पटना: आदर्श आचार संहिता लागू होते ही चुनाव आयोग के साथ-साथ सभी राजनीतिक दल चुनावी मोड में आ गए हैं. देश का 17वां लोकसभा चुनाव 7 चरणों में संपन्न कराए जाने का निर्णय लिया गया है. बिहार में सात चरणों में चुनाव होना है.
सातों चरण में बिहार में मतदान होने का प्रमुख कारण राज्य की बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था को माना जा रहा है. इसकाजिक्र मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने भी अपने दो दिवसीय बिहार दौरे में किया था. अरोड़ा ने कहा था कि बिहार के वर्तमान कानून व्यवस्था से चुनाव आयोग संतुष्ट नहीं है.
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी का है अपना तर्क
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी एचआर श्रीनिवास कहते हैं कि बिहार में कानून व्यवस्था एक बड़ा मसला जरूर है. लेकिन आयोग के समक्ष शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से मतदान संपन्न कराना बड़ी चुनौती के रूप में है. श्रीनिवास कहते हैं कि पारा मिलिट्री फोर्स के तैनाती को लेकर बिहार में सात चरण में चुनाव कराने का निर्णय लिया गया है.
क्या सोचते हैं मदन मोहन झा?
उधर, विपक्ष अब सुशासन पर सवाल उठाते हुए कहने लगा है कि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है. कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा ने कहा कि बिहार में शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से चुनाव कराना चुनाव आयोग की जवाबदेही है. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि चुनाव आयोग सभी मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाने में सफल हो इसके लिए पूरी तरह से तैयारी करनी चाहिए. कांग्रेस मानती है कि अगर चुनाव आयोग निष्पक्ष चुनाव करा ले तो यह देश हित में होगा.
राजद का आरोप
राजद नेता विजय प्रकाश ने कहा कि बिहार में प्रशासन तंत्र पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है. चुनाव आयोग द्वारा 7 चरणों में चुनाव करना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. नीतीश कुमार सुशासन का कितना भी दावा कर लें, लेकिन जिस तरह से प्रदेश में कानून व्यवस्था का मजाक हो रहा है, उसे नीतीश कुमार भी बखूबी समझ रहे हैं. राजद नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री बिहार, यूपी और पश्चिम बंगाल को अपने तरीके से जीतना चाह रहे हैं, इसलिए इन तीनों राज्यों में सातवें चरण में चुनाव कराया जा रहा है. लेकिन देश की जनता अब भाजपा मुक्त सरकार बनाने का निर्णय ले चुकी है.
पहले इतने चरणों में हुए हैं चुनाव
गौरतलब है कि 2015 के विधानसभा चुनाव 5 चरणों में, 2014 का लोकसभा चुनाव 6 चरणों में, 2009 का लोकसभा चुनाव 6 चरणों में संपन्न कराया गया था.