- 'मैं एहसान फरामोश नहीं, नीतीश ही मेरे नेता'

पटना: अफसरों की मनमानी से परेशान होकर मंत्री मदन सहनी (Madan Sahni) द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद से बिहार में अफसरशाही चर्चा में है. कई मंत्रियों ने मदन सहनी के सुर में सुर मिलाया है. इस मुद्दे पर विपक्ष की ओर से भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish kumar) की सरकार पर सवाल उठाया जा रहा है. इसी क्रम में राज्यसभा सांसद और राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा (Manoj Jha) ने नीतीश सरकार पर तंज कसा है.

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जल्द गिरेगी सरकार
मनोज झा ने कहा, "नीतीश सरकार ने लोकतंत्र को खत्म कर दिया है. यहां जनप्रतिनिधियों को कोई सुनने वाला नहीं है. 15 साल में सरकार पर सिर्फ ब्यूरोक्रेट्स ही हावी हैं. नीतीश ने बिहार में जो मॉडल लागू किया है उसमें जनप्रतिनिधियों का महत्व खत्म कर दिया गया है. विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव लगातार कहते रहे हैं कि 5 ब्यूरोक्रेट बिहार को चला रहे हैं. सरकार के मंत्री ही सरकार पर आरोप लगा रहे हैं. इससे साफ है कि सरकार बहुत जल्द गिरने वाली है.

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"नीतीश कुमार ने बिहार का जो मॉडल विकसित किया है उसमें जन प्रतिनिधियों को खत्म कर दिया गया है. नेता प्रतिपक्ष करते रहे हैं कि पांच ब्यूरोक्रेट राज्य को चला रहे हैं. आज उनके मंत्री गण कह रहे हैं. इस तरह के विरोधाभास में कौन सी सरकार चलेगी. जाहिर है यह सरकार गिर जाएगी."- मनोज झा, राज्यसभा सांसद और राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता

मदन सहनी ने अफसरशाही से तंग आकर दिया था इस्तीफा
बता दें कि मंत्री मदन सहनी ने गुरुवार को अफसरशाही के खिलाफ बिगुल फूंक दिया था. उन्होंने कहा था, 'यहां अधिकारियों की कौन कहे, चपरासी तक मंत्री की बात नहीं सुनते. अगर मंत्री की भी बात सरकार में नहीं सुनी जाएगी, तो ऐसी हालत में मंत्री पद पर रहकर क्या फायदा?' उन्होंने कहा था, "अफसरों की तानाशाही से हम परेशान हो गए हैं. कोई काम नहीं हो रहा है. जब हम गरीबों का भला ही नहीं कर पा रहे हैं, तो केवल सुविधा भोगने के लिए मंत्री नहीं रह सकते. मुख्यमंत्री को इस्तीफा सौंप देंगे.''

तबादले के चलते फंसा था पेंच
सूत्रों की मानें तो मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों के बीच अधिकारियों के तबादले को लेकर पेंच फंस गया था, जिस कारण यह बखेड़ा खड़ा हो गया. इससे अब सरकार की किरकिरी हो रही है. दरअसल, जून के महीने में राज्य के करीब सभी विभागों में बड़े पैमाने पर अधिकारियों के तबादले होते हैं. समाज कल्याण विभाग में भी तबादले होने थे. मंत्री ने आरोप लगाया कि तीन दिनों से अधिकारी तबादले का फाइल दबाए हुए हैं.

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