ETV Bharat / state

मोहन भागवत के बयान पर RJD का पलटवार, 'क्या हिंदू मुसलमान और हिंदू ईसाई कहा जायेगा'

author img

By

Published : Dec 1, 2022, 9:30 AM IST

मोहन भागवत के बयान पर आरजेडी ने पलटवार (RJD counterattack on Mohan Bhagwat statement ) किया है. आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा है कि क्या हमारे देश के मुसलमान और ईसाई, हिंदू मुसलमान और हिन्दू ईसाई कहे जाएंगे. मोहन भागवत के अनुसार तो यही लगता है. पढ़ें पूरी खबर..

मोहन भागवत के बयान पर RJD का पलटवार
मोहन भागवत के बयान पर RJD का पलटवार

पटना: बिहार में आरजेडी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर हमला (RJD attack on Mohan Bhagwat ) किया है. आरजेडी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा है कि क्या हमारे देश के मुसलमान और ईसाई, हिंदू मुसलमान और हिन्दू ईसाई कहे जाएंगे. मोहन भागवत के अनुसार तो यही लगता है. एक बयान जारी करते हुए शिवानंद तिवारी ने कहा कि मोहन भागवत जो भी बोलते हैं, उसको बहुत गंभीरता से लिया जाना चाहिए. क्योंकि देश की मौजूदा सरकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नीतियों को देश में लागू करने वाली सरकार है.

ये भी पढ़ेंः 'देश में रहने वाले सभी हिंदू, दूसरे धर्म की इच्छा मत करो' : मोहन भागवत

भारत में रहने वाला हर व्यक्त हिंदू का क्या अर्थ? शिवानंद ने कहा कि मोहन भागवत बिहार में थे. उन्होंने ने कहा है कि भारत में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदू है. किसी ने उनके इस बयान पर प्रतिक्रिया नहीं दी है. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान इन्हीं भागवत ने आरक्षण पर पुनर्विचार की जरूरत बताई थी. आज वे कह रहे हैं कि भारत में रहने वाले सभी हिंदू हैं. देश किस दिशा में बढ़ रहा है. इसका अनुमान संघ प्रमुख की इस घोषणा से लगाया जा सकता है. बाबा साहब आंबेडकर ने संकल्प लिया था कि वे हिंदू धर्म में नहीं मरेंगे. उन्होंने अपने लाखों समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म कबूल कर लिया था, लेकिन भागवत के अनुसार वे हिंदू ही माने जाएंगे. यानी आंबेडकर के हिंदू धर्म के बाहर प्राण त्यागने के संकल्प को भागवत की यह परिभाषा असत्य करार देने जा रही है.

हिंदू मुसलमान और हिंदू ईसाई कहे जाने का कानून बनवा सकते हैं: आरजेडी प्रवक्ता ने कहा कि सावरकर साहब की परिभाषा के मुताबिक मुसलमान और ईसाई एक नम्बर के भारतीय नहीं हैं. क्योंकि उनकी पुण्यभूमि इस देश के बाहर है. संघ प्रमुख ने अभी जो कहा है उसके अनुसार ये दोनों भी हिंदू ही माने जाएंगे. सवाल है कि उनको हिंदू धर्म में कौन सा स्थान मिलेगा. क्या वे हिंदू मुस्लिम या हिंदू ईसाई कहे जाएंगे. जैसे पूर्व में उन्होंने आरक्षण पर पुनर्विचार की जरूरत बताई थी और आज सात साल बाद उसको हम हकीकत के रूप में देख रहे हैं. उसी तरह संभवतः कल संघ प्रचारक प्रधानमंत्री हिंदू मुसलमान और हिंदू ईसाई कहे जाने का कानून बनवा दें तो आश्‍चर्य नहीं होगा.

केंद्र सरकार के सभी प्रमुख मंत्री संघ के अनुयायीः शिवानंद तिवारी ने कहा कि प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री सहित प्रायः सभी महत्वपूर्ण मंत्री संघ के स्वयंसेवक रहे हैं. प्रधानमंत्री ने तो लंबे समय तक संघ के प्रचारक की भूमिका निभाई है. इसलिए भले ही प्रधानमंत्री संविधान दिवस के मौके पर संविधान की जितनी भी दुहाई दे लें, लेकिन उनके मन पर संघ की नीतियां पत्थर की लकीर की तरह खुदी हुई हैं.

मोहन भागवत ने आरक्षण पर पुनर्विचार की बात कही थी: शिवानंद ने कहा कि स्मरण होगा कि 2015 के विधानसभा के समय मोहन भागवत ने ही संघ द्वारा प्रकाशित पांचजन्य और ऑर्गनाइजर में दिये गये साक्षात्कार में देश की पिछड़ी जातियों को मिलने वाले आरक्षण पर पुनर्विचार करने का बयान दिया था. विश्व हिंदू परिषद ने भी वह मांग दुहराई थी. महागठबंधन के नेताओं ने भागवत के उस बयान पर काफी हो हल्ला मचाया था. उस समय का भागवत ने का कहा आज हमारे सामने सत्य बन कर खड़ा है. स्वंय सेवक प्रधानमंत्री ने संघ के उस महत्वपूर्ण एजेंडा को पूरा कर दिया है.

संघ के विचार से प्रभावित होकर दिया 10% आरक्षणः आरजेडी प्रवक्ता ने कहा कि गरीबी को आधार बनाकर दस प्रतिशत आरक्षण देने के लिए संविधान में संशोधन हो गया. राज्यसभा में बहुमत नहीं था. वहां इस संशोधन के अटक जाने का खतरा था. इसलिए बहुमत के जोर से उसको ‘मनी बिल’ बना कर लोकसभा में पास करवा दिया गया. लोकसभा में पारित हो जाने के बाद मनी बिल को राज्यसभा में पास कराने की जरूरत ही नहीं रहती है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर मुहर लगा दी है.

पांच सवर्ण जजों ने 10% आरक्षण को संविधान सम्मत बतायाः शिवानंद तिवारी ने कहा कि पांच सवर्ण जजों की संविधान पीठ ने इस आरक्षण को संविधान सम्मत घोषित कर दिया. सबसे चिंता जनक बात यह है कि पीठ के दो एक जजों ने पिछड़ी जातियों को मिलने वाले आरक्षण पर भी पुनर्विचार करने की जरूरत बताई. इस फैसले के बाद तो आरक्षण पर पुनर्विचार के पक्ष में लेख वगैरह भी आने शुरू हो गये हैं. दलितों और आदिवासियों को दिये जाने वाले आरक्षण की व्यवस्था तो मूल संविधान में ही कर दी गई थी. लेकिन भारतीय समाज में व्याप्त जाति व्यवस्था की वजह से पिछड़ी जातियों की विशाल आबादी की सामाजिक, शैक्षणिक पिछड़ेपन की स्थिति के अध्ययन के लिए आयोग गठित करने और उसकी अनुशंसा के मुताबिक कार्रवाई करने का निर्देश हमारे संविधान ने ही दिया है.

"क्या हमारे देश के मुसलमान और ईसाई, हिंदू मुसलमान और हिन्दू ईसाई कहे जाएंगे. मोहन भागवत के अनुसार तो यही लगता है. मोहन भागवत जो भी बोलते हैं, उसको बहुत गंभीरता से लिया जाना चाहिए. क्योंकि देश की मौजूदा सरकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नीतियों को देश में लागू करने वाली सरकार है" - शिवानंद तिवारी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, आरजेडी

पटना: बिहार में आरजेडी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर हमला (RJD attack on Mohan Bhagwat ) किया है. आरजेडी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा है कि क्या हमारे देश के मुसलमान और ईसाई, हिंदू मुसलमान और हिन्दू ईसाई कहे जाएंगे. मोहन भागवत के अनुसार तो यही लगता है. एक बयान जारी करते हुए शिवानंद तिवारी ने कहा कि मोहन भागवत जो भी बोलते हैं, उसको बहुत गंभीरता से लिया जाना चाहिए. क्योंकि देश की मौजूदा सरकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नीतियों को देश में लागू करने वाली सरकार है.

ये भी पढ़ेंः 'देश में रहने वाले सभी हिंदू, दूसरे धर्म की इच्छा मत करो' : मोहन भागवत

भारत में रहने वाला हर व्यक्त हिंदू का क्या अर्थ? शिवानंद ने कहा कि मोहन भागवत बिहार में थे. उन्होंने ने कहा है कि भारत में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदू है. किसी ने उनके इस बयान पर प्रतिक्रिया नहीं दी है. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान इन्हीं भागवत ने आरक्षण पर पुनर्विचार की जरूरत बताई थी. आज वे कह रहे हैं कि भारत में रहने वाले सभी हिंदू हैं. देश किस दिशा में बढ़ रहा है. इसका अनुमान संघ प्रमुख की इस घोषणा से लगाया जा सकता है. बाबा साहब आंबेडकर ने संकल्प लिया था कि वे हिंदू धर्म में नहीं मरेंगे. उन्होंने अपने लाखों समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म कबूल कर लिया था, लेकिन भागवत के अनुसार वे हिंदू ही माने जाएंगे. यानी आंबेडकर के हिंदू धर्म के बाहर प्राण त्यागने के संकल्प को भागवत की यह परिभाषा असत्य करार देने जा रही है.

हिंदू मुसलमान और हिंदू ईसाई कहे जाने का कानून बनवा सकते हैं: आरजेडी प्रवक्ता ने कहा कि सावरकर साहब की परिभाषा के मुताबिक मुसलमान और ईसाई एक नम्बर के भारतीय नहीं हैं. क्योंकि उनकी पुण्यभूमि इस देश के बाहर है. संघ प्रमुख ने अभी जो कहा है उसके अनुसार ये दोनों भी हिंदू ही माने जाएंगे. सवाल है कि उनको हिंदू धर्म में कौन सा स्थान मिलेगा. क्या वे हिंदू मुस्लिम या हिंदू ईसाई कहे जाएंगे. जैसे पूर्व में उन्होंने आरक्षण पर पुनर्विचार की जरूरत बताई थी और आज सात साल बाद उसको हम हकीकत के रूप में देख रहे हैं. उसी तरह संभवतः कल संघ प्रचारक प्रधानमंत्री हिंदू मुसलमान और हिंदू ईसाई कहे जाने का कानून बनवा दें तो आश्‍चर्य नहीं होगा.

केंद्र सरकार के सभी प्रमुख मंत्री संघ के अनुयायीः शिवानंद तिवारी ने कहा कि प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री सहित प्रायः सभी महत्वपूर्ण मंत्री संघ के स्वयंसेवक रहे हैं. प्रधानमंत्री ने तो लंबे समय तक संघ के प्रचारक की भूमिका निभाई है. इसलिए भले ही प्रधानमंत्री संविधान दिवस के मौके पर संविधान की जितनी भी दुहाई दे लें, लेकिन उनके मन पर संघ की नीतियां पत्थर की लकीर की तरह खुदी हुई हैं.

मोहन भागवत ने आरक्षण पर पुनर्विचार की बात कही थी: शिवानंद ने कहा कि स्मरण होगा कि 2015 के विधानसभा के समय मोहन भागवत ने ही संघ द्वारा प्रकाशित पांचजन्य और ऑर्गनाइजर में दिये गये साक्षात्कार में देश की पिछड़ी जातियों को मिलने वाले आरक्षण पर पुनर्विचार करने का बयान दिया था. विश्व हिंदू परिषद ने भी वह मांग दुहराई थी. महागठबंधन के नेताओं ने भागवत के उस बयान पर काफी हो हल्ला मचाया था. उस समय का भागवत ने का कहा आज हमारे सामने सत्य बन कर खड़ा है. स्वंय सेवक प्रधानमंत्री ने संघ के उस महत्वपूर्ण एजेंडा को पूरा कर दिया है.

संघ के विचार से प्रभावित होकर दिया 10% आरक्षणः आरजेडी प्रवक्ता ने कहा कि गरीबी को आधार बनाकर दस प्रतिशत आरक्षण देने के लिए संविधान में संशोधन हो गया. राज्यसभा में बहुमत नहीं था. वहां इस संशोधन के अटक जाने का खतरा था. इसलिए बहुमत के जोर से उसको ‘मनी बिल’ बना कर लोकसभा में पास करवा दिया गया. लोकसभा में पारित हो जाने के बाद मनी बिल को राज्यसभा में पास कराने की जरूरत ही नहीं रहती है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर मुहर लगा दी है.

पांच सवर्ण जजों ने 10% आरक्षण को संविधान सम्मत बतायाः शिवानंद तिवारी ने कहा कि पांच सवर्ण जजों की संविधान पीठ ने इस आरक्षण को संविधान सम्मत घोषित कर दिया. सबसे चिंता जनक बात यह है कि पीठ के दो एक जजों ने पिछड़ी जातियों को मिलने वाले आरक्षण पर भी पुनर्विचार करने की जरूरत बताई. इस फैसले के बाद तो आरक्षण पर पुनर्विचार के पक्ष में लेख वगैरह भी आने शुरू हो गये हैं. दलितों और आदिवासियों को दिये जाने वाले आरक्षण की व्यवस्था तो मूल संविधान में ही कर दी गई थी. लेकिन भारतीय समाज में व्याप्त जाति व्यवस्था की वजह से पिछड़ी जातियों की विशाल आबादी की सामाजिक, शैक्षणिक पिछड़ेपन की स्थिति के अध्ययन के लिए आयोग गठित करने और उसकी अनुशंसा के मुताबिक कार्रवाई करने का निर्देश हमारे संविधान ने ही दिया है.

"क्या हमारे देश के मुसलमान और ईसाई, हिंदू मुसलमान और हिन्दू ईसाई कहे जाएंगे. मोहन भागवत के अनुसार तो यही लगता है. मोहन भागवत जो भी बोलते हैं, उसको बहुत गंभीरता से लिया जाना चाहिए. क्योंकि देश की मौजूदा सरकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नीतियों को देश में लागू करने वाली सरकार है" - शिवानंद तिवारी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, आरजेडी

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.