पटना: बिहार में आरक्षण का जिन्न एक बार फिर बाहर निकल चुका है. आरसीपी सिंह (RCP Singh) ने कहा था कि 'अब आरक्षण कोई मुद्दा नहीं है' (Reservation is not an issue). इस बयान के बाद बिहार की सियासत में उबाल आ चुका है. RCP के बयान से कहीं न कहीं जदयू भी असहज है. हालात देखकर माना जा रहा है कि जेडीयू में विभेद की स्थिति बन चुकी है. ऐसे में बदली सियासी जमीन का फायदा RJD उठाने की कोशिश कर रही है.
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दरअसल, जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (RCP Singh) ने कहा है कि 'आरक्षण अब मुद्दा नहीं रहा'. 1980 के दशक में आरक्षण की जो स्थिति थी वह आज नहीं है. RCP के इस बयान के बाद अब जेडीयू की 'सोशल इंजीनियरिंग' के बे-पटरी होने का खतरा बढ़ गया है. RJD ने इसे भटकाने के लिए सियासी शतरंज की घोड़े वाली ढाई चाल चल दी है. आरजेडी ने कह दिया है कि RCP का बयान मजबूरी में दिया गया बयान है. आरजेडी ने पूछा है कि आखिर किस मजबूरी में आरसीपी को ये बयान देना पड़ा? जबकि वो तो खुद एक पिछड़े समाज से आते हैं.
इस बयान के पीछे आरजेडी अपना एजेंडा सेट कर रही है. पूरे प्रकरण में RJD का इशारा बीजेपी की ओर है. आरजेडी के मुताबिक 'एनडीए' सरकार में बीजेपी जो चाहती है वही होता है. आरक्षण को बीजेपी डिप्लोमेटिक तरीके से खत्म करने की साजिश कर रही है. उसमें आरसीपी सिंह जैसे लोग भी शामिल है. राष्ट्रीय जनता दल के मुताबिक बाबा साहेब ने जो समाज के निचले पंक्ति के लोगों को आगे आने के लिए जो सुविधा संविधान में दी थी, आज उस पर जदयू का भी वही स्टैंड हो गया, जो बीजेपी का है.
'हमारा देश संविधान के अनुसार चलता है. जातीय जनगणना SC/ST के लिए होती है. क्योंकि उसी के अनुरूप संविधान में आरक्षण देने की योजना बनती है. आरक्षण आज उस तरह का मुद्दा नहीं है जो 70 के दशक में 80 के दशक में होता था. आज सब लोग मांग करते हैं कि डेटा चाहिए. किस बात के लिए डेटा चाहिए?'- RCP सिंह, केंद्रीय इस्पात मंत्री
दरअसल सोमवार को केंद्रीय इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह पहली बार मंत्री बनकर पटना आए थे. उनके स्वागत में पूरी राजधानी पटना सजाई गई थी. जब आरसीपी सिंह अपने कार्यालय में मीडिया से मुखातिब हुए तो कह दिया कि 'आरक्षण कोई मुद्दा नहीं है'. इतना कहते ही विपक्ष और सत्ता पक्ष में घमासान छिड़ा हुआ है.
जदयू के प्रवक्ता भी इस बात को मानते हैं कि आरजेडी इस मौके को भुनाने के लिए हर संभव कोशिश करेगी. नीतीश और आरसीपी सिंह के बयानों को दिखाकर ये बताने की कोशिश करेगी कि जेडीयू के अंदरखाने अच्छा नहीं चल रहा है. वरिष्ठ पत्रकार भी मानते हैं कि अगर जेडीयू ने विपक्ष के एग्रेशन का सामना तार्किक ढंग से नहीं किया तो इसका सीधा नुकसान जनता दल यूनाइटेड को उठाना पड़ेगा.
गौरतलब है कि साल 2015 में जब बिहार विधानसभा के चुनाव थे और नीतीश बीजेपी के खिलाफ चुनावी मैदान में थे तब RSS प्रमुख मोहन भागवत ने बिहार में कह दिया था कि आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए. इसके बाद विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाकर चुनाव में उतरा था. आरक्षण के जिन्न ने लालू-नीतीश के गठबंधन को 2015 के चुनाव में जीत दिला दी. लेकिन अब नीतीश के लिए आरसीपी सिंह का ये बयान उल्टा पड़ सकता है. आरजेडी अब इसी मुद्दे से दो निशाना साधने की कोशिश कर रही है. पहला जेडीयू में कुछ गड़बड़ है का एजेंडा आरजेडी सेट कर रही है. दूसरा, आरक्षण के मुद्दे पर तीसरे नंबर की पार्टी जेडीयू को डैमेज करना चाहती है.
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