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बिहार BJP के बागी नेता UP चुनाव में सक्रिय, योगी आदित्यनाथ से नजदीकियों का मिल सकता है फायदा - यूपी की राजनीति

बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) के दौरान बड़ी संख्या में बीजेपी (BJP) नेता बागी होकर चुनाव के मैदान में उतरे थे. बागी नेताओं ने एनडीए (NDA) को मुश्किल में भी डाल दिया था. बीजेपी ने बागी नेताओं के लिए दरवाजे नहीं खोले हैं. ऐसे में बागी नेता यूपी की राजनीति (UP Politics) के जरिए बिहार बीजेपी में एंट्री की कवायद में जुटे हैं. देखें रिपोर्ट...

पटना
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Published : Jul 20, 2021, 10:57 PM IST

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) के दौरान बीजेपी (BJP) और जदयू (JDU) के बीच गठबंधन होने के बाद कई नेताओं को बेटिकट होना पड़ा था. बेटिकट हुए बीजेपी नेता बागी हो गए और लोक जनशक्ति पार्टी (Lok Janshakti Party) का दामन थाम लिया. ज्यादातर सीटों पर जदयू को हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी ने बागी नेताओं पर कार्रवाई का डंडा भी चलाया था.

ये भी पढ़ें- JDU के बाद BJP भी बदलेगी रणनीति! बागी नेताओं की एंट्री के लिए जद्दोजहद हुई तेज

जदयू ने पार्टी के जनाधार को मजबूत करने के लिए बागी नेताओं की एंट्री शुरू कर दी, लेकिन बीजेपी ने बागी नेताओं के लिए पार्टी के दरवाजे नहीं खोले हैं. बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव और अमित शाह बागी नेताओं को लेकर सख्त हैं.

बागी नेताओं ने उत्तर प्रदेश चुनाव (Uttar Pradesh Elections) में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) बीजेपी में शक्तिशाली नेता के रूप में उभर रहे हैं. लिहाजा बागी नेता योगी आदित्यनाथ से नजदीकियां बढ़ाने में जुटे हैं. बता दें कि बाहुबली नेता राजन तिवारी को बिहार बीजेपी में एंट्री नहीं मिली थी, लेकिन उत्तर प्रदेश बीजेपी ने राजन तिवारी को एंट्री दे दी थी.

देखें रिपोर्ट

बागी नेताओं में सबसे बड़ा नाम पूर्व प्रदेश महामंत्री राजेंद्र सिंह का है. राजेंद्र सिंह झारखंड के संगठन प्रभारी भी रह चुके हैं और उत्तर प्रदेश में भी में काम करने का अनुभव प्राप्त है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उनकी सक्रियता बढ़ गई है.

ये भी पढ़ें- BJP में लौट सकते हैं चुनाव के दौरान बगावत करने वाले तमाम नेता, एक्शन प्लान तैयार

इसके अलावा उत्तर प्रदेश में अमित शाह के साथ सह प्रभारी रह चुके रामेश्वर चौरसिया भी उत्तर प्रदेश में सक्रिय हैं. इसके अलावा भी कई नेता हैं, जो उत्तर प्रदेश की राजनीति में मजबूत दखल रखते हैं. उत्तर प्रदेश से सटे जिलों के बागी नेता जो उत्तर प्रदेश में प्रभाव रखते हैं, वैसे बागी नेताओं को भी उत्तर प्रदेश चुनाव में लगाया जा सकता है.

''नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ को मजबूत करने के लिए जो भी नेता आगे आएंगे और जिनका विश्वास भारतीय जनता पार्टी के सिद्धांतों में होगा, पार्टी उनका इस्तेमाल उत्तर प्रदेश चुनाव में कर सकती है. आज वह बागी हैं, लेकिन पहले पार्टी के ही सदस्य थे. पार्टी में एंट्री का जहां तक मामला है, उस पर नेतृत्व को निर्णय करना है.''-अखिलेश सिंह, बीजेपी प्रवक्ता

''किसी भी राजनीतिक दलों के लिए बागी नेताओं को नजरअंदाज करना आसान नहीं होगा, क्योंकि विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अपनी ताकत का एहसास कराया है. वैसे नेता जो उत्तर प्रदेश की राजनीति में मजबूत दखल रखते हैं, पार्टी निश्चित तौर पर उन्हें चुनाव में लगाएगी और उसका लाभ भी पार्टी को मिलेगा. जो आने वाले दिनों में उनकी एंट्री का आधार भी बन सकता है.''- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव में बागी नेताओं की भूमिका ने चुनाव को दिलचस्प बना दिया था. उनकी वजह से बाजी किसी की भी ओर पलटी जा सकती थी. बात साफ है कि बागी नेता अधिक संख्या में चुनाव नहीं जीत सके, लेकिन उनकी वजह से बीजेपी और जदयू के कई उम्मीदवार चुनाव हार गए. बागी नेताओं को लेकर बीजेपी जहां सख्त है, वहीं जदयू ने ढुलमुल रवैया अपनाया हुआ है.

ये भी पढ़ें- बिहार के बाद अब UP चुनाव में 'जाति का गणित' भुनाने चले NDA के घटक

ये भी पढ़ें- फूलन देवी के सहारे UP को साधेंगे मुकेश सहनी, शहादत दिवस पर लगाएंगे प्रतिमा

ये भी पढ़ें- यूपी चुनाव पर बोली RJD- 'BJP को ना हो फायदा, सोच समझकर लेंगे फैसला'

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) के दौरान बीजेपी (BJP) और जदयू (JDU) के बीच गठबंधन होने के बाद कई नेताओं को बेटिकट होना पड़ा था. बेटिकट हुए बीजेपी नेता बागी हो गए और लोक जनशक्ति पार्टी (Lok Janshakti Party) का दामन थाम लिया. ज्यादातर सीटों पर जदयू को हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी ने बागी नेताओं पर कार्रवाई का डंडा भी चलाया था.

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जदयू ने पार्टी के जनाधार को मजबूत करने के लिए बागी नेताओं की एंट्री शुरू कर दी, लेकिन बीजेपी ने बागी नेताओं के लिए पार्टी के दरवाजे नहीं खोले हैं. बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव और अमित शाह बागी नेताओं को लेकर सख्त हैं.

बागी नेताओं ने उत्तर प्रदेश चुनाव (Uttar Pradesh Elections) में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) बीजेपी में शक्तिशाली नेता के रूप में उभर रहे हैं. लिहाजा बागी नेता योगी आदित्यनाथ से नजदीकियां बढ़ाने में जुटे हैं. बता दें कि बाहुबली नेता राजन तिवारी को बिहार बीजेपी में एंट्री नहीं मिली थी, लेकिन उत्तर प्रदेश बीजेपी ने राजन तिवारी को एंट्री दे दी थी.

देखें रिपोर्ट

बागी नेताओं में सबसे बड़ा नाम पूर्व प्रदेश महामंत्री राजेंद्र सिंह का है. राजेंद्र सिंह झारखंड के संगठन प्रभारी भी रह चुके हैं और उत्तर प्रदेश में भी में काम करने का अनुभव प्राप्त है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उनकी सक्रियता बढ़ गई है.

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इसके अलावा उत्तर प्रदेश में अमित शाह के साथ सह प्रभारी रह चुके रामेश्वर चौरसिया भी उत्तर प्रदेश में सक्रिय हैं. इसके अलावा भी कई नेता हैं, जो उत्तर प्रदेश की राजनीति में मजबूत दखल रखते हैं. उत्तर प्रदेश से सटे जिलों के बागी नेता जो उत्तर प्रदेश में प्रभाव रखते हैं, वैसे बागी नेताओं को भी उत्तर प्रदेश चुनाव में लगाया जा सकता है.

''नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ को मजबूत करने के लिए जो भी नेता आगे आएंगे और जिनका विश्वास भारतीय जनता पार्टी के सिद्धांतों में होगा, पार्टी उनका इस्तेमाल उत्तर प्रदेश चुनाव में कर सकती है. आज वह बागी हैं, लेकिन पहले पार्टी के ही सदस्य थे. पार्टी में एंट्री का जहां तक मामला है, उस पर नेतृत्व को निर्णय करना है.''-अखिलेश सिंह, बीजेपी प्रवक्ता

''किसी भी राजनीतिक दलों के लिए बागी नेताओं को नजरअंदाज करना आसान नहीं होगा, क्योंकि विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अपनी ताकत का एहसास कराया है. वैसे नेता जो उत्तर प्रदेश की राजनीति में मजबूत दखल रखते हैं, पार्टी निश्चित तौर पर उन्हें चुनाव में लगाएगी और उसका लाभ भी पार्टी को मिलेगा. जो आने वाले दिनों में उनकी एंट्री का आधार भी बन सकता है.''- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव में बागी नेताओं की भूमिका ने चुनाव को दिलचस्प बना दिया था. उनकी वजह से बाजी किसी की भी ओर पलटी जा सकती थी. बात साफ है कि बागी नेता अधिक संख्या में चुनाव नहीं जीत सके, लेकिन उनकी वजह से बीजेपी और जदयू के कई उम्मीदवार चुनाव हार गए. बागी नेताओं को लेकर बीजेपी जहां सख्त है, वहीं जदयू ने ढुलमुल रवैया अपनाया हुआ है.

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