ETV Bharat / state

Rheumatology Course: 'शुरुआती लक्षण के समय ही गठिया पकड़ में आए तो इलाज संभव', रुमेटोलॉजी कोर्स पर चर्चा के दौरान बोले एक्सपर्ट

बिहार में गठिया की बीमारी के मामले 30 से 40 लाख के करीब है लेकिन गठिया की बीमारी के लिए एक्सपर्ट की कमी है. रुमेटोलॉजिस्ट की संख्या पूरे प्रदेश में लगभग 3 से 4 के करीब में है. ऐसे में इतनी भारी संख्या में घटिया मरीजों को रूमेटोलॉजिस्ट नहीं देख सकते हैं और गठिया की शिकायत को लेकर लोग ऑर्थोपेडिक चिकित्सक के पास चले आते हैं. लिहाजा ऑर्थोपेडिक चिकित्सकों में गठिया की बीमारी के बारे में जागरूकता और उपचार के महत्वपूर्ण उपायों के बारे में जानकारी के उद्देश्य से रविवार को होटल चाणक्य में बिहार ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन और इंडियन ऑर्थोपेडिक रुमेटोलॉजी एसोसिएशन की ओर से एक दिवसीय रूमेटोलॉजी कोर्स का आयोजन किया गया.

पटना में रूमेटोलॉजी कोर्स का आयोजन
पटना में रूमेटोलॉजी कोर्स का आयोजन
author img

By

Published : Apr 10, 2023, 7:13 AM IST

पटना में रुमेटोलॉजी कोर्स का आयोजन

पटना: बिहार ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन की ओर से राजधानी पटना में इसका आयोजन किया गया. जहां इंडियन ऑर्थोपेडिक रुमेटोलॉजी एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. एस चंद्रशेखर भी मौजूद रहे. उन्होंने तमाम ऑर्थोपेडिक चिकित्सकों को गठिया की बीमारी के प्रारंभिक लक्षण और उन्हें पहचानने की विधि के साथ-साथ जरूरी जांच और इलाज के लिए नवीनतम दवाइयों और तकनीक के बारे में विस्तार से जानकारी दी. इस एकदिवसीय मास्टर ट्रेनिंग कोर्स में ऑर्थोपेडिक सर्जनों को रूमेटाइड अर्थराइटिस, स्पोंडिलाइटिस, सहित विभिन्न रुमेटोलॉजी स्थितियों के प्रबंधन में व्यवहारिक सुझाव दिए गए.

ये भी पढ़ें: युवाओं में ऑस्टियोआर्थराइटिस होने का खतरा अधिक : RMLIMS

रुमेटोलॉजी कोर्स का आयोजन से लाभ मिलेगा: इस कार्यक्रम के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री और पीएमसीएच के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. राजीव आनंद ने बताया कि बिहार में गठिया के बीमारी के मामले काफी अधिक हैं लेकिन एक्सपर्ट चिकित्सकों की कमी है. गठिया के मरीज ऑर्थोपेडिक चिकित्सक के पास ही पहुंचते हैं. ऐसे में जरूरी है कि ऑर्थोपेडिक चिकित्सकों के पास बीमारी से संबंधित विस्तृत जानकारी हो और इलाज के नवीनतम तकनीकों और दवाइयों का ज्ञान हो. इसी को देखते हुए रुमेटोलॉजी कोर्स का आयोजन किया जा रहा है.

"इस कोर्ट के जरिए उन लोगों को रूमेटोलॉजी एक्सपर्ट गठिया बीमारी के शुरुआती पहचान नवीनतम दवाइयों और इलाज के तकनीकों के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं. यह सत्र काफी लाभदायक है और इससे ऑर्थोपेडिक चिकित्सक आने वाले समय में गठिया रोग का बेहतर इलाज करने में सफल होंगे"- डॉ. राजीव आनंद, ऑर्थोपेडिशियन

शुरुआती लक्षण पकड़ में आने पर इलाज आसान: वहीं, बिहार ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के सचिव और पीएमसीएच के ऑर्थोपेडिक विभाग के प्रोफेसर डॉ. महेश प्रसाद ने बताया कि बिहार में लगभग 40 लाख के करीब गठिया के मरीज हैं और गठिया रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों की संख्या 3 के करीब है. गठिया की बीमारी जब गंभीर स्टेज में आ जाती है तो ऑर्थोपेडिक चिकित्सक के पास ही मरीज आते हैं, क्योंकि सर्जरी ऑर्थोपेडिशियन ही करते हैं. ऐसे में बिहार ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन ने निर्णय लिया कि रुमेटोलॉजिस्ट नहीं है तो ऑर्थोपेडिक चिकित्सकों को इस प्रकार दक्ष बनाया जाय कि वह मरीज को शुरुआती लक्षण के समय ही पकड़ सके और इसकी गंभीरता को कम कर सके.

"गठिया की बीमारी में लगभग 85% मामले क्लीनिकल काउंसलिंग में ही पता चल जाते हैं और इसका पता लगाने के लिए कुछ विशेष जांच है. हर जांच हर मरीज के लिए जरूरी भी नहीं होता यह चिकित्सक तय करते हैं कि किस मरीज को कौन सी जांच करानी है. इस बीमारी को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता लेकिन मरीज को तकलीफ से आराम दिया जा सकता है और इस बीमारी में बद से बदतर होने की स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है. ऑर्थोपेडिक चिकित्सक प्रदेश के गठिया की बीमारी के बारे में विस्तार से जानेंगे तो आने वाले समय में गठिया के मरीजों के इलाज में काफी फायदेमंद रहेगा"-डॉ. महेश प्रसाद, ऑर्थोपेडिशियन

पटना में रुमेटोलॉजी कोर्स का आयोजन

पटना: बिहार ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन की ओर से राजधानी पटना में इसका आयोजन किया गया. जहां इंडियन ऑर्थोपेडिक रुमेटोलॉजी एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. एस चंद्रशेखर भी मौजूद रहे. उन्होंने तमाम ऑर्थोपेडिक चिकित्सकों को गठिया की बीमारी के प्रारंभिक लक्षण और उन्हें पहचानने की विधि के साथ-साथ जरूरी जांच और इलाज के लिए नवीनतम दवाइयों और तकनीक के बारे में विस्तार से जानकारी दी. इस एकदिवसीय मास्टर ट्रेनिंग कोर्स में ऑर्थोपेडिक सर्जनों को रूमेटाइड अर्थराइटिस, स्पोंडिलाइटिस, सहित विभिन्न रुमेटोलॉजी स्थितियों के प्रबंधन में व्यवहारिक सुझाव दिए गए.

ये भी पढ़ें: युवाओं में ऑस्टियोआर्थराइटिस होने का खतरा अधिक : RMLIMS

रुमेटोलॉजी कोर्स का आयोजन से लाभ मिलेगा: इस कार्यक्रम के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री और पीएमसीएच के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. राजीव आनंद ने बताया कि बिहार में गठिया के बीमारी के मामले काफी अधिक हैं लेकिन एक्सपर्ट चिकित्सकों की कमी है. गठिया के मरीज ऑर्थोपेडिक चिकित्सक के पास ही पहुंचते हैं. ऐसे में जरूरी है कि ऑर्थोपेडिक चिकित्सकों के पास बीमारी से संबंधित विस्तृत जानकारी हो और इलाज के नवीनतम तकनीकों और दवाइयों का ज्ञान हो. इसी को देखते हुए रुमेटोलॉजी कोर्स का आयोजन किया जा रहा है.

"इस कोर्ट के जरिए उन लोगों को रूमेटोलॉजी एक्सपर्ट गठिया बीमारी के शुरुआती पहचान नवीनतम दवाइयों और इलाज के तकनीकों के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं. यह सत्र काफी लाभदायक है और इससे ऑर्थोपेडिक चिकित्सक आने वाले समय में गठिया रोग का बेहतर इलाज करने में सफल होंगे"- डॉ. राजीव आनंद, ऑर्थोपेडिशियन

शुरुआती लक्षण पकड़ में आने पर इलाज आसान: वहीं, बिहार ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के सचिव और पीएमसीएच के ऑर्थोपेडिक विभाग के प्रोफेसर डॉ. महेश प्रसाद ने बताया कि बिहार में लगभग 40 लाख के करीब गठिया के मरीज हैं और गठिया रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों की संख्या 3 के करीब है. गठिया की बीमारी जब गंभीर स्टेज में आ जाती है तो ऑर्थोपेडिक चिकित्सक के पास ही मरीज आते हैं, क्योंकि सर्जरी ऑर्थोपेडिशियन ही करते हैं. ऐसे में बिहार ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन ने निर्णय लिया कि रुमेटोलॉजिस्ट नहीं है तो ऑर्थोपेडिक चिकित्सकों को इस प्रकार दक्ष बनाया जाय कि वह मरीज को शुरुआती लक्षण के समय ही पकड़ सके और इसकी गंभीरता को कम कर सके.

"गठिया की बीमारी में लगभग 85% मामले क्लीनिकल काउंसलिंग में ही पता चल जाते हैं और इसका पता लगाने के लिए कुछ विशेष जांच है. हर जांच हर मरीज के लिए जरूरी भी नहीं होता यह चिकित्सक तय करते हैं कि किस मरीज को कौन सी जांच करानी है. इस बीमारी को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता लेकिन मरीज को तकलीफ से आराम दिया जा सकता है और इस बीमारी में बद से बदतर होने की स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है. ऑर्थोपेडिक चिकित्सक प्रदेश के गठिया की बीमारी के बारे में विस्तार से जानेंगे तो आने वाले समय में गठिया के मरीजों के इलाज में काफी फायदेमंद रहेगा"-डॉ. महेश प्रसाद, ऑर्थोपेडिशियन

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.