पटना: बीच में दो ढाई साल को छोड़कर बिहार में 2005 से नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार चल रही है. एनडीए शासन में कई बार ऐसे मौके आए, जब बीजेपी और जदयू के बीच तनातनी की स्थिति बनी. उस समय दिवंगत अरुण जेटली ने स्थिति को सामान्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जेटली के कारण नीतीश का सिक्का एनडीए में चलता रहा. जेटली और नीतीश कुमार के बीच गहरे रिश्ते थे. यही वजह है कि बिहार में एनडीए को जेटली की कमी खलेगी.
बिहार के पूर्व बीजेपी प्रभारी रहे अरुण जेटली ने राज्य में एनडीए को बनाने और खासकर नीतीश कुमार को स्थापित करने में अपनी बड़ी भूमिका निभाई थी. नीतीश अरुण जेटली के चलते ही बीजेपी के बड़े नेताओं के विरोध के बावजूद अपनी मांग पूरी करवा लेते थे.
'जेडीयू की बात को मजबूती से रखते थे जेटली'
इस बाबत, बिहार के साइंस टेक्नोलॉजी मिनिस्टर और जदयू के वरिष्ठ नेता जय कुमार सिंह ने कहा, 'हमारी पार्टी के लिए एक बड़ी क्षति है.अरुण जेटली सरकार के तारतम्य को बनाए रखने और जब भी कभी रिश्तों का तार टूटने वाली स्थिति पैदा होती थी, तो वो जोड़ने वाले होते थे. बिहार की राजनीति में फिलहाल गठबंधन पर तो असर नहीं पड़ेगा लेकिन इतना जरूर है कि हमेशा उनकी कमी खलेगी. खासकर उस समय और, जब किसी मुद्दे पर हम लोग को यह एहसास होगा कि हमारी बातों को मजबूती से रखने वाला कोई था तो वो जेटली'
नीतीश को सीएम बनाने में थी अहम भूमिका- BJP
बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि अरुण जेटली बिहार के लिए हमेशा काम करते रहे हैं. चाहे विशेष आर्थिक पैकेज देने की बात हो या बिहार के हित में कोई भी फैसला लेना हो. अरुण जेटली आगे रहते थे. बिहार में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा अरुण जेटली के कारण ही हुई, जबकि उस समय जदयू के कई नेता भी इसका विरोध कर रहे थे. बिहार में बेहतर समन्वय के साथ गठबंधन चलाने में अरुण जेटली एक कड़ी के रूप में काम कर रहे थे. वो कड़ी अब टूट गई है, तो उसका नुकसान बिहार को होगा ही.
'अब 6 महीने से ज्यादा नहीं चलेगा NDA गठबंधन'
कभी नीतीश कुमार के नजदीकी रहे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कहा कि एनडीए में अब उठापटक होना तय है. नीतीश कुमार और जदयू ने बीजेपी के समक्ष पूरी तरह सरेंडर नहीं किया, तो 6 महीने के अंदर गठबंधन टूट जाएगा. बीजेपी जदयू को बर्दाश्त नहीं करने वाली है.
तो क्या विस चुनाव में पड़ेगा असर?
बिहार में 2020 विधानसभा चुनाव होने हैं. लोकसभा चुनाव में जिस प्रकार से बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिली है और केंद्र में जदयू के मंत्री शामिल नहीं हैं. ऐसे में 2020 में जब टिकटों का बंटवारा होगा, ऐसे में जदयू के लिए मुश्किलें जरूर बढ़ने वाली हैं. वहीं, केंद्रीय बीजेपी नेतृत्व में अब नीतीश कुमार की बात मनवाने वाला कोई नहीं बचा है.