पटना: अवैध बालू खनन (Illegal Sand Mining) को लेकर बिहार सरकार (Bihar Government) सख्त हो गई है. सरकार लगातार बालू खनन मामले में अधिकारियों पर कार्रवाई कर रही है. सरकार ने एक बार फिर 18 अधिकारियों पर गाज गिराई है. हालांकि विपक्ष सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है. विपक्षी दलों का कहना है कि सफेदपोश नेताओं को बचाने के लिए सरकार छोटे अधिकारियों पर कार्रवाई कर रही है.
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अवैध बालू खनन मामले को लेकर सरकार ने 18 अधिकारियों पर जिस तरह से कार्रवाई की है उसको लेकर विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाना शुरू कर दिया है. विपक्ष का कहना है कि सरकार सफेदपोश नेताओं को बचाने के लिए छोटे अधिकारियों पर कार्रवाई कर रही है.
राजद विधायक मुकेश रोशन ने कहा, 'अवैध बालू खनन में लिप्त बड़ी मछलियों को बचाने के लिए छोटे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. अवैध बालू खनन में जदयू के नेता शामिल हैं. उनके संरक्षण में अवैध बालू खनन का खेल चल रहा है. आरसीपी टैक्स के रूप में मोटी रकम दी जा रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की नाक के नीचे घोटाला हो रहा है. जितना बालू पहले 4 हजार रुपये में मिलता था आज उतना ही बालू 8 हजार रुपये में मिल रहा है. सरकार ने बालू का सरकारी रेट तो तय कर दिया, लेकिन सरकारी दुकान कहां है?'
"एसपी राकेश दुबे एक माह पहले आरा गए थे, उनके खिलाफ कार्रवाई की गई. एमवीआई विनोद कुमार कुछ माह पहले आरा गए थे, उनपर कार्रवाई हुई. जो अधिकारी 4-5 साल से पोस्टेड थे उनके खिलाफ क्या कार्रवाई हुई? इन लोगों ने मोटी रकम कमाई है. इनकी संपत्ति की जांच होनी चाहिए."- मुकेश रोशन, विधायक, राजद
"जदयू और बीजेपी की सरकार की गलत नीति की वजह से नदियों से बालू की लूट हो रही है.सरकार सच में अवैध बालू खनन पर रोक लगाना चाहती है तो सबसे पहले उसे अपने नीति बदलनी होगी. सरकार खुद अवैध बालू खनन को संरक्षण दे रही है. सरकार सिर्फ छोटे अधिकारियों पर कार्रवाई कर रही है. जो नेता बालू माफियाओं को संरक्षण दे रहे हैं उनसे चंदे के रूप में मोटी रकम ली जा रही है."- मनोज मंजिल, विधायक, सीपीआईएम
"बालू की लूट में सरकार भी संलिप्त है. सरकार के कुछ लोग शामिल हैं तभी बालू की लूट हो रही है. मैंने कार्रवाई करने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया है. इसके साथ ही यह भी कहा है कि अभी बहुत कम कार्रवाई हुई है. इसकी पूरी जांच होनी चाहिए. जिन जिलों में बालू खनन होता है वहां के सभी पदाधिकारी इसमें लिप्त हैं. इस मामले में लिप्त सफेदपोश को खोजकर उसके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए."- अजीत शर्मा, नेता, कांग्रेस विधायक दल
बता दें कि अवैध बालू खनन के मामले में बिहार सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए बुधवार को दो जिलों के एसपी (भोजपुर के तत्कालीन एसपी राकेश कुमार दुबे और औरंगाबाद के तत्कालीन एसपी सुधीर पोरिका) समेत 13 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया था. चार एसडीपीओ (SDPO) पर भी कार्रवाई की गई थी. संजय कुमार, अनूप कुमार, पंकज कुमार रावत और तनवीर अहमद पर विभागीय कार्रवाई का आदेश जारी करते हुए निलंबित कर दिया गया था. इस मामले में डेहरी के एसडीओ सुनील कुमार सिंह को भी निलंबित कर दिया गया था.
आर्थिक अपराध इकाई पुलिस और प्रशासन के ऐसे अधिकारियों की जांच कर रही है, जिनके तार बालू खनन से जुड़े रहे हैं. इस मामले में बिहार पुलिस मुख्यालय ने कार्रवाई करते हुए 18 पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है. सस्पेंड किए गए सभी इंस्पेक्टर पहले पटना, भोजपुर, सारण, औरंगाबाद और रोहतास जिले में तैनात थे. आर्थिक अपराध इकाई द्वारा जांच में बालू के अवैध खनन में संदिग्ध भूमिका मिलने के बाद 10 जुलाई को इन सभी पुलिस अधिकारियों का तबादला जोन से बाहर किया गया था.
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