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BJP-JDU को दोबारा मिलाने के सूत्रधार रहे अरुण जेटली के निधन से NDA की सेहत पर पड़ेगा असर?

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कहा कि एनडीए में अब उठापटक होना तय है. नीतीश कुमार और जदयू ने बीजेपी के समक्ष पूरी तरह सरेंडर नहीं किया, तो 6 महीने के अंदर गठबंधन टूट जाएगा.

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Published : Aug 25, 2019, 10:44 PM IST

पटना: बीच में दो ढाई साल को छोड़कर बिहार में 2005 से नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार चल रही है. एनडीए शासन में कई बार ऐसे मौके आए, जब बीजेपी और जदयू के बीच तनातनी की स्थिति बनी. उस समय दिवंगत अरुण जेटली ने स्थिति को सामान्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जेटली के कारण नीतीश का सिक्का एनडीए में चलता रहा. जेटली और नीतीश कुमार के बीच गहरे रिश्ते थे. यही वजह है कि बिहार में एनडीए को जेटली की कमी खलेगी.

नेताओं की प्रतिक्रिया

बिहार के पूर्व बीजेपी प्रभारी रहे अरुण जेटली ने राज्य में एनडीए को बनाने और खासकर नीतीश कुमार को स्थापित करने में अपनी बड़ी भूमिका निभाई थी. नीतीश अरुण जेटली के चलते ही बीजेपी के बड़े नेताओं के विरोध के बावजूद अपनी मांग पूरी करवा लेते थे.

जय कुमार सिंह, मंत्री बिहार सरकार
जय कुमार सिंह, मंत्री बिहार सरकार

'जेडीयू की बात को मजबूती से रखते थे जेटली'
इस बाबत, बिहार के साइंस टेक्नोलॉजी मिनिस्टर और जदयू के वरिष्ठ नेता जय कुमार सिंह ने कहा, 'हमारी पार्टी के लिए एक बड़ी क्षति है.अरुण जेटली सरकार के तारतम्य को बनाए रखने और जब भी कभी रिश्तों का तार टूटने वाली स्थिति पैदा होती थी, तो वो जोड़ने वाले होते थे. बिहार की राजनीति में फिलहाल गठबंधन पर तो असर नहीं पड़ेगा लेकिन इतना जरूर है कि हमेशा उनकी कमी खलेगी. खासकर उस समय और, जब किसी मुद्दे पर हम लोग को यह एहसास होगा कि हमारी बातों को मजबूती से रखने वाला कोई था तो वो जेटली'

प्रेम रंजन पटेल
प्रेम रंजन पटेल, बीजेपी प्रवक्ता

नीतीश को सीएम बनाने में थी अहम भूमिका- BJP
बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि अरुण जेटली बिहार के लिए हमेशा काम करते रहे हैं. चाहे विशेष आर्थिक पैकेज देने की बात हो या बिहार के हित में कोई भी फैसला लेना हो. अरुण जेटली आगे रहते थे. बिहार में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा अरुण जेटली के कारण ही हुई, जबकि उस समय जदयू के कई नेता भी इसका विरोध कर रहे थे. बिहार में बेहतर समन्वय के साथ गठबंधन चलाने में अरुण जेटली एक कड़ी के रूप में काम कर रहे थे. वो कड़ी अब टूट गई है, तो उसका नुकसान बिहार को होगा ही.

उदय नारायण चौधरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष
उदय नारायण चौधरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष

'अब 6 महीने से ज्यादा नहीं चलेगा NDA गठबंधन'
कभी नीतीश कुमार के नजदीकी रहे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कहा कि एनडीए में अब उठापटक होना तय है. नीतीश कुमार और जदयू ने बीजेपी के समक्ष पूरी तरह सरेंडर नहीं किया, तो 6 महीने के अंदर गठबंधन टूट जाएगा. बीजेपी जदयू को बर्दाश्त नहीं करने वाली है.

तो क्या विस चुनाव में पड़ेगा असर?
बिहार में 2020 विधानसभा चुनाव होने हैं. लोकसभा चुनाव में जिस प्रकार से बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिली है और केंद्र में जदयू के मंत्री शामिल नहीं हैं. ऐसे में 2020 में जब टिकटों का बंटवारा होगा, ऐसे में जदयू के लिए मुश्किलें जरूर बढ़ने वाली हैं. वहीं, केंद्रीय बीजेपी नेतृत्व में अब नीतीश कुमार की बात मनवाने वाला कोई नहीं बचा है.

पटना: बीच में दो ढाई साल को छोड़कर बिहार में 2005 से नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार चल रही है. एनडीए शासन में कई बार ऐसे मौके आए, जब बीजेपी और जदयू के बीच तनातनी की स्थिति बनी. उस समय दिवंगत अरुण जेटली ने स्थिति को सामान्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जेटली के कारण नीतीश का सिक्का एनडीए में चलता रहा. जेटली और नीतीश कुमार के बीच गहरे रिश्ते थे. यही वजह है कि बिहार में एनडीए को जेटली की कमी खलेगी.

नेताओं की प्रतिक्रिया

बिहार के पूर्व बीजेपी प्रभारी रहे अरुण जेटली ने राज्य में एनडीए को बनाने और खासकर नीतीश कुमार को स्थापित करने में अपनी बड़ी भूमिका निभाई थी. नीतीश अरुण जेटली के चलते ही बीजेपी के बड़े नेताओं के विरोध के बावजूद अपनी मांग पूरी करवा लेते थे.

जय कुमार सिंह, मंत्री बिहार सरकार
जय कुमार सिंह, मंत्री बिहार सरकार

'जेडीयू की बात को मजबूती से रखते थे जेटली'
इस बाबत, बिहार के साइंस टेक्नोलॉजी मिनिस्टर और जदयू के वरिष्ठ नेता जय कुमार सिंह ने कहा, 'हमारी पार्टी के लिए एक बड़ी क्षति है.अरुण जेटली सरकार के तारतम्य को बनाए रखने और जब भी कभी रिश्तों का तार टूटने वाली स्थिति पैदा होती थी, तो वो जोड़ने वाले होते थे. बिहार की राजनीति में फिलहाल गठबंधन पर तो असर नहीं पड़ेगा लेकिन इतना जरूर है कि हमेशा उनकी कमी खलेगी. खासकर उस समय और, जब किसी मुद्दे पर हम लोग को यह एहसास होगा कि हमारी बातों को मजबूती से रखने वाला कोई था तो वो जेटली'

प्रेम रंजन पटेल
प्रेम रंजन पटेल, बीजेपी प्रवक्ता

नीतीश को सीएम बनाने में थी अहम भूमिका- BJP
बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि अरुण जेटली बिहार के लिए हमेशा काम करते रहे हैं. चाहे विशेष आर्थिक पैकेज देने की बात हो या बिहार के हित में कोई भी फैसला लेना हो. अरुण जेटली आगे रहते थे. बिहार में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा अरुण जेटली के कारण ही हुई, जबकि उस समय जदयू के कई नेता भी इसका विरोध कर रहे थे. बिहार में बेहतर समन्वय के साथ गठबंधन चलाने में अरुण जेटली एक कड़ी के रूप में काम कर रहे थे. वो कड़ी अब टूट गई है, तो उसका नुकसान बिहार को होगा ही.

उदय नारायण चौधरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष
उदय नारायण चौधरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष

'अब 6 महीने से ज्यादा नहीं चलेगा NDA गठबंधन'
कभी नीतीश कुमार के नजदीकी रहे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कहा कि एनडीए में अब उठापटक होना तय है. नीतीश कुमार और जदयू ने बीजेपी के समक्ष पूरी तरह सरेंडर नहीं किया, तो 6 महीने के अंदर गठबंधन टूट जाएगा. बीजेपी जदयू को बर्दाश्त नहीं करने वाली है.

तो क्या विस चुनाव में पड़ेगा असर?
बिहार में 2020 विधानसभा चुनाव होने हैं. लोकसभा चुनाव में जिस प्रकार से बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिली है और केंद्र में जदयू के मंत्री शामिल नहीं हैं. ऐसे में 2020 में जब टिकटों का बंटवारा होगा, ऐसे में जदयू के लिए मुश्किलें जरूर बढ़ने वाली हैं. वहीं, केंद्रीय बीजेपी नेतृत्व में अब नीतीश कुमार की बात मनवाने वाला कोई नहीं बचा है.

Intro:पटना-- बिहार में 2005 से नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार चल रही है बीच के दो ढाई साल को छोड़ कर। लेकिन एनडीए शासन में कई बार ऐसे मौके आए जब बीजेपी और जदयू के बीच तनातनी की स्थिति बनी थी और उस समय अरुण जेटली ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी स्थिति को सामान्य बनाने में । अरुण जेटली के कारण नीतीश का सिक्का एनडीए में चलता रहा । लेकिन पहले सुषमा स्वराज और अब अरुण जेटली के जाने से नीतीश कुमार के लिए एक बड़ा झटका है। पार्टी के नेता भी मानते हैं यह जदयू के लिए एक बड़ी क्षति है। हमेशा उनकी कमी खलेगी।
पेश है खास रिपोर्ट---


Body: बिहार में एनडीए को बनाने और खासकर नीतीश कुमार को स्थापित करने में अरुण जेटली ने अपनी बड़ी भूमिका निभाई थी। नीतीश से अरुण जेटली के माध्यम से ही बीजेपी से अपनी कई मांग बीजेपी के कई बड़े नेताओं के विरोध के बावजूद मनवा लेते थे । बिहार में साइंस टेक्नोलॉजी मिनिस्टर और जदयू के वरिष्ठ नेता जय कुमार सिंह का कहना है हमारी पार्टी के लिए एक बड़ी क्षति है। जय कुमार सिंह कहते हैं कि अरुण जेटली सरकार के तारतम्य को बनाए रखने और जब भी कभी रिस्ते का तार टूटने वाली स्थिति पैदा होती थी तो वह जोड़ने वाले होते थे बिहार की राजनीति में फिलहाल गठबंधन पर तो असर नहीं पड़ेगा लेकिन इतना जरूर है कि हमेशा उनकी कमी खलेगी और खासकर उस समय और जब किसी मुद्दे पर हम लोग को यह एहसास होगा कि हमारी बातों को मजबूती से कोई रखने वाला होता।
बाईट--जय कुमार सिंह, मंत्री, साइंस एंड टेक्नोलॉजी।
बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का भी करना है बिहार के लिए अरुण जेटली हमेशा काम करते हैं चाहे विशेष आर्थिक पैकेज देने की बात हो या बिहार के हित में कोई भी फैसला लेना हो अरुण जेटली आगे रहते थे बिहार में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के रूप में विद्वान बनाने की घोषणा की अरुण जेटली के कारण ही हुआ था और उस समय जदयू के कई नेता भी इसका विरोध किए थे बिहार में बेहतर समन्वय के साथ गठबंधन चलाने में अरुण जेटली एक कड़ी के रूप में काम कर रहे थे और वह करीब टूट गई है तो उसका नुकसान बिहार को होगा ही।
बाईट-- प्रेम रंजन पटेल बीजेपी प्रवक्ता
कभी नीतीश कुमार के नजदीकी रहे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी का भी कहना है इनके बीच अब उठापटक होना तय है और नीतीश कुमार और जदयू के लोग बीजेपी के समक्ष पूरी तरह सिलेंडर नहीं किए तो 6 महीने से भी अधिक बीजेपी जदयू को बर्दाश्त नहीं करने वाली है।
बाईट--उदय नारायण चौधरी, पूर्व विधानसभ अध्यक्ष।


Conclusion:खासकर 2020 में बिहार विधानसभा का चुनाव होना है लोकसभा चुनाव में जिस प्रकार से बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिली है और केंद्र में जदयू के मंत्री शामिल नहीं है ऐसे में 2020 में जब टिकटों का बंटवारा होगा तो जदयू के लिए मुश्किल बढ़ने वाली है बिहार बीजेपी में जरूर सुशील मोदी नीतीश कुमार के हम कदम हैं लेकिन केंद्रीय बीजेपी नेतृत्व में अब नीतीश कुमार की मांगे मनवाने वाला कोई नहीं बचा है।
अविनाश, पटना।
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