पटनाः कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने बिहार सरकार की नींद उड़ा दी है. इस बार संक्रमण की रफ्तार भी तेज है और संक्रमित मरीजों को ऑक्सीजन की दरकार भी ज्यादा हो रही है. ऐसे में बिहार सरकार किसी तरीके से अस्पतालों को ऑक्सीजन मुहैया करा रही है. केंद्र अगर ऑक्सीजन उपलब्ध करा भी दे तो बिहार सरकार उसे कैसे मैनेज करेगी, यह एक बड़ी चुनौती है.
बिहार में फिलहाल 14 प्लांट हैं, जिसमें 13,188 सिलेंडरों की रिफिलिंग क्षमता है. 14 में चार प्लांट ऐसे हैं, जो खुद उत्पादन कर सकते हैं. अन्य 10 रिफिलिंग का काम करते हैं.
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14 प्लांटों में खुद का ऑक्सीजन उत्पादन
बिहार सरकार की आपूर्ति की अधिकतम क्षमता 131 मीट्रिक टन है. जबकि 300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की मांग केंद्र से की जा रही है. 131 मीट्रिक टन लिक्विड ऑक्सीजन से बिहार के सभी 14 ऑक्सीजन प्लांट की कुल अधिकतम क्षमता 13,188 सिलेंडर को रिफिल करने की है.
ऐसे में 300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति अगर केंद्र से हो जाती है, अब सवाल उठ रहा हैं कि बिहार सरकार उसकी उपयोगिता कैसे सुनिश्चित करेगी. बिहार में 14 में चार प्लांट ही ऐसे हैं, जो खुद का ऑक्सीजन उत्पादन करते हैं. इनकी कुल क्षमता 40 मीट्रिक टन है और ज्यादातर औद्योगिक इकाइयों को आपूर्ति करते हैं.
स्वास्थ्य मंत्री को बेहतरी की उम्मीद
सिलेंडर को लेकर मचे हाहाकार से जहां आम लोग परेशान हैं. वहीं, विक्रेताओं को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जरूरतमंद चक्कर काट रहे हैं. लेकिन उन्हें निराशा हाथ लग रही है.
सिलेंडर विक्रेता प्रमोद कुमार कहते हैं कि हम लोगों को सिलेंडर की आपूर्ति नहीं की जा रही है. जिसके चलते जरूरतमंदों को भी हम सिलेंडर मुहैया नहीं करा पा रहे हैं. सुबह से 200 कस्टमर लौट चुके हैं. पटना में तीन प्लांट मिलकर हर रोज 6000 सिलेंडर का ही उत्पादन कर सकते हैं. जबकि खपत कई गुना ज्यादा है.
लोग हो रहे हैं परेशान
'सरकार कालाबाजारी को नहीं रोक पाई है. सरकार की इच्छाशक्ति अगर मजबूत हो जाए तो व्यवस्था को दुरुस्त किया जा सकता है.' -जहीर, समाजसेवी
'एक परिजन बीमार है. लिहाजा सिलेंडर के इंतजाम में लगा हूं. फिलहाल दुकान से निराशा मिली है. लेकिन प्रयास जारी है.' -आलोक कुमार, ऑक्सीजन सिलेंडर लेने पहुंचा व्यक्ति
'बिहार में ऑक्सीजन की कमी है. लेकिन अस्पतालों में हम ऑक्सीजन की कमी नहीं होने दे रहे हैं. केंद्र सरकार का भी हमें सहयोग मिल रहा है. क्योंकि संक्रमण की रफ्तार तेज है. इसलिए स्वास्थ्य विभाग के सामने भी चुनौती बड़ी है. हमने मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट भी शुरू किए हैं. केंद्र की तरफ से भी सपोर्ट मिला है. हम व्यवस्था को दुरुस्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.' -मंगल पांडे, स्वास्थ्य मंत्री
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