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सबसे बड़ी पार्टी बनकर भी सत्ता से दूर रही RJD, 2 सीटों के उपचुनाव में कर रहे सरकार गिराने की बात

सरकार बनाने की बेचैनी आरजेडी के नेताओं में साफ दिख रही है. वे 2 सीटों के उपचुनाव में नीतीश सरकार को उखाड़ फेंकने की बात कह रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

RJD
राजद
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Published : Oct 27, 2021, 6:46 PM IST

पटना: बिहार में विधानसभा के 2 सीटों पर हो रहे उपचुनाव (Bihar By-Election) में सरकार बनाने और बिगाड़ने की सियासत शुरू है. इसपर बयानबाजी भी खूब हो रही है. आरजेडी के तरफ से लगातार सरकार बनाने के दावे होते रहे हैं. पहले 15 अगस्त को झंडा फहराने की बात हो रही थी. अब 2 सीटों के सहारे ही सरकार बनाने के दावे किए जा रहे हैं. इसे जदयू और एनडीए पर दबाव की राजनीति के तौर पर देखा जा रहा है. विशेषज्ञ भी कह रहे हैं कि आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन सत्ता से दूर है. उसकी बेचैनी भी दिखती है.


यह भी पढ़ें- 'हम काहे गोली मारेंगे, अपने मर जाओगे', नीतीश को लालू का जवाब

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी जरूर बन गई, लेकिन सत्ता से दूर है. महागठबंधन को केवल 110 सीट मिले. वहीं, एनडीए को 125 सीट मिले. भले ही जदयू को 43 सीट पर जीत मिली, लेकिन नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बन गए. आरजेडी को यह लगातार खटक रहा है.

देखें वीडियो

आरजेडी के तरफ से सरकार बनाने के दावे होते रहे हैं. नीतीश सरकार के गिरने की बात भी कही जाती रही है. पहले आरजेडी के नेताओं ने 15 अगस्त को गांधी मैदान में तेजस्वी यादव द्वारा झंडा फहराने की बात कही गई थी. हालांकि वह तो सही नहीं हुआ. अब विधानसभा के 2 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है तो फिर से सरकार बनाने और गिराने के दावे हो रहे हैं.

वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय इसे जदयू के साथ एनडीए पर प्रेशर पॉलिटिक्स के तौर पर देखते हैं. उन्होंने कहा, 'लालू प्रसाद यादव लंबे अंतराल के बाद बिहार लौटे हैं. लोगों से कनेक्ट कर सकें इसलिए उनकी बयानबाजी विसर्जन जैसे शब्दों से हो रही है.'

"प्रेशर पॉलिटिक्स का कहीं कोई मामला नहीं है. जनता ही चाहती है कि बदलाव हो और तेजस्वी यादव बदलाव का वाहक बनें."- एजाज अहमद, प्रवक्ता, आरजेडी

"एनडीए ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था. आरजेडी भले बड़ी पार्टी हो गई हो, लेकिन उनका गठबंधन एनडीए से कम सीट लाया और इसलिए वे सरकार से बाहर हैं. फरवरी 2005 में आरजेडी को 75 और 2020 में 75 सीट मिले थे, लेकिन लगता है उनका नक्षत्र राजयोग का नहीं है."- निखिल मंडल, प्रवक्ता, जदयू

"चुनाव में मुकाबला तो एनडीए और महागठबंधन के बीच था. बिहार की जनता ने एनडीए को बहुमत दिया. इसके चलते आज हमारी सरकार है और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं. आरजेडी को वोटकटवा पार्टी (लोजपा) के चलते अधिक सीट मिल गई थी."- अरविंद सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी

बता दें कि 15 साल तक सत्ता में रहने के बाद फरवरी 2005 में 75 सीट लाकर आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. उसके बाद 2015 में भी आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनी. लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार के साथ मिलकर सरकार बनाया था और तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बने थे. सरकार ज्यादा दिन नहीं चली. सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद आरजेडी सत्ता से बाहर हो गई.

2020 में भी आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनी है, लेकिन सत्ता के लिए जो संख्या बल चाहिए उससे महागठबंधन कुछ पीछे रह गया. कुछ सीटों के कारण तेजस्वी सरकार बनाते-बनाते रह गए. इसलिए सरकार बनाने की बेचैनी आरजेडी के नेताओं में साफ दिख रही है. वे 2 सीटों के उपचुनाव में नीतीश सरकार को उखाड़ फेंकने की बात कह रहे हैं. हालांकि यह कितना सच साबित होगा यह तो 2 नवंबर के रिजल्ट के बाद ही पता चल पाएगा.

यह भी पढ़ें- 'जनता ने पहले ही कर दिया लालू जी का राजनीतिक विसर्जन, अब सिर्फ मनोरंजन के लिए सुनते हैं भाषण'

पटना: बिहार में विधानसभा के 2 सीटों पर हो रहे उपचुनाव (Bihar By-Election) में सरकार बनाने और बिगाड़ने की सियासत शुरू है. इसपर बयानबाजी भी खूब हो रही है. आरजेडी के तरफ से लगातार सरकार बनाने के दावे होते रहे हैं. पहले 15 अगस्त को झंडा फहराने की बात हो रही थी. अब 2 सीटों के सहारे ही सरकार बनाने के दावे किए जा रहे हैं. इसे जदयू और एनडीए पर दबाव की राजनीति के तौर पर देखा जा रहा है. विशेषज्ञ भी कह रहे हैं कि आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन सत्ता से दूर है. उसकी बेचैनी भी दिखती है.


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2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी जरूर बन गई, लेकिन सत्ता से दूर है. महागठबंधन को केवल 110 सीट मिले. वहीं, एनडीए को 125 सीट मिले. भले ही जदयू को 43 सीट पर जीत मिली, लेकिन नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बन गए. आरजेडी को यह लगातार खटक रहा है.

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आरजेडी के तरफ से सरकार बनाने के दावे होते रहे हैं. नीतीश सरकार के गिरने की बात भी कही जाती रही है. पहले आरजेडी के नेताओं ने 15 अगस्त को गांधी मैदान में तेजस्वी यादव द्वारा झंडा फहराने की बात कही गई थी. हालांकि वह तो सही नहीं हुआ. अब विधानसभा के 2 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है तो फिर से सरकार बनाने और गिराने के दावे हो रहे हैं.

वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय इसे जदयू के साथ एनडीए पर प्रेशर पॉलिटिक्स के तौर पर देखते हैं. उन्होंने कहा, 'लालू प्रसाद यादव लंबे अंतराल के बाद बिहार लौटे हैं. लोगों से कनेक्ट कर सकें इसलिए उनकी बयानबाजी विसर्जन जैसे शब्दों से हो रही है.'

"प्रेशर पॉलिटिक्स का कहीं कोई मामला नहीं है. जनता ही चाहती है कि बदलाव हो और तेजस्वी यादव बदलाव का वाहक बनें."- एजाज अहमद, प्रवक्ता, आरजेडी

"एनडीए ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था. आरजेडी भले बड़ी पार्टी हो गई हो, लेकिन उनका गठबंधन एनडीए से कम सीट लाया और इसलिए वे सरकार से बाहर हैं. फरवरी 2005 में आरजेडी को 75 और 2020 में 75 सीट मिले थे, लेकिन लगता है उनका नक्षत्र राजयोग का नहीं है."- निखिल मंडल, प्रवक्ता, जदयू

"चुनाव में मुकाबला तो एनडीए और महागठबंधन के बीच था. बिहार की जनता ने एनडीए को बहुमत दिया. इसके चलते आज हमारी सरकार है और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं. आरजेडी को वोटकटवा पार्टी (लोजपा) के चलते अधिक सीट मिल गई थी."- अरविंद सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी

बता दें कि 15 साल तक सत्ता में रहने के बाद फरवरी 2005 में 75 सीट लाकर आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. उसके बाद 2015 में भी आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनी. लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार के साथ मिलकर सरकार बनाया था और तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बने थे. सरकार ज्यादा दिन नहीं चली. सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद आरजेडी सत्ता से बाहर हो गई.

2020 में भी आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनी है, लेकिन सत्ता के लिए जो संख्या बल चाहिए उससे महागठबंधन कुछ पीछे रह गया. कुछ सीटों के कारण तेजस्वी सरकार बनाते-बनाते रह गए. इसलिए सरकार बनाने की बेचैनी आरजेडी के नेताओं में साफ दिख रही है. वे 2 सीटों के उपचुनाव में नीतीश सरकार को उखाड़ फेंकने की बात कह रहे हैं. हालांकि यह कितना सच साबित होगा यह तो 2 नवंबर के रिजल्ट के बाद ही पता चल पाएगा.

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